yogic management of Thyroid disorder part two 04 07 2025 Dr Rachana Jain
समझ हां दोनों एक ही चीज है भाई आंख है आपकी आंख देखने का काम करेगी आप उसको चाहे आंख बोले चाहे चक्षु बोले चाहे आईज बोले ठीक है ना लेकिन टर्म अलग-अलग हो सकती है जैसे हर लैंग्वेज में अगर हम देखें तो हो सकता है कि आपको हर लैंग्वेज में एक अलग नाम हो लेकिन वो काम तो वही करेगी आप किसी भी नाम से बुला ले उसको तो मैंने शुरू से आप आप लोगों को ये चीज बोला कि जब भी हम थेरेपी में जाते हैं तो नाम में बहुत ना ऊंचे काम को देखें क्योंकि हमको थेरेपी में काम पर फोकस करना है। तो जो केंद्र है वही चक्र है। है ना? उसको हर जगह अलग-अलग नाम से जैसे अगर हम साइंस के नाम से जाते हैं तो क्राउन चक्रास हो जाता है। रूट चक्रास हो जाता है। अब यदि हम कुछ एनर्जी नर्व्स के से जाते हैं तो सोलर फ्लेक्स हो जाते हैं। है ना? या थोड़े से फ्लेक्सेस हो जाते हैं। तो चीजें ओवरल उनके फंक्शन वही है, चीज वही है। नाम डिफरेंट हो सकते हैं। तो नाम में नहीं उलझे और चक्रास का मतलब क्या है कि सिंपल सा है कि योग यह कहता है योग आयुर्वेद कि ह्यूमन बॉडी में 72,000 नाड़ियां है जिससे कि एनर्जी फ्लो होती है। और जब कहीं की भी एनर्जी का फ्लो धीमा हो जाता है, कम हो जाता है या ज्यादा हो जाता है तो उसके कारण क्या होता है कि उस जगह पर एनर्जी की कमी हो जाती है और जब एनर्जी की उस जगह पर कमी होती है तो वो धीरे-धीरे वो जो भाग होता है वह कमजोर होने लगता है और धीरे-धीरे वो बीमार पड़ने लगता है। सिंपल सा यह कांसेप्ट है। अब इसी कासेप्ट पे जितनी भी अल्टरनेट पैथियां हैं वह डिपेंड करती हैं। आप प्राणिक हीलिंग देखें, रैकी देखें या और भी बहुत सारी तरह की जो थेरेपीस हैं। इन सब में ओवरऑल करते क्या है कि जो जगह बीमार है वहां पर एनर्जी की कमी हो गई है। तो किसी और सोर्स से हम वहां पर एनर्जी को डाल देते हैं। जिससे वो एनर्जी स्ट्रांग हो जाती है और धीरे-धीरे वो पार्ट जो है वो हील अप हो जाता है। ठीक है? तो अब यह जो 720,000 नाड़ियां हैं जिनसे पूरी बॉडी में एनर्जी फ्लो कर रही है। तो यह बिल्कुल कैसे जैसे नर्व्स है ना या ब्लड कैपिलरीज है कि बिल्कुल हमारे लास्ट मूवमेंट से ले हार्ट तक और पैर के लास्ट मूवमेंट तक हर एक सेल तक ये फैली हुई है। कोई सेल ऐसी है क्या कि जहां पर नर्व और ब्लड कैपिलरीज ना हो। ठीक है? तो वैसे ही हम ऐसा मान सकते हैं कि जो नर्व का सूक्ष्म रूप है वह नाड़ियां है जिनसे एनर्जी फ्लो होती है। तो यह भी हर एक सेल तक फैली हुई है। तो यह जो 72,000 नाड़ी है, यह पूरे शरीर में ऊर्जा को सर्कुलेट करती हैं। एनर्जी सर्कुलेशन करती हैं। और यह कई जगह पर बहुत डेंस हो जाती हैं और एक भवर जैसा गोल-गोल ऐसे घूमने वाला स्ट्रक्चर बनाती हैं। जिनको हम चक्र कहते हैं। तो ह्यूमन बॉडी में बहुत सारे चक्रास होते हैं। लेकिन हम जो मेन चक्रास है वो किसको मानते हैं? टचक्रास को। छह चक्र ऐसे हैं जिन्हें हम मुख्य रूप से मानते हैं। और ये जो छह चक्र हैं इनकी एग्जैक्ट पोजीशन क्या है? जो कि हमारी एंडोक्राइन ग्लैंड्स की पोजीशन लोकेशन है। तो इसका मतलब हर एक चक्र उसके आसपास जो भी एंडोक्राइन ग्लैंड होगी उसको इफेक्ट करेगा। उसके ग्लैंड को इफेक्ट करेगा। इसका मतलब क्या हुआ? उससे जो हार्मोन का सीक्रेशन हो रहा है उसको इफेक्ट करेगा। और प्रेजेंट में अभी बहुत सारी बीमारियां ऐसी हैं कि जो सिर्फ हार्मोन के कम या ज्यादा होने से उसका बैलेंस डिस्टर्ब होने के कारण ही वह बीमारियां हो जाती है। तो यह जो छह चक्र है यह पूरे कहां पर स्थित बताए गए हैं? पूरा स्पाइनल कार्ड में। स्पाइनल कार्ड में भी जो नाड़ियां है उनमें तीन नाड़ी प्रमुख बताई गई है। कौन-कौन सी है? कीड़ा, पिंगुला और शिशुना। इड़ा पिंगला जो जो दो नाड़ी है यह सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम और पैरासिंथेटिक नर्वस सिस्टम को बैलेंस करती हैं और स्पायरल वे में जाती है। लेफ्ट से निकलती है। फिर स्वाधिष्ठान में राइट से जाएगी। फिर मणिपुर में फिर लेफ्ट से जाएगी। और ऐसे ही पिंगुला और इन दोनों नाड़ियों के अलावा सेंटर में एक नाड़ी बिल्कुल स्ट्रेट ऊपर मूलाधार चक्र से स्पाइन में सहस्रार चक्र तक जाती है। वो क्या कहलाती है? सुषुम्ना। और सुषुमना के अंदर भी तीन सूक्ष्म नाड़ी रहती है जिनको हमित्राणी वज्रा और ब्रह्म नाड़ी कहते हैं। तो सबसे अंदर कौन सी होती है? ब्रह्म नाड़ी जिसमें यह चक्रों की प्रजेंस मानी जाती है। तो छह चक्र में सबसे नीचे मूलाधार चक्र है। मूलाधार चक्र कहां रहेगा? यदि हम जहां बैठते हैं और हमारी स्पाइन की टेल बोन का टिप जहां फ्लोर को टच करता है। वह मूलाधार चक्र है। उसके चार अंगुल ऊपर स्वाधिष्ठान चक्र है। हमारी नाभि के जस्ट पीछे जो स्पाइन है वहां पर मणिपुर है। तो अब जो जैसे ये नाभि है इसके पीछे ये स्पाइन है। तो यहां पर मणिपुर चक्र की प्रजेंस मानी गई है। लेकिन इसका क्षेत्र कहां तक माना जाएगा? नाभि तक। ठीक है? ऐसे ही हम और ऊपर जाते हैं तो हार्ट के जस्ट पीछे अनाहत चक्र है और उसका क्षेत्र क्या हो जाएगा? हार्ट। और ऊपर जाते हैं तो गले में जहां पर सर्वाइकल्स होते हैं इनमें विशुद्धि चक्र है और दोनों आइब्रोस के बीच में जहां हम तिलक लगाते हैं जिसे हम आज्ञा चक्र कहते हैं वहां पर आज्ञा चक्र है। और सबसे ऊपर जब हम एक बहुत छोटे बच्चा जो रहता है तो उसके हम सिर के ऊपर हाथ रखते हैं तो एक भाग होता है वो बहुत सॉफ्ट होता है। जिसको क्राउन हेड कहते हैं या तालु कहते हैं। वहां पर सहसार चक्र क्लियर हो गया सभी को? ठीक है? तो अब यह जो चक्र है इनके बारे में जानना जरूरी है। अभी जैसे हम थायराइड के बारे में पढ़ रहे हैं। तो क्योंकि जो थायराइड ग्लैंड है उससे रिलेटेड विशुद्धि चक्र है। क्योंकि थायराइड ग्लैंड जो है वो गले में स्थित होती है। और विशुद्धि चक्र की पोजीशन कहां पर बताई गई है? सर्वाइकल पर रीड की हड्डी में। मतलब उसका क्षेत्र क्या होगा? गला होगा आगे की तरफ। तो इसीलिए हर चक्र के बारे में थोड़ा सा जानना जरूरी है। क्लियर हुआ सभी को? अब चक्र के बारे में कोई कन्फ्यूजन तो नहीं है? अगर इनके इंग्लिश होते हैं चक्र वगैरह के इनको ऐसे ही बोलते हैं जो आप अभी नहीं। सब में अलग नाम रहेगा। सब में अलग नाम रहेगा। इंग्लिश में रहेगा रूट चक्र। फिर उसके बाद में सोलर फ्लेक्सेस, हार्ट फ्लेक्सेस या हार्ट चक्रास, क्राउन चक्रास, थ्रोटक इस तरह के नाम। अच्छा मैम और जैसे हमने अरहम में किया था तो उसमें हमें नाभि से शक्ति केंद्र ऐसे करके बताया गया था। केंद्र अलग चीज है। वो भी वही चीज है। सिर्फ नाम अलग है। अभी मैंने एक एग्जांपल दिया ना आंख को आप चाहे चक्षु बोले, चाहे आई बोले, चाहे आंख बोले, है ना? चाहे दृश्य इंद्रिय बोले, चीज तो वही है ना? नहीं जैसे आपने कहा यह स्पाइनल से बैक साइड से होते हैं। बैक से आगे की तरफ हमने जो वहां पढ़ा उन्होंने कहा कि सिर्फ फ्रंट से नाभि के आसपास होता है। बैक का ऐसे हमने तो नहीं उसमें पढ़ा था या क्योंकि मैंने आपको थोड़ा सा अधिक डिटेल में पढ़ा दिया। अच्छा वहां आपने कम डिटेल और एक बार स्टडी करके ठीक है मैम। है ना? वहां पर थोड़ा सा हमने कम डिटेल पढ़ा है। यहां पर हमने थोड़ा सा अधिक डिटेल एक चीज और बोलना चाहूंगी मैम। गुरु महाराज ने बोला था कि अपने जो पांच केंद्र बताते हैं या सात चक्र हम पढ़ते हैं। तो गुरु महाराज ने बोला जो हमारा जो मणिपुर चक्र है या फिर जो हमारा शक्ति केंद्र है वो एक्टिवेट होने से नीचे के दोनों ऑटोमेटिकली एक्टिवेटेड हो जाएंगे। तो वो अलग से नहीं लिए। वो शक्ति केंद्र में दोनों समाहित कर पांच केंद्र मैं भी यही बात क्लियर करने के लिए हैंड रे किया था कि कंफ्यूज ना हो जाए कि बोलते हैं लेकिन सेवन है। देखिए वो इस सेंस में है क्योंकि अभी जो मानव जाति जिस दौर से गुजर रही है उसमें ऐसा माना जाता है कि उसकी चेतना मणिपुर और अनाहत चक्र पे है। लेकिन मानव जाति के 100% लोगों का नहीं एक एवरेज जैसे हम ले चलते हैं ना वो एवरेज वो है क्योंकि अभी देखिए अगर आप समाज में देखते हैं तो आप जैसा सोचते हैं कि कोई इतना बुरा व्यक्ति तो हो ही नहीं सकता है लेकिन होता है ना एक्सट्रीम बुराई भी है एक्सट्रीम अच्छाई भी है तो एक्सट्रीम जिसमें बुराई है उसकी चेतना कहां पर है वो तो मणिपुर में नहीं हो सकती ना नहीं तो उसमें बुराई नहीं होगी। है ना? तो यदि मैंने आपको सिखा दिया कि मान लीजिए यह सब्जी यहां से आ रही है। यह दूषित है इनको नहीं खाना। एक बार आपकी अवेयरनेस उस पर आ गई तो क्या आप वो यूज़ करेंगे? नहीं करेंगे। लेकिन जब तक अवेयरनेस नहीं है तब तक तो हो सकता है वह दिखने में बहुत अच्छी हो तो आप यूज़ करें। तो जब एक बार चेतना की जैसे जैसे अवेयरनेस बढ़ती है वैसे वैसे चक्रास में भी ऊपर जाती है। क्योंकि चेतना की उच्चता तभी होती है जब वो चक्र में ऊपर जाती है। जैसे हम क्लासेस में होते हैं ना कि जब हम फर्स्ट पढ़ते हैं तो हमारे अनुभव हमारी समझ कुछ अलग होती है। लेकिन जब हम 10थ में आ जाते हैं तो टोटल डिफरेंट फिर आप वो जो फर्स्ट वाली सिली मिस्टेक्स है वह कर सकते हो क्या? नहीं करोगे क्योंकि आपके ज्ञान बढ़ गया। तो ऐसे ही आपका जैसे ज्ञान बढ़ता है वैसे चेतना भी बढ़ती है। तो चेतना जब एक बार मणिपुर या अनाहत पर आ गई। जिसकी अनाहत पर आ गई उसके अंदर इतनी करुणा और मैत्री होगी कि वह किसी किसी से दुश्मनी रख ही नहीं पाएगा। है ना? वो यह भेदभाव कर नहीं पाएगा कि यदि दो बच्चे एक साथ गिर रहे हैं तो यह मेरा बच्चा मैं इसको पहले खींच लूं। उसको भले ही गिर जाने दो। अगर एट अ टाइम आपको करना है वो दोनों हाथ बढ़ाएगा। वो भले ही खुद भी गिर जाए। तो यह फर्क होता है। तो जो एक एवरेज है वह यह माना जाता है कि अभी मानव जाति जो है वह मणिपुर चक्र से और अनाहत चक्र से गुजर रही है। एक एवरेज में जैसे हम देखते हैं ना कि एकदम लोअर क्लास फिर मिडिल क्लास फिर थोड़ा हायर मिडिल फिर एकदम अपर मिडिल ऐसे ही चेतनाता है। तो इसीलिए मणिपुर चक्र से ही बहुत सारे लोग ले चलते हैं क्योंकि एवरेज वही माना जाता है। मैम इसको थोड़ा सा और मतलब गहराई में थोड़ा सा समझने का प्रयास करें। तो अभी सातवा नरक नहीं है मैम। तो अगर बुराई उतनी ज्यादा बुरी तो बुरी उतनी ज्यादा होगी तभी वो सातव नरक में जाएगा। तो इस इस काल में सातवा नरक नहीं है। तो इसीलिए ये लॉजिक हो सकता है कि अभी उसकी चेतना मानव जाति की इतनी नीची नहीं होगी। हो सकता है लेकिन अभी चेतना को हम सिर्फ अब इससे जान रहे हैं कि जितनी आपकी जागरूकता बढ़ती जाएगी अवेयरनेस बढ़ती जाएगी किसी भी चीज के प्रति उतनी आपकी चेतना बढ़ती जाएगी और जब एक बार चेतना बढ़ जाती है तो उससे हटके उससे नीचे गिर के काम करना मुश्किल होता है। ठीक है? चक्र क्लियर है सभी को? जैसे जो चक्र आपने बताया तालुक के पास यहां पे होता है वो मैम बैक में नहीं होता पीछे हेड में वैसे तो स्पाइन में स्ट्रेट चक्र का रहता है यहां पे थोड़ी ना स्पाइन होती है स्पाइन तो यहां गर्दन पे खत्म हो जाती है यहां पर सर्वाइकल जहां हुई वहां खत्म यहां पर तो मेडुला रहता है ब्रेन का जो सर्वाइकल से जुड़ जाता है अच्छा जो सहस्त्रा चक्र है वो स्पाइन से कनेक्ट नहीं होता यहां पीछे आज्ञा चक्र का क्षेत्र रहता है। क्योंकि आज्ञा चक्र की जो एग्जैक्ट पोजीशन बताई गई है वो यह बताई गई है कि अगर यहां से हम एक सीधी रेखा यहां तक खींचे और एक दोनों कानों के ऊपर से मिलाए तो जो क्रॉस का सेंटर पॉइंट बनेगा प्लस का साइन बनेगा। उसका जो क्रॉस का सेंटर पॉइंट बनेगा वो आज्ञा चक्र की स्थिति उसके ऊपर ये उसका क्षेत्र यहां तक रहेगा आगे। क्लियर हुआ तो मैम स्पाइन यहां तक है जहां आज्ञा चक्र है वहां तक है उसके नीचे है ना नीचे गर्दन उसका प्रभाव वहां तक आता है वहां पीनियल पिट्यूटरी ग्लैंड पे प्रभाव डालता है स्पाइन पे नहीं डालता ब्रेन में पीनियल और पिट्यूटरी एंडोक्राइन ग्लैंड्स है आज्ञा चक्र और सहस्त्र चक्र उनसे रिलेटेड है स्पाइन से रिलेटेड नहीं हां ठीक है और जो वो और जो सिद्धि केंद्र या फिर जो क्राउन चक्र है वो अच्छा सहस्त्रार भी हां सहस्त्रार और क्राउन चक्र एक ही है आपको जब स्लाइड बताई थी तब बताया था कि सिस्टम वो नहीं जैसे कि वो कौन से ग्लैंड से है वो थाइमस ग्लैंड से रिलेटेड नहीं देखिए आपका यह वाला पोर्शन ब्रेन हो गया सपोज यहां से मैं एक कैप लगाती हूं कान को ढकती हुई यहां गर्दन तक मान लीजिए तो वो जो कैप लगाऊंगी वो पूरा ब्रेन हो गया उतना हिस्सा ठीक है या ऐसा मान लीजिए कि आइब्रो से लेके और यहां कान के ऊपर से बाल जहां तक आपके जा रहे हैं पीछे जो लास्ट लेयर बाल की है ना वो तक क्या हो गया ब्रेन हो गया ठीक है तो ब्रेन में स्पाइन नहीं है। ब्रेन का सबसे लास्ट हिस्सा कौन सा होता है? मेडुला ऑब्लागेट जो यहां से आप देख रहे हैं ऐसे तिकोना जाता है तिरछा। अब ये लास्ट मेडुला ऑब्लगेटा हो गया। ये सर्वाइकल स्पाइन से इस तरह से जुड़ जाता है। क्लियर हुआ सभी को? तो ब्रेन में स्पाइन नहीं है कहीं। अब ब्रेन में क्योंकि ब्रेन हमारी बॉडी का मेन पार्ट है और ब्रेन में कौन-कौन से ग्लैंड रहते हैं? पीनियल और पिट्यूटरी ग्लैंड। यह दोनों ग्लैंड बहुत यूजफुल होते हैं। लेकिन जो पीनियल ग्लैंड होती है, वह लगभग जब 10 11 साल का बच्चा होता है, उसके बाद वो धीरे-धीरे डीएक्टिव होने लगती है। पैसिव मोड में चली जाती है। लेकिन जो पिट्यूटरी ग्लैंड होती है वो एक्टिवेट होती है और वह जितनी नीचे की ग्लैंड्स है जैसे कौन-कौन सी हो गई? थायराइड फिर थाइमस, एड्रिनल, पनक्रियाज, पनक्रियाज। तो जितनी भी नीचे की ग्लैंड होती हैं उनके लिए मास्टर ग्लैंड का काम करती है। तो उनसे जो जैसे टी3, टी4 है तो उस पर कंट्रोल कौन करता है? टीएचएस। टीएचएस कहां से निकलेगा? पिट्यूटरी ग्लैंड से। ठीक है? तो वो मास्टर ग्लैंड की तरह। और इसीलिए आज्ञा चक्र को भी मास्टर चक्र की तरह ट्रीट किया जाता है। ठीक है? अब जैसे अगर हम थायराइड की बात करते तो थायराइड किस ग्लैंड से रिलेटेड हुआ? जो हमारे गले के सामने रहती है थायराइड और उसी के ऊपर एक छोटी ग्लैंड रहती है पैराथायराइड। ठीक है? अब इससे जो हार्मोंस निकलते हैं उसके कम या ज्यादा होने से थायराइड की प्रॉब्लम हुई। लेकिन वह कम या ज्यादा होना कौन कंट्रोल कर रहा है? पिट्यूटरी ग्लैंड। ठीक है? जैसे सपोज आपके घर में बहुत सारे लोग हैं। आप हैंड तो सबको काम डिवाइड करना या सबको फंडिंग डिवाइड करना या कौन कैसे काम करेगा? कितना करेगा? यह कौन डिसाइड करेगा? जो भी हेड होता है तो वैसे ही जो पिट्यूटरी ग्लैंड है वो मास्टर ग्लैंड है जो सारे ग्लैंड के ऊपर एक ताले के जैसे काम करती है लॉक के जैसे क्लियर हो गया तो जब भी हम जैसे थायराइड के ट्रीटमेंट के बारे में सोचते हैं तो हमको थायराइड पैराथायराइड पर तो काम करना ही है साथ में हमें किस पर भी करना पड़ेगा पिट्यूटरी ग्लैंड लेकिन कंट्रोलिंग पावर कहां है? वही अगर हम उस पर नहीं करेंगे तो क्या होगा? हम इस पर बहुत काम कर रहे हैं लेकिन मालूम पड़ रहा है कोई असर ज्यादा नहीं होगा। ठीक है? अब अगर यह दो ग्लैंड पर काम करना पड़ेगा। तो हमको किस-किस चक्रास पर काम करना पड़ेगा? विशुद्धि पे तो करना ही पड़ेगा लेकिन आज्ञा चक्र को भी करना पड़ेगा। तो जैसे जब हम मुद्राएं बनाते तो बोलते ना कि अग्नि तत्व कॉमन है। हर मुद्रा में यह इसका समावेश रहता ही है। वैसे ही जब हम चक्रास पर काम करते हैं तो आज्ञा चक्र एक कॉमन होता है। क्योंकि वो नीचे के सारे चक्रों को कंट्रोल कर रहा है। नीचे के सारे चक्रों की एक्टिविटी से जुड़ा है। तो हम किसी भी चक्र पर काम करेंगे तो हमें आज्ञा चक्र पर भी काम करना पड़ेगा। और इसीलिए आज्ञा चक्र का बीज मंत्र क्या है? ओम। तो देखिए ओम को हम किसी ना किसी तरीके से जो भी डेली क्लासेस होती है उसमें हम समावेश करते हैं। ओम चटिंग। ठीक है? चलिए आगे बढ़ते हैं। मैम इसके साथ फिर हाइपोथैलेमस पे भी हमें काम करना पड़ेगा पिट्यूटरी के लिए। हाइपोथैलेमस पर भी हम कर सकते हैं काम लेकिन अगर हम इन पर करते हैं तो वह ऑटोमेटिक होता है क्योंकि पिटरी से सब जुड़े हुए हैं ना मैडम आप कहते हैं चक्र पे काम करना है चक्र पे फोकस करना है तो किस तरह से मतलब वहां पे मंत्र का चट करें या वहां पे ध्यान लगाएं उसी उसको बहुत सारे तरीके से कर सकते हैं और कुछ आसन है वो हम कर सकते हैं जो आसन पर्टिकुलर उस चक्र पर इफेक्ट डालता है। जैसे सर्वांगासन यदि हम सर्वांगासन करते हैं तो वो विशुद्धि चक्र और आज्ञा चक्र दोनों पे इफेक्ट डालेगा। विपरीत करणी मुद्रा है। है ना? तो कुछ ऐसे आसन का हम सिलेक्शन करेंगे। कुछ ऐसी मुद्राओं का सिलेक्शन करेंगे। चाहे वो हैंड गेस्चर हो या बॉडी गेस्चर हो। ठीक है? फिर कुछ ऐसे प्राणायाम का हम सिलेक्शन करेंगे। जैसे उजाई प्राणायाम है, भ्रामरी प्राणायाम है। यह विशुद्धि और आज्ञा चक्र दोनों पे इफेक्ट डालेंगे। है ना? फिर मेडिटेशन इस तरह से करेंगे कि मेडिटेशन हम चक्रास पर कई तरह से कर सकते हैं। उनके कलर को ले कर सकते हैं। उन पर कॉन्शियसनेस ले जाकर कर सकते हैं। उनके मंत्र जो बीज मंत्र होते हैं उनको चें करके कर सकते हैं। तो इस तरह से कई तरह से कर सकते हैं। या उसका जो तत्व होता है पर्टिकुलर उस चक्र का उस पर फोकस करके कर सकते हैं। तो ऐसा बहुत सा बहुत सारे टाइप्स होते हैं। आपको देखना यह है कि आपको जिसको कराना है उसको क्या सूट कर रहा है। ठीक है। चलिए थायराइड का किसने पूरा वो एक शेड्यूल बनाया है। मैंने मैम पीडीएफ डाला था। हां आपका वो मैंने देखा वो वाकई अच्छा है। बहुत अच्छा है पीडीएफ। नो डाउट। अब जो जिन्होंने अभी तक नहीं बोला है, वह बताएं। कौन बताएगा क्या प्रोटोकॉल बनाया है थायराइड का? एक वो हाइपो और हाइप पर मैं आपको एक मिनट में डिफरेंस बता दूं। फिर अपन आगे चलते हैं। मैं यहां पर प्रेजेंटेशन पीपीटी शेयर कर रही हूं। तो थोड़ा सा वो जो डिफरेंस है वो बस मैं आपको बता दूं। [संगीत] शेयर हो रही है क्या पीपीटी? किसी को भी आंसर देना पड़ेगा क्योंकि मैं आज एक ही डिवाइस यस मैम हो रही है। ओके थैंक यू। तो ये जो थायराइड है इसके मैं मेनमैन पॉइंट बताती हूं। यह देखिए थायराइड ग्लैंड अभी जैसे कि बताया था कि बटरफ्लाई की तरह रहती है। तो ये गले पे बिल्कुल बटरफ्लाई की तरह रहती है। दिख रही है आपको ग्रे कलर की। ये पूरी थायराइड ग्लैंड है। अब ये जो थायराइड ग्लैंड है ये लगभग 15 से 25 ग्राम की बटरफ्लाई के शेप पर रहती है और यह ट्रैकिया पर सामने साइड रहती है और लेरिंग्स पर। तो इतना डिटेल जाने की जरूरत नहीं है। अब यहां पर यह जो ग्लैंड होती है, यह मेटाबॉलिज्म और ग्रोथ के लिए रिस्पांसिबल होती है और जितने भी बॉडी के ऑर्गन है सभी को बैलेंस करने में इससे जो हार्मोन सीक्रेट होते हैं वो इंपॉर्टेंट रोल प्ले करते हैं। जिसमें क्या-क्या जैसे ब्रीथिंग है, हार्ट बीट है, वेट का बढ़ना या कम होना है, इमोशंस कैसे होते हैं? उस पर किस तरह से असर पड़ता है और जैसे कई बताया था कि टी4 और टी3 को सीक्रेट करता है। तो इसका ये डिटेल है। अब इसके बाद में जो पैराथायराइड ग्लैंड है ये ये देखिए ये एक थायराइड ग्लैंड बड़ी बनी हुई है बटरफ्लाई के शेप में। इसमें यह जो येलो स्पॉट दिख रहे हैं आपको फोर यह पैराथायराइड ग्लैंड है। तो यह जो पैराथायराइड ग्लैंड्स होती हैं ये थायराइड ग्लैंड के ऊपर ही मटर के दाने के आकार की छोटी-छोटी सी ग्रंथियां होती हैं जो लगभग चार होती हैं। और ये पीटीएच पैराथायराइड हार्मोंस को सीक्रेट करती है। और ये जो पैराथायरॉइड हार्मोंस है इसका मेन फंक्शन क्या होता है? कैल्शियम और फास्फोरस को ब्लड में रेगुलेट करना। उसकी जितनी क्वांटिटी ब्लड में होना चाहिए उतनी बनाए रखना। उसे कम या ज्यादा नहीं होने देना। अब इस तरह हम देखें तो यह जो पैराथायराइड है यह कैल्शियम विनिमय करती मतलब कैल्शियम जो ब्लड में कैल्शियम होता है उसके स्टेटस को बैलेंस बनाए रखती है और जब भी कैल्शियम का स्तर मान लीजिए कम हो जाता है। तो ये जो पैराथायरॉइड ग्रंथि होती है ये पीटीएच हार्मोंस को सीक्रेट करती है ब्लड में जिससे कि उसके कैल्शियम का लेवल बैलेंस हो जाता है। और जब ये कम या ज्यादा होता कम होता है कैल्शियम ब्लड में तो उसके लिए ये किस-किस बोन, किडनी और इंटेस्टाइन ये तीन जगह से कैल्शियम को वापस लेती है और ब्लड में कैल्शियम के लेवल को बैलेंस करती है। अब इसमें देखिए इसके जो फिजियोलॉजिकल एक्शन है वो क्या-क्या होते हैं? मेटाबेलिक रेट, ग्रोथ डेवलपमेंट। यहकि हम पढ़ चुके हैं इसलिए हम यह शॉर्ट में जा रहे हैं। कार्डियोवस्कुलर सिस्टम मतलब हार्ट से रिलेटेड चीजें फिर हार्ट की एफिशिएंसी को भी यह मैनेज करती हैं। नर्वस सिस्टम मतलब जितने भी नॉर्मल नेचुरल फंक्शनंस होते हैं। जैसे किसी भी चीज को पहचानना, किसी भी चीज में डिसीजन लेना, कोई भी मूड स्विंग्स करना या फोकस करना, किसी चीज पे सारी चीजों डिपेंड करती हैं। इन्हें आप टेंपरेचर को रेगुलेट करती है और इस तरह से इनके यह अब इसमें क्या-क्या डिजीज होती है जब कॉमन जो इसकी दो डिजीज होती है म्यूट कर ले प्लीज जो अन म्यूट है वो प्लीज म्यूट कर ले अपने आप को चेना दीदी आप अन म्यूट हो म्यूट हो म्यूट कर लीजिए चेना दीदी शिफ्ट हो रही है ना अनम्यूट है फ़ करके बोल दीजिए कोई भी उनको फ़ करके मैं सेकंड उसप नहीं हूं तो मुश्किल पुराना संस्कार होता है उसको तो तुरंत ही फर्क पड़ता और जिसके संस्कार पुराना नहीं होता उसको तुम्हारे सामने चलिए थैंक यू तो यहां तक क्लियर हुआ। अब इसमें दो तरह की ही प्रॉब्लम होती हैं। या तो हार्मोन का सीक्रेशन कम हो जाता है या ज्यादा हो जाता है और दोनों ही कंडीशन में कोई ना कोई बॉडी में डिजीज हो जाती है। चेलना दीदी म्यूट कर लीजिए। आप अन म्यूट है। सर एक मिनट मैं जाइन कर ले रही हूं कोई अनम्यूट फिर मैं कर दूंगी। ठीक है? अब ये जो अगर हार्मोंस का सिकक्रेशन कम होता है। देखिए किसी भी ग्रंथि में हार्मोंस का सिकक्रेशन या तो ज्यादा होगा या कम होगा। तो जब कम होता है तो उसे हम हाइपो के नाम से देते हैं। पुकारते हैं और जब अधिक हो जाता है तो हाइपर के नाम से पुकारते हैं। तो इसमें देखिए जब हाइपो थायरॉइडिज्म और हाइपरथायरॉइडिज्म। तो इस तरह के दो बीमारियां यहां पर होती हैं और तीसरी होती है ग्लटर। यह तीन यहां पर मेन बीमारियां हैं। देखिए यहां पर यह लिखा हुआ जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोंस का उत्पादन नहीं करती तो उससे क्या होगा मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाएगा और जो यह हाइपोथायरॉइडिज्म की बीमारी हो जाएगी आयोडीन की कमी हो जाएगी और इसके लक्षण क्या होंगे थकान वजन बढ़ना कब्ज और ठंड लगना क्योंकि यह टेंपरेचर को भी रेगुलेट करते हैं बॉडी के वहीं हाइपर में क्या होगा कि अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोंस का सीक्रेशन होगा। मेटाबॉलिज्म बढ़ जाएगा और ग्रेप्स एक ऑटोइ्यून डिजीज है। वह होने की हो सकती है। हार्ट बीट बढ़ंगी, घबराहट होना, वजन कम होना ऐसे कोई भी लक्षण उसमें हो सकते हैं। तो इस तरह से यह दो इसमें प्रॉब्लम्स मेन होती है। यह हम देख चुके हैं। इसका मैं आपको यह कंपैरेटिव पिक्चर यह देखिए जब हाइपो थायरॉइडिज्म और हाइपरथायरॉइडिज्म होता है तो क्या बाल ड्राई होने लगेंगे इसमें हेयर लॉस होने लगेगा पफी फेस हो जाएगा इसमें आंखें ऐसी लगेंग कि जैसे बाहर की ओर निकल रही है अधिक बड़ी और खुली खुली दिखेंगी ग्लैटर दोनों में होगा फिर इसके बाद में हार्ट बीट जब हाइपो होगा तो स्लो हो जाएगी लेकिन वहीं पर जब हाइपर होगा तो हार्ट हार्ट बीट बढ़ जाएगी। हाइपो में वेट बढ़ने लगेगा। हाइपर में वेट लॉस होने लगेगा। कॉन्स्टिपेशन रहेगा और इसके जस्ट अपोजिट हाइपर हाइपर में डायरिया होगा। तो आप देखिए इन दोनों के जो सिम्टम्स है वो बिल्कुल अपोजिट है। हाइपो जब होगा तो उसे ठंड ज्यादा लगेगी लेकिन हाइपर जब होगा तो उसे गर्मी ज्यादा लगेगी। तो यह दोनों चीजें एक दूसरे के अपोजिट है। यह सारे इसी के सिम्टम्स हैं। अब साइकोलॉजिकल इफेक्ट्स इसमें क्या-क्या आते हैं। एक ये एडीएल भी देख लें कि एक्टिविटी ऑफ डेली लिविंग में क्या-क्या उसमें अंतर आएगा। उसको थकान ज्यादा लगेगी, कमजोरी लगेगी। उसका जो डिसीजन लेने का पावर है या किनहीं चीजों को याद रखने का पावर है वह थोड़ा थोड़ा कम होता जाएगा और उसके जो मोटर स्किल है मतलब उसके जो नर्व रिफ्लेक्शंस हैं वो भी कम हो जाएंगे। तो उस किस मूवमेंट पर इफेक्ट होगा? राइटिंग या क्लोथिंग या मान लीजिए कोई बर्तन यूज कर रहे हैं तो वो सारी चीजों के जो मूवमेंट्स होते हैं हैंड मूवमेंट्स वो इफेक्टेड होने लगेंगे। मस्कुलर वीकनेस आएगी इसमें। यह एक जो निधि जी ने भेजा था डिस्क्रिप्शन उसको मैंने स्लाइड में कन्वर्ट कर दिया है तो ये सारे डिटेल्स इसमें आ जाएंगे एक एडीएल मुझे लगा आप लोग के लिए नया होगा इसीलिए फिर वो आपको बता अब इसमें योगिक थेरेपी हम क्या कर सकते हैं ठीक है तो सबसे पहले तो इसमें हम विशुद्धि चक्र पर काम करेंगे उसके बाद इसमें प्राण वायु पर काम करेंगे हम क्योंकि गले से ले चेस्ट तक कौन सी वायु पंच प्राण में कौन से प्राण काम करते हैं प्राण काम तो वह दोनों पर हम काम करेंगे उन दोनों को बढ़ाने की कोशिश करेंगे और इसके टूल्स क्या होंगे आसन योगिक डाइट और लाइफ स्टाइल प्राणायाम मुद्रा बंद मेडिटेशन अब इसमें आसन हम कौन-कौन से कर सकते हैं सर्वांगासन हलासन मत्स्यासन उष्टासन विपरीत करणीसन यह जो आसन है ये विशुद्धि चक्र और थायराइड ग्लैंड पर बहुत अच्छे इफेक्ट्स देते हैं। प्राणायाम में हम कौन-कौन से करेंगे? ऊंचाई प्राणायाम, नाड़ी शोधन प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम। बहुत सारी मुद्रा बंद में जालंधर बंद यूज़ करेंगे। मुद्रा में विपरीत करणी मुद्रा और कुछ हस्त मुद्राएं होती हैं गैसियस। उन्हें हम यूज़ करेंगे। मेडिटेशन में कुछ ऐसे मेडिटेशन करेंगे जिससे नर्वस सिस्टम शांत हो, पीसफुल हो माइंड और इसके साथसाथ मेडिटेशन के साथसाथ योग निद्रा कर सकते हैं। विशुद्धि चक्र मेडिटेशन कर सकते हैं। विशुद्धि चक्र का जो बीज मंत्र है वो हम है। तो उसको ले भी मेडिटेशन किया जा सकता है या अजपाजप या मंत्र चेंज कर सकते हैं। योगिक डाइट कोशिश करेंगे कि सात्विक डाइट लें जिसमें पूरा फ्रेश खाना होल या ऑर्गेनिक फूड हो और जो मेटाबॉलिज्म और इनर हार्मोनी को प्रमोट करें। अवॉइड क्या-क्या करेंगे? प्रोसेस फूड को हम अवॉइड करेंगे। फिर कॉफी, टी, शुगर, राइस, फाइन फ्लोर्स इन सबको हम अवॉइड करेंगे। और इसमें कोशिश करना है कि हर्बल टी या वार्म वाटर लें जिससे कि बॉडी डिटॉक्स हो चुके। डेली रूटीन कैसा होना चाहिए? आपका स्लीप साइकिल कि आप कब उठते हैं, कब सोते हैं, यह प्रॉपर हो क्योंकि आपकी नींद भी बहुत सारी चीजों के लिए रिस्पांसिबल होती है कि वो आपको बीमार या स्वस्थ कर सकती है। तो आपकी जो स्लीप और वेक साइकिल है। फिर उसके बाद में आपका यह जो साइकिल है यह नेचुरल रिदमम से आपकी जो भी एक्टिविटीज है वो नेचुरल रिदमम से मैच करें और बॉडी में जो भी इनफ्लेमेशन हो या सपोर्टिंग सिस्टम में वो सारे रिड्यूस करें। ऐसे आपकी डाइट होनी चाहिए। फिर इसमें योगिक प्रोटोकॉल में आप क्या-क्या देते हैं? दे सकते हैं। पर्सनल पर्सनलाइज गाइडेंस उनको आप योग थेरेपी के बारे में बता सकते हैं। उनको एनर्जी के बारे में बता सकते हैं। तो इस तरह से यह एक पूरा योगिक प्रोस्पेक्ट होगा किसी भी थायराइड डिजीज वाले व्यक्ति के। अब हम आते हैं कोशेस पर। कोष में अन्नमय कोष, प्राणमय कोष, मनोमय कोष, विज्ञानमय कोष और आनंदमय कोष। ये पांच कोष हैं और हमें इन पांचों कोषों पर काम करना पड़ेगा। लेकिन अधिक काम किस पे करना पड़ेगा? अन्नमय, प्राणमय और मनोमय। तो अन्नमय प्राण पे मतलब फिजिकल बॉडी शीट होती है और इस पे क्या-क्या काम करना पड़ेगा कि यह जो लेयर है उसको हम ऐसा फूड दें, ऐसा सात्विक फूड दें कि वो हेल्दी रहे। फिर उसके बाद जो भी हम गेन कर रहे हैं या मान लीजिए फटीगनेस लग रही है और ड्राई स्किन हो रही है, हेयर लॉस हो रहे हैं इन सबके इफेक्ट्स को कम करने की कोशिश करें और यह हाइपो इफेक्ट होंगे मतलब हाइपोथायरॉइडिज्म के और अगर हाइपर के हैं तो हाइपर में क्या-क्या हो रहा है? वेट लॉस हो रहा है, पप्पिटेशन हो रहा है। तो जो हीट बढ़ रही है तो इन सारी चीजों के लिए हमको इस ग्लैंड्स को डीएक्टिव या कम एक्टिव करने की कोशिश करनी पड़ेगी। और यह जितने भी हमारे फिजिकल डिसकंफर्ट है उनको हमें डायरेक्शन देना पड़ेगा। फिर वाइटिटी को रिड्यूस करना पड़ेगा और इम्यून सिस्टम को थोड़ा सा कंप्रोमाइज करना पड़ेगा। फिर प्राणमय कोश में जाते हैं तो प्राणमय कोश एनर्जी शीट है। तो यहां पर पूरी जो शीट एनर्जी की शीट है वो बैलेंस करनी पड़ेगी। तो कोशिश करना पड़ेगा कि जो प्राण है प्राण एनर्जी है उस पर प्राणायाम के थ्रू उस पर काम करें और उसे स्ट्रांग बनाएं। अब इसमें जो हाइपो जब थायराइड होगा तो एनर्जी शीट पर क्या-क्या इफेक्ट होगा कि एनर्जी लो होगी। फिर एक स्ट्रगलिंग हमेशा लगना लगता रहेगा कि किसी भी काम करने के लिए बहुत एफर्ट करना पड़ रहा है। पुअर सर्कुलेशंस होंगे। तो यह सब डेली एक्टिविटी को यह लूज एनर्जी या लो एनर्जी इफेक्ट करेगी। वही जब हाइपर होगा तो एनर्जी लेवल पर क्या इफेक्ट होंगे कि आपको हमेशा रेस्टलेसनेस लगेगा। एंजाइटटी लगेगी। ब्रीथिंग छोटी-छोटी और शॉर्ट होंगी और जो क्रिएटिव सेंस होते हैं तो कुछ भी चीज की क्रिएटिविटी करने में आपको अनइजी लगेगा। और इसके इंपैक्ट्स क्या होंगे कि ब्रीथिंग कम शैलो पैटर्न की ब्रीथिंग होगी और जो क्रॉनिक फर्टिगनेस हर हमेशा थकान लगती रहेगी। तो यहां पर इसको हम इंप्रूव कैसे करेंगे? प्राणायाम के थ्रू इसे हम इंप्रूव कर सकते हैं। मनोमय कोष मनोमय कोष क्या है? मेंटल बॉडी है। तो जब हाइपोथायरॉइड होगा तो मेंटल लेवल पर क्या-क्या इफेक्ट्स होंगे? डिप्रेशन लगेगा। फिर इरिटेशन लगेगा। कई बार ऐसा लगेगा कि ब्रेन फग हो गया है। इमोशनली हम जीरो हो गए हैं। हमारा दिमाग बिल्कुल सो गया है। और वहीं पर जब हाइपरथायराइड होगा तो एंजाइटटी होगी, नर्वसनेस लगेगी या अनप्रिडिक्टेबल मूड स्विंग्स होंगे और इमोशनल हमेशा बैलेंस नहीं रहेंगे। उसमें डिस्टरबेंस होता रहेगा और इसके इंपैक्ट क्या होगा? मेंटल फग मतलब ऐसा लगा कि पूरे ब्रेन में एक फग जम गया है। सिग्निफिकेंट इमोशनल जितने भी आपके इमोशनल सिग्निफिकेंट्स है वो सब ऐसे लगेंगे कि वो रेगुलेट नहीं हो रहे हैं। वो आपसे संभाले नहीं जा रहे हैं। और जो क्लेरिटी है आपकी सोचने की समझने की वो कम होती जा रही है। वहीं जब विज्ञानमय कोष पे जाएंगे जो कि विडम बॉडी शीट है तो यहां पर क्या-क्या इफेक्ट्स होंगे? यहां पर हमारी अवेयरनेस रहती है। हायर अवेयरनेस, गाइडनिंग और डिसीजंस। तो जब हाइपोथायराइड होगा तो इस शीट पर क्या इफेक्ट होगा कि ब्रेन फग लगेगा। कंसंट्रेशन आपका बहुत कम हो जाएगा और बहुत मेमोरी ऐसा लगता है कई चीजों को बार-बार भूल रहे हैं। बहुत फ्रस्ट्रेट होंगे उन चीजों से और वहीं जब हाइपर रहेगा तो आपको कैसा लगेगा कि बिल्कुल विचारों की दौड़ लग रही है और आप उसको रोक नहीं पा रहे हैं और फोकस करने में बहुत अधिक मुश्किल होगी और क्लेरिटी नहीं आएगी क्योंकि आप फोकस नहीं कर पा रहे हैं तो क्लेरिटी नहीं आएगी तो इसका इंपैक्ट क्या होगा कि आपके जजमेंट पे इंपैक्ट होगा कि आप किसी भी चीज पर डिसीजन ले रहे हैं या जजमेंट कर रहे हैं तो वह हो सकता है गलत होगा। आपकी लर्निंग कैपेसिटी कम होती जाएगी। मतलब आपकी जो कॉग्निटिव बुद्धि है वो धीरे-धीरे कम होती जाएगी। और जब हम पांचव कोष मतलब आनंदमय कोष पे जाएंगे जहां पर कि द ब्लिस बॉडी शीट है। तो यहां पर क्या-क्या होगा कि यहां पर जब थायराइड के इफेक्ट्स होंगे कि खुशी की कमी हो जाएगी। कि हमेशा ऐसा लगेगा कि फीलिंग ऑफ डिटचमेंट मतलब किसी चीज में मन नहीं लगना, स्पिरिचुअल आध्यात्म से भी दूर होने लगेगा। अंदर की खुशियां जो है वो खत्म होती जाएंगी और इसका असर क्या होगा कि अंदर की शांति खत्म हो जाएगी और आपके सेंस के जो पावर्स है वो कम होते जाएंगे। आपकी जो ओवरऑल हेल्थ है वो डाउन होती जाएगी। तो इस तरह से यह पांचों प्राण पर इसके इफेक्ट होंगे। तो ये एक एग्जांपल हमने लिया था। ऐसे ही आप हर एक डिजीज को चक्रास पे क्या इफेक्ट होंगे? प्राणांस पे क्या इफेक्ट होंगे? इस तरह से आप पूरा चार्ट करते हैं तो आपको बहुत जल्दी समझ में आने लगेगा कि आपको करना क्या है। जो अभी आप कंफ्यूजन की पोजीशन में है ना वो बहुत इजी समझ में आने लगेगा। सो अब हम अभी तो हम थायराइड जी निधि जी आसन से हम को बैलेंस करते हैं। तो जैसे अभी विशुद्धि की बात हो रही है। चक्र के लिए को हम एक्सटेंशन में वॉइस अगेन क्लियर नहीं है वो ब्रेक हो के आ रही है। बिलकुल नहीं आ रही मैम बिलकुल भी नहीं आ रही। बस इतना समझ में आया कि विशुद्धि चक्र में नेक एक्सटेंशन पर लेंगे या नहीं पांच मिनट बाद आप कर लीजिए। चलिए तो साक्षी जी आप क्या पूछना चाहती हैं? मैम जैसे आपने बताई है हाइपर में हाइपर जब होगा हाइपरथायरॉइड तो इसमें हमारे विचार जैसे बहुत ज्यादा आते हैं वो हाइपर होता है। तो मैम जैसे किसी किसी को ये होता है कि वो हर टाइम कुछ ना कुछ कुछ ना कुछ दिमाग में सोचते ही रहते हैं। कुछ ना कुछ सोचते ही रहते हैं। पर जरूरी नहीं है कि उनको थायराइड हो। ऐसा भी होता है। बिल्कुल हां ऐसा भी होता है। तो मैम उसका क्या जो ओवर एक्टिव रहते हैं ना जिनकी मेंटल देखिए तीन एनर्जी हमारे अंदर रहती है। फिजिकल, मेंटल और स्पिरिचुअल। तो जब तक फिजिकल और मेंटल बैलेंस रहेंग तो आप बहुत शांत रहेंगे। जैसे सपोज आप छोटे बच्चों में देखो यह बहुत क्लियर समझ में आता है। कई बच्चे होते हैं कि वह बहुत शांत होते हैं तो उनकी यह बैलेंस होती है। और कई बच्चे ऐसे होते हैं कि जो बहुत अधिक मतलब एक जगह सीधा बैठते ही नहीं है। तो उनकी क्या है? मेंटल एनर्जी थोड़ी सी कम है लेकिन फिजिकल एनर्जी अधिक है। बैलेंस नहीं फिजिकल एनर्जी अधिक है। और कई बच्चे ऐसे होते हैं कि जो शांत तो बैठते हैं लेकिन लगातार कुछ ना कुछ सोचते रहते हैं। कुछ ना कुछ मतलब उनके हाथ से वो कुछ करते रहेंगे। कहीं ड्रॉ कर रहे हैं कहीं कुछ तो उनकी मेंटल एनर्जी है। देखिए है ना? तो यह जरूरी नहीं कि थायराइड के कारण। ओवरथिंकिंग यह एक साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर भी है। ओवरथिंकिंग तो मैम ये प्राणायाम से इसको थोड़ा क्योर किया जा सकता है। बिल्कुल थैंक यू। मेडिटेशन प्राणायाम से बिल्कुल किया जाए। ठीक है। थैंक यू मैम। रुचि जी ऋतू जी मैम एक चीज समझनी है क्योंकि ये मुझे बार-बार हमेशा कंफ्यूज करती है कि हाइपर और हाइपो में हाइपर में हर चीज बढ़ रही है। लेकिन यहां वेट घट रहा है। मतलब ये चीज मैं कंफ्यूज हो जाती हूं। लिखने के टाइम पे भी मुझे एग्जाम में भी लगा कि शायद मैं गलत लिख रही हूं कि हाइपर में बढ़ना चाहिए। हर चीज बढ़ रही है तो वेट भी बढ़ेगा। देखिए ऐसा जरूरी नहीं है। आप वो हार्मोंस बढ़ने पर वो क्या काम कर रहा है। है ना? अगर मान लीजिए वह घटता है तो बॉडी का वेट बढ़ने लगता है। तो यह तो उसका फंक्शन है। यह कोई कोरिलेशन नहीं है इसका। क्योंकि हर चीज इसमें बढ़ रही है। हाइपर मींस बढ़ना। लेकिन यहां पर हो रहा है कि इसका वेट हाइपो में बढ़ रहा है। हर चीज नहीं बढ़ रही। हाई चीज हर चीज नहीं बढ़ रही। आप इसको ऐसे नहीं रिलेट करें। हाइपो मतलब उस हार्मोंस के सीक्रेशन को बढ़ रहा है और वह सीक्रेशन बढ़ रहा है तो उसके जो फंक्शन होंगे मान लीजिए वो मास को मास डेंसिटी को कम करता है तो वेट कम होने लगेगा जब वो बढ़ गया तो और तेजी से कम करेगा तो वेट कम हो जाएगा तो उसके जो भी फंक्शन होंगे वो बढ़ेंगे है ना इसको थोड़ा सा इस तरह से समझिए कि जैसे थायराइड बढ़ा है ना हार्मोंस के सीक्रेशन बढ़ा तो वो इसके जितने जो जो फंक्शन होंगे वो अधिक करेगा। अब जैसे वो बॉडी के कंट्रोल को मेंटेन टेंपरेचर को मेंटेन करता है। अब वो बढ़ा तो वो हीट बढ़ने में हीट ज्यादा प्रोड्यूस होती है तो वो हीट बढ़ाएगा। ठीक है? लेकिन वो बोन डेंसिटी या मास इंडेक्स को या पृथ्वी तत्व को कम करता है। जैसे-जैसे वो बढ़ता है पृथ्वी तत्व कम होता जाता है तो वजन कम होगा। तो उसके जो काम है वो बढ़ेंगे। अब डिपेंड करता है कि उसके काम क्या है। यदि मान लीजिए वो पृथ्वी तत्व को बढ़ाता तो वजन बढ़ जाता। है ना? तो वो ये समझ सकते हैं कि पृथ्वी तत्व को कम कर रहा है। हां तो उसके जो काम है वो बढ़ जाएंगे। सिंपल सा देखिए वो मेटाबॉलिज्म को बढ़ा रहा है। मेटाबॉलिज्म जब भी बढ़ेगा तो वजन कम होगा। यह कोरिलेशन तो आपको मालूम ही होगा। है ना? तो जब वह मेटाबॉलिज्म बढ़ाएगा तो वेट कम करेगा। मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाएगा तो वजन अधिक हो जाएगा। और एक चीज और पूछनी थी मैम जैसे आप आपने बोला प्राण वायु को हम उस पर काम करेंगे तो प्राण वायु तो हम हर हर डिजीज में काम करेंगे प्राण वायु पर तो उसके लिए हमने ये मेडिटेशन और प्राणायाम यही दो टूल रहेंगे नहीं इसके लिए मुद्राएं बहुत अच्छा काम करती है और हर डिजीज में प्राणवायु नहीं करेंगे जैसे अगर मान लीजिए हम एक्सक्रिटरी से या रेोडक्टिव सिस्टम से रिलेटेड कोई बीमारी है सपोज तब हम अपान वायु पे काम करेंगे। प्राण वायु पे नहीं करेंगे। तो इनके लिए जो हैंड गेस्चर होते हैं स्पेसिफिक वो बहुत अच्छे-अच्छे होते हैं। तो उनसे ये इनक्रीस या इनको आप कम कर सकते हैं। हैंड गेस आपको बोल रही हूं। हस्त मुद्राएं जो हम लगाते हैं ना ये ध्यान मुद्रा है ना? जैसे ये प्राण वायु है। तो अभी अभी जो आप बोल रहे थे तो वो मुद्रा भी तो हस्त मुद्राएं थे तो विष्णु मुद्राएं बहुत तरह की होती है। हस मुद्रा होती है, बॉडी मुद्रा होती है, माइंड मुद्रा होती है, बंद मुद्रा होती है। एक ही तरह की नहीं होती ना। अच्छा। तो जो यह मुद्रा है जिसको अपन प्राण अपान मुद्रा कहते हैं। यह ब्लड सर्कुलेटरी हार्ट चेस्ट रीजन के लिए बहुत अच्छी होती है। तो जैसे मान लीजिए अब हम थायराइड वाले व्यक्ति को मान लीजिए हम मेडिटेशन करा रहे हैं। तो हम कोशिश क्या करेंगे कि उसकी एक हाथ की मुद्रा यह हो, दूसरे हाथ की मुद्रा यह क्योंकि यह ब्रेन पर काम करती है। यह सर्कुलेटरी सिस्टम या मान लीजिए हम उसको दो बार एक बार मंत्र चट वगैरह करा रहे हैं। एक बार फिर लास्ट में प्राणायाम करा रहे हैं। तो एक बार वो यह मुद्रा लगाए एक बार यह लगाए। जब हमको अपान प्राण पे अकेले काम करना है। मान लीजिए नाइंथ मंथ है किसी की प्रेगनेंसी का। अपान प्राण को बढ़ाना है तो हम उसको यह अपान मुद्रा बोलेंगे कि जिससे उसके अपान प्राण स्ट्रांग हो। देखिए अपान प्राणी वह होते हैं जो शरीर के अंदर से बाहर लाने के लिए किसी भी चीज को पुश करते हैं। चाहे वो स्टूल हो, यूरिन हो या डिलीवरी के समय तो मैम कॉन्स्टिपेशन में भी इसको अगर स्टोन के कारण यूरिन ब्लॉकेज नहीं है। अगर स्टोन उसका रीजन नहीं है तब भी आप ही यूज कर सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि बहुत अधिक गैस्ट्रिक प्रॉब्लम होती है और गैसेस रिलीज नहीं होते हैं तो बहुत अधिक बेचैनी लगती है। उस समय आप यदि वज्रासन में बिठाकर यह मुद्रा यूज करें तो बहुत जल्दी वो गैसेस रिलीज हो जाएंगे। अनइजी लगता रहता है बहुत लोगों को। तो यह जो साइंस है यह बहुत ही बड़ा है। मतलब जितना पढ़ो उतना कम है। ऐसा कह सकते हैं हम। इतना क्लियर हुआ? और क्योंकि बहुत सारी चीजें नई है तो थोड़ी सी तो मेहनत हमें करनी ही पड़ेगी उसको पढ़ने के लिए। आप लोग जरूर ऐसा जरूर करिए कि जैसे मान लीजिए थोड़ा सा ग्रुप में अगर किसी को कुछ नहीं समझ में आता है तो वह ग्रुप में डाल दे या उसको मालूम है कि यह व्यक्ति ये समझा सकता है तो उससे समझ ले जैसे एक ग्रुप डिस्कशन होता है ना जैसे मन मतलब अगर योग बैकग्राउंड नहीं है तो यह चक्र मुद्रा यह सब नई चीज हो जाती है और अभी थोड़ा सा फास्ट जा रहा है तो उससे क्या होगा आप लोग का भी जिनको मालूम है वह अगर रिवाइज कराएंगे तो उनका भी एक रिवीजन हो जाएगा और जिनको थोड़ी सी दिक्कत हो रही है उनको भी हेल्प हो जाएगी तो कोशिश करें कि इस तरह से एक दूसरे की हेल्प करें तो ठीक रहेगा ठीक है प्रीति जी श्योर मैम अगर मेरे से किसी को कुछ भी ऐसा लगता है और मैं जवाब दे सकती हूं तो जरूर हां बिल्कुल क्योंकि आप लोग पढ़े हुए हैं ना ये सारी चीजें बेस है आपका ये प्रीति जी मैम जो एंडोक्राइन ग्लैंड में पिट्यूटरी एंड ग्लैंड है तो वो मास्टर ग्लैंड पिट्यूटरी को बोला और पीनियल ग्लैंड हमने बोला मेन मेलाटोनिन हार्मोन के लिए है तो जो हाइपोथैलेमस है इट इज कॉल्ड मास्टर ऑफ मास्टर ग्लैंड क्योंकि उसी से रिलीज िंग हार्मोस रिलीज होंगे तब पिट्यूटरी अपना फंक्शन कर पाएगी। तो हम जब मेडिटेशन में जाते हैं या हम नाद में जाते हैं तो हम ऐसा थोड़ी हमको वििबल तो है नहीं कुछ भी चीज ना हाइपोथैलेमस ना ग्लैंड्स। तो हम इस तरह से क्या ऐसा मतलब उस तरह मेडिटेशन में क्या ऐसा करें कि जो हमारे वाइब्रेशन है या जो हम मेडिटेशन में जा रहे हैं जो बिल्कुल कामनेस है और नाद में जो वाइब्रेशन है वो वहां पर पूरा उस उस पोशन को हाइपोथैलेमस को एनर्जी करें कि वो हार्मोंस बैलेंस रहे। देखिए जब मेडिटेशन की बात आती है तो दो तीन टर्म्स बहुत यूज होते हैं। एक तो हाइपोथैलेमस। ठीक है? हां निधि जी भुजंगासन विशुद्धि चक्र पर प्रभाव डालता है। अगर प्रॉपर ढंग से किया जाए तो अदर वाइज जीरो इफेक्ट होता है। तो जब मेडिटेशन की बात होती है तो मेडिटेशन में दो तीन टर्म्स बहुत यूज़ होते हैं। एक तो हाइपोथैलेमस वेगस नर्व जिसको ग्स फीलिंग या ऐसा बोलते हैं। है ना? तो हमेशा यह ध्यान रखिए कि यह जो पीनियल, पिट्यूटरी, एमगला, हाइपोथैलेमस यह सब बहुत क्लोज क्लोज है। इनमें बहुत अंतर नहीं है। तो इफेक्ट वो सभी जगह जाएगा। ठीक है? और जब भी हम नाद करते हैं तो उसमें देखिए जैसे अगर हम एग्जांपल ओम का ले लेते हैं क्योंकि ओम एक बड़ा कॉमन है तो हम ओम का ले लेते हैं। है ना? ओम में क्या होता है? तीन अक्षर से मिलकर बना है। अ, उ और म। जब आप अ को नाद करते हैं तो आपके नेवल और उसके आसपास का पूरा जितना एरिया होता है वो वाइब्रेट होता है। इसका मतलब क्या है? वेगस नर्व का एक बहुत बड़ा पार्ट आपके एब्डोमेन में रहता है। स्टमक का। तो वेगस नर्व एक्टिवेट हो रही है। वहां पर सेरीब्रो स्पाइनल फ्लूइड है। सीएसएफ है वह वाइब्रेट हो रहा है तो उसका असर ब्रेन तक जा रहा है। है ना? फिर जब हम उ चें करते हैं तो उ में क्या होता है? हार्ट के आसपास वाइबेशंस होते हैं। आप लोग ने पता नहीं कभी अलग करके देखा या नहीं लेकिन देखिएगा। तो हार्ट के आसपास अगेन वेगस नर्व हो रही है। फिर हार्ट और लंग्स तो इफेक्टेड हो ही रहे हैं। और जब अंत में म करते हैं तो उसका गले उससे ऊपर पूरा सिर तक सहस्त्रार चक्र तक तो उसका मतलब क्या होता है कि उसमें आपके सारे ग्लैंड यानी जो मास्टर चाहे वो हाइपोथैलेमस हो चाहे वो पिट्यूटरी ग्लैंड हो पीनियल ग्लैंड हो विशुद्धि चक्र के पास थायराइड ग्लैंड हो ये सारे इफेक्टेड होंगे तो जब भी आप नाद करेंगे और कोई भी नाद का वो पोर्शन जो आपके गले गले से सिर तक इफेक्ट कर रहा है वो आपके हाइपोथैलेमस पीनियल पिट्यूटरी को इफेक्ट करेगा ही और इसीलिए आप जब बोलते हैं ना अरे बहुत अच्छा लगा बहुत अच्छा लगा क्योंकि शांत हो जाते हैं और हर व्यक्ति शांति चाहता है निधि जी गले को आप चाहे स्ट्रेच करें चाहे एक्सटेंड करें वो विशुद्धि चक्र पर इफेक्ट डालेगा ही किसी भी तरह का मूवमेंट इवन कॉन्ट्रक्शन भी करेंगे आप तो भी डालेगा तो जब हम भुजंगासन करते हैं तो मोस्टली हम क्या करते हैं भुजंगासन में कि कोई अभी मैट वेट बिछाए है क्या नहीं होगा ना अभी मंडे को जब हम करेंगे तो मुझे याद दिलाइएगा भुजंगासन का ठीक है कोई भी आप लोग याद दिलाइएगा तो मैं बिछा लेती हूं मैम आप एक्चुअली मंडे को सभी मेट पे रहेंगे ना तो सब करके देखेंगे तो इफेक्ट्स अच्छा आएगा। वो देखने से नहीं समझ आएगा। बस मुझे एक बार रिकॉल करा दीजिएगा कि भुजंगासन करना है। ठीक है? तो भुजंगासन का बहुत अच्छा इफेक्ट आता है विशुद्धि चक्र पर। फिर सर्वांगासन शीर्षासन का भी इफेक्ट आएगा लेकिन थोड़ा कम होता है कंपेरेटिवली सर्वांगासन विपरीत करणी मुद्रा फिर उष्टासन जिसमें हम सिर को पूरा पीछे जाते हैं। अब यहां पर एक प्रॉब्लम ये आती है कि जैसे आप लोग बोलते हैं कि कहां तक नाम याद रखेंगे कि इस बीमारी में यह आसन है ना तो अब जब आप योग थेरेपी में आ रहे हैं तो आपको नाम रखने की जरूरत नहीं है। आपने यह फाइंड आउट कर लिया ना कि आपको काम कहां करना है? गले पर। थायराइड है। मतलब आपको कहां काम करना है? गले पर और गले के ऊपरी हिस्से में। यह क्लियर हो गया आपको? तो अब आपको यह देखना है कि किसी भी तरह इस जगह पर स्ट्रेचिंग हो या कॉन्ट्रक्शन हो या एक्सटेंशन। मतलब इसको हम ऊपर की ओर खींचे, सामने की तरफ झुकाएं या पीछे की तरफ ले या लेटरल बेंडिंग। ओवरऑल क्या होगा कि यह पूरे हिस्से में असर डालेगा। और जब इस पूरे हिस्से में असर डालेगा तो मतलब वह विशुद्धि चक्र पर इफेक्ट पड़ना ही है। अब आप इमेजिन कीजिए कि कौन से आसन ऐसे होते हैं जिसमें यहां पर इफेक्ट होता है। मकरासन आप करते हैं जो ऐसे हाथ रख के यहां पर बहुत अच्छा इफेक्ट होता है। है ना? जब आप मत्स्यासन करते हैं कि क्राउन हेड को पूरा ऐसा ऊपर करके इसको फ्लोर से टच करते हैं। तब कहां पर इफेक्ट आएगा? यहां पर भुजंगासन प्रॉपर कर रहे हैं तो कहां पर इफेक्ट आ रहा है? यहां पर। तो आपको नाम याद रखने की जरूरत नहीं है। आपको ये देखना है कि मैं बॉडी का पोश्चर कैसे क्रिएट करूं कि इफेक्ट यहां आए। मैम सेतु बंदा आसन भी इसमें आएगा। सेतु बंदा आसन भी आएगा। जिसमें भी देखिए जालंधर बंद जिसमें भी लगेगा। क्योंकि जब जालंधर बंद लगा रहे मतलब हम क्या कर रहे इसको पूरा कॉन्ट्रैक्ट कर रहे हैं ना इस हिस्से को तो इस असर देखिए जैसे एक स्पंज होता है ना अगर उसको आप रोज ऐसे दबाते छोड़ते रहे तो उसकी जो फ्लेक्सिबिलिटी है वो मेंटेन होती है और अगर आपने उसको रख दिया और अचानक एक साल बाद ऐसा आप दबाइए तो ऐसा क्रश हो जाएगा या कोई रबर बैंड आप देखिए तो हमें फाइनली करना करना यह है कि अपने जिस पोर्शन में प्रॉब्लम है उसको प्रॉपर एक तो एक्सरसाइज देनी है। तो वो हमने किस किसके थ्रू कर लिया? आसन के थ्रू। ठीक है? वो आसन सेलेक्ट किए जो इस भाग पर इफेक्ट डाले। फिर हम आते हैं प्राणायाम पर। तो प्राणायाम में भी हम कौन से चूस करेंगे जो इस पर इफेक्ट डाले। अब आप देख रहे हो कि जो थायराइड हो रहा है उसमें या तो एक्टिविटी कम हो रही है या ज्यादा हो रही है। तो कम और ज्यादा किससे होंगी? या तो सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम अधिक एक्टिव है या पैरासिंैथेटिक नर्वस सिस्टम। इन दोनों को यदि हम बैलेंस कर दें तो वो एक्टिविटी काफी हद तक मैनेज हो जाएगी। अब वो बैलेंस किस प्राणायाम से होता है? नाड़ी शोधन प्राणायाम से। तो आपको एक कौन सा प्राणायाम मिल गया? नाड़ी शोधन प्राणायाम मिल गया। ठीक है? अब इस भाग पर कौन सा इफेक्ट डालता है? उजाई प्राणायाम। पूरा यहीं पर बेस है और भ्रामरी प्राणायाम। क्योंकि इसमें भी वाइब्रेशन यहां से सिर तक रहते हैं और हमको यहीं पर काम करना है। तीन प्राणायाम मिल गए आपको। अब बंद पर आए। तीन बंद होते हैं मूल बंद, उ बंद और जालंधर। तो यहां पर बिल्कुल सिंपल सा है। कौन सा बंद काम करेगा? जालंधर बंद काम करेगा क्योंकि वही इस भाग में लॉक होता है। चक्रास पे आए तो विशुद्धि चक्र हो गए। पंचकोश आपको मैंने बता ही दिए डिटेल में। ठीक है? तो इस तरह से अब यदि मेडिटेशन पे आए तो हमको वो मेडिटेशन करने हैं जो इस भाग पे इफ़ेक्ट डालें। तो जैसे जो विशुद्धि चक्र का बीज मंत्र है, आज्ञा चक्र का बीज मंत्र है, वह हम ले सकते हैं। उनके कलर्स ले सकते हैं। है ना? तो यह देखिए हमारा पूरा एक जो थायराइड के लिए है, एक पूरा तैयार हो गया प्रोटोकॉल। है ना? अब जब हम उसको आसन कराते हैं या सिंग या खड़े करके करते हैं तो हम उसके अलाइनमेंट्स देख लें कि उसकी बॉडी कहां से मिसअलाइन है और उसको हम करेक्ट कर लें। ठीक है? तो इस तरह से कोई भी बीमारी को ले हम एक प्रोटोकॉल बना लेते हैं। अब यह तो हो गया पूरा फिजिकल। अब मेंटल कैसे देखोगे? क्योंकि मेंटल कभी भी वो व्यक्ति खुद नहीं बता पाएगा कि उसे क्या दिक्कत है और वो कैसा है। आज तक किसी को बोलते सुना क्या कि मैं तो बहुत नेगेटिव हूं यार या मैं तो बहुत सबका बुरा चाहता हूं या तो वाओ आज भी तीन लोगों का बुरा करके आ गया। तो वह आपको सर्च करना पड़ेगा कि उसकी वे ऑफ थिंकिंग कैसी है। वह किस चीज को ले क्या सोच रहा है। उसके शब्द कैसे हैं? किसी भी चीज पर जैसे आपके सामने कोई चीज हुई तो उस पर कैसा रिएक्शन दे रहा है। तो उससे आपको फाइंड आउट करना पड़ेगा। फिर आपको देगा अरे ये नेगेटिव वर्ड बहुत यूज़ कर रहा है। भले ही वो बोल रहा है मैं 100% पॉजिटिव हूं। लेकिन वह बहुत नेगेटिव वर्ड यूज कर रहा है। तब आपको धीरेधी उसको टर्न करना पड़ेगा। उसको यू टर्न दिलाना पड़ेगा। लेकिन वो बहुत स्लो दिलाना पड़ेगा। अदर वाइज वो बोलेगा रहने दो आप अपना ज्ञान अपने पास। है ना? तो एक आई ओपनिंग वाला उसको मूवमेंट देना पड़ेगा कि अच्छा ऐसा हुआ। आपने ऐसा बोला। अच्छा अगर ऐसा बोलते तो कैसा होता? उसको एकदम लगे हां ऐसा तो हो सकता था। जैसे हमने वह एक स्कूल का एग्जांपल लिया था स्कूल और उसके बच्चे का तो वो हमारे लिए भी आई ओपनिंग है ना कि हां ऐसा तो हम कर सकते थे। इसमें तो कोई बहुत बड़ी ऐसा नहीं है कि दिक्कत वाली बात है। और यह हमको कहीं सच लग रहा है। तो इस तरह के आपको उसको एग्जांपल देके और धीरेधी उसको टर्न करना पड़ेगा। तो इसमें कुछ तो आपकी बातें टर्न करेंग। कुछ जब वह एक्सरसाइज, प्राणायाम, मेडिटेशन यह सब चीजें करेगा तो उसकी चेतना ऑटोमेटिक ऊपर बढ़ेगी तो कुछ बदलाव उसके अंदर से ऑटोमेटिक आएंगे मेंटली। जैसे अभी आप सब लोग अपने आपको जब योग नहीं करते थे उस समय की पोजीशन में देखें और आज की पोजीशन में देखें। तो आपको अपने मेंटल स्टेटस में बहुत चेंज लगेगा। उस समय किसी भी चीज पर जो आप एक रिएक्शन देते थे वह आज नहीं दे पाएंगे। कोशिश करेंगे तो भी नहीं दे पाएंगे। तो देखिए यह थायराइड का पूरा बन गया आपका। अभी सभी सेटिस्फाई है ना कि हां थायराइड का हो गया। और इजी है ना? आप लोग इतना टेंशन ले रहे थे। यह याद करना पड़ेगा, वो याद करना पड़ेगा। कुछ भी नहीं याद करना है आपको। अब जैसे यहां के मसल्स के आपको नाम नहीं मालूम नहीं मालूम रहने दीजिए। क्या ही फर्क पड़ना आपको? यह तो मालूम है ना कि इस मसल पे काम करना है। ठीक है ना? वो धीरे-धीरे हम इंप्रूव कर लेंगे। जब बार-बार वो चीज होगी। मान लीजिए आप पांच पेशेंट थायराइड वाले जब ट्रीट करेंगे ऑटोमेटिक उसकी टर्मिनोलॉजी आपको याद हो जाएगी क्योंकि आप बार-बार वो पढ़ रहे हैं उसकी स्टडी कर रहे हैं तो अब इजी लग रहा है कि टफ इजी है मैम बहुत इजी हो गया थोड़ा सा कॉमन सेंस हम यूज़ कर मैम एक चीज पूछूंगी मैम जैसे आपने बताया जो आसन हम करवाएंगे थायराइड के लिए वो सारे नेक हेड बेंडिंग वाले होंगे पीछे मैम जिनको बीपी वगैरह इश्यूज है वो तो वो चीज कर ही नहीं पाएंगे तो उनको क्या हम मेडिटेशन और प्राणायाम से ही कराएं फिर नहीं उनको हम करा सकते हैं कि जैसे आप आराम से लिटा दें उनके शोल्डर के नीचे से एक पिलो रख दें कि जिससे उनका इस तरह से यह एक्सटेंड हो जाएगा है ना एक पिलो यदि आप शोल्डर से रखें और उनको बोले कि इसको इस तरह से रेस्ट करके रखें। फिर धीरे से ऊपर उठाएं। जब ऊपर उठाएंगे तो यहां पर कोई भी सपोर्ट नहीं रहेगा। फिर नीचे ले जाए। तो इस तरह से आप करा सकते उनको तो मैम इसमें तो बस एक लेट के ही वेरिएशन हम उनको करा सकते हैं। नहीं आसन भुजंगासन और ब्रिज पोज भी करा सकते हैं। उसमें ज्यादा इफेक्ट भुजंगासन मैम करा सकते हैं। बट ब्रिज पोज में तो मैम वो पूरा ही हो जाएगा। सेतु में बहुत सारे करा सकते हैं आप सेतु बंद में आप नीचे पिलो करा सकते हैं ना तो ऐसे प्रॉप्स को यूज करें भरपूर यूज करें प्रॉप्स यूज करने में बिल्कुल हेजिटेट ना हो और मैम अपन बहुत सारा नहीं करा करके सिर्फ भुजंगासन या जो एक सेतु बंदा है ये दोनों को अच्छी तरह से होल्ड करवा करके इस पे ही जोर दे तो भी तो हो सकता है मैम हमेशा ध्यान रखिए कि जब आप शुरू करते तो पहले तो शुरुआत में कभी भी होल्ड मत कराइए। शुरुआत में उनको एक्टिव कराइए कि गए आ गए गए आ गए क्योंकि आपको फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ानी है। फिर जब यह एक मेंटेन हो गई तो फिर आप उनको 5 सेकंड से होल्ड कराना शुरू कीजिए। फाइव फिर 10 तो ऐसे करते करते 30 सेकंड तक लाएं। हो सकता है 30 सेकंड आने में उनको दो महीने लग जाए। तो हमेशा जितना स्लो आप आगे बढ़ेंगे ना उतने रिजल्ट्स अच्छे मिलेंगे। जब हम बहुत फास्ट कराने की कोशिश करते हैं ना कि जल्दी जल्दी करा दें रिजल्ट मिल जाए तो वो कहीं ना कहीं हार्मफुल हो जाते हैं कई बार। ठीक है। मैम हमसे ज्यादा लोगों को होता है कि हमें जल्दी जल्दी करा दो। उनको साफ बोलो। मेरे पास कोई मैजिक नहीं है। आपने अपने शरीर को 40 साल में बिगाड़ा है। अब मुझे 40 मंथ दीजिए कम से कम। बिल्कुल शुरू में ही मना कर दो ना। ये जादू की छड़ी नहीं कि हमने घुमाई और आप ठीक हो गए। अगर हम मेहनत करेंगे तो आपको भी मेहनत करनी पड़ेगी हमारे साथ। बिना मेहनत किए नहीं होने वाला है। कुछ अगर हम शुरू में ही क्लियर कर देते ना तो वह एक्सपेक्टेशन कम हो जाते हैं। निधि जी मैम जैसे हम अभी ना करते तो ओम अरम नम करते हैं तो ओम अरम नम का अगर हम फीक करना चाहे चक्रास को तो फिर हम जैसे आज मैंने ऐसा सोचा था तो क्या वो सही है कि नहीं जैसे आज मैंने ऐसा फील किया कि जब ओम बोल रहे हैं तो नाभि अंदर जा रही है तो हम नाभि स्थान पर ओम को विजुअलाइज कर रहे हैं फिर अ को आनंद केंद्र पर फिर आनंद फिर र अ को यहां पर आनंद के पर फिर यहां पर हो रहा है। फिर हम की ध्वनि जब यहां पर आ रही है तो हम सहस्त्रार शब्द को विजुअलाइज करते हुए फिर नमक करते हुए छोड़ दें। कर सकते हैं आप। उसमें ये पैटर्न होता भी है। अच्छा उसमें ये पैटर्न रहता भी है ना का। हां। हां जैसे इसमें हम चक्र को मतलब हमारा फोकस करते हुए चक्र पे ध्यान लगाते हुए हम ये कर सकते हैं ना? बिल्कुल कर सकते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है। बल्कि उसका एक वो जो आरंभ का एडवांस नाद है उसमें ये चीजें हैं। किस वर्ण में मेरे ख्याल से ये चेना जी शायद उसको ज्यादा अच्छे से बता पाएंगी। मैम यही है जो दीदी ने बताया निधि दीदी ने यही है तरीका। उसमें बीच में तीन सांसों से सांस करवा सकते हैं स्टार्टिंग में। थोड़ी शॉर्ट ब्रीथिंग बीच में शॉर्ट ब्रीथिंग बीच में दो ब्रीथिंग और लेकर के इसको तीन सांसों के साथ करा सकते हैं। तो अगर स्टार्टिंग में एक में नहीं बनता है तो फिर एक र के बाद शॉर्ट ब्रीथ कर लेते हैं और अगर एक ही ब्रीथ में कर पाते हैं तो बहुत अच्छी चीज है। मैम नाक का ड्यूटेशन ज्यादा से ज्यादा कितना होना चाहिए? वो डिपेंड आपके ऊपर है। आपकी कितनी कैपेसिटी है ब्लीडिंग की? मींस कैपेसिटी बढ़ानी कितनी है? उसको आप बहुत बढ़ा सकते हैं। तीन मिनट तक तो काफी लोगों की बढ़ी मिल जाती है कि वो तीन मिनट तक होल्ड कर सकते हैं। तो लेकिन धीरे-धीरे शुरू करें। होता यह है कि आप कोई भी प्राणायाम करते हैं जब तक कि स्पेशल कोई इंस्ट्रक्शन ना दिया जाए तो उसका रेशो जनरल होता है कि यदि आपने एक सेकंड सांस ली है तो आप उसको चार सेकंड होल्ड करें और दो सेकंड तक सांस को बाहर छोड़ें। तो मतलब आपके इनेल से डबल एक्सेल और एक्सेल से डबल आपका होल्ड जो हम ऐसा करके प्राणायाम करते हैं ना एक्चुअली वो यूज़फुल नहीं होते हैं। प्राणायाम का मतलब ही होता है कि आप कितना रिटेन कर सकते हैं प्राण को। कितना रोक सकते हैं। और इसका भी एडवांस वर्जन कब जाता है कि जैसे आप एक सेकंड सांस लेते हैं, 4 सेकंड रोकते हैं। फिर टू सेकंड एक्सेल करते हैं। फिर फोर सेकंड रोकते हैं। ये इसका एक फाइनल वर्जन है। लेकिन ये लास्ट वाला जो अंत कुंबक होता है वो उतना सॉरी बाह्य कुंभक होता है वो उतना हम नहीं कर पाते। इसलिए हम ये तीन रेशो को ले चल। तो हमेशा नंबर बढ़ाने का मैटर नहीं होता है। आप उसमें कितना सस्टेन कर सकते हैं वो मैटर। तो अगर आप सही ढंग से प्राणायाम करेंगे तो आप शायद पांच मिनट में पांच बार ही कर पाएंगे। अगर आपने 10 सेकंड इन्हेल किया 40 सेकंड होल्ड किया। 20 सेकंड आपने उसको एक्सेल किया तो कितने हो गए? 70 सेकंड। मतलब एक मिनट से ज्यादा एक राउंड में। देखिए हमारे दो मिनट में पूरे प्राणायाम हो जाते हैं। तो प्राणायाम ऐसे धीरे-धीरे बढ़ाते हैं। तभी वो प्राणों पे इफेक्ट करते हैं। जो जिससे भी हम रिलेटेड कर रहे हैं जगह से तभी इफेक्ट है। प्रीति जी। अच्छा पहले से। सो अब एक डिजीज का भी हमने किया मंडे तो हम प्रैक्टिकल करेंगे मैम मेरा एक है एक तो मुझे एक फीडबैक था एक किसी का किसी को एक मंदिर में एक लेडी है हमारी हमारी चाची जी है परिवार की तो उनको नींद नहीं आती थी बहुत परेशान थी आजकल उनका चेहरा भी इतना डल रहने लगा शुगर भी बहुत हाई है उनके डायबिटीज है और नींद तो बिल्कुल नहीं आती दवा लेने के बाद भी उनको बहुत दिक्कत थी मतलब दवा तो लेनी ही पड़ पढ़ती थी लेकिन वो दवा लेना नहीं चाह रही थी बहुत परेशान अभी मैंने उनको अर्धचक्र क्रिया बताया दिया एक डेढ़ दो महीने हुए अब कल वो बता रही थी पार्टी में सबके बीच में बोले वो मुझे इतना असर किया और मैंने बोला कि आप विशेषकर तरंगनाद और मानसनाद ज्यादा करना अभी गुरु महाराज है ना नींद के लिए अक्षरनाथ को नहीं बोलते तरंग और मानसनाथ करके सोने बोलते हैं मेरे सामने किसी को बोला भी था गुरु महाराज तो मैंने तो भी वो तीनों ही नाथ करती है और वो रात में सोने के पहले ही करती है। मैं बोली कोई दिक्कत नहीं है। आप बिस्तर में भी करो कोई दिक्कत नहीं है। कर लो। अब तू कल बता रही थी मुझे दवा छूट गई मेरी और बोला अब तो ऐसा होता है कि मैं अपने बेड में लाइट वाइट बंद करके और मतलब पूरी तैयारी लेकर सोती हूं कि और अब बोला अब तो ऐसा हुआ कि कभी-कभी मानस नाथ तक भी पूरा पहुंच नहीं पाती हूं। ऐसे सो जाती हूं। दवा छूट गई उनकी और वो इतना अच्छा अब इसमें से हम नाम हटा दे मान लीजिए हां तो ये क्यों हुआ ये ना सिंपल सा है कि ब्रेन में बीटा रेज बहुत अधिक एक्टिवेट रहती थी हमने किसी भी टूल को लेके वो बीटा रेज को डिस्ट्रॉय कर दिया अल्फा रेज को बढ़ा दिया तो उनको नींद आने लगी है ना मतलब एक मैं एग्जांपल दे रही हूं कि वो कोई भी चीज हो सकती है हां है ना जैसे एक मेडिट िशन का बहुत अच्छा एग्जांपल मिलता है कि एक गुरु के पास एक लेडी गई बोले मुझे मेडिटेशन करना है। तो उन्होंने बोला ठीक है आप अपने प्रिय व्यक्ति को याद करो प्रिय जगह को याद करो खाने को याद दुनिया भर की उन्होंने कराया एक महीने तक उसका मेडिटेशन नहीं हो पाया तो वो भी परेशान हो गई गुरुजी भी परेशान हो गए तो गुरुजी ने बोला एक काम करो आज आंख बंद करो और जो सबसे पहली चीज आपको दिखे उस पर फोकस करो और उस दिन उनका मेडिटेशन हो गया जब गुरुजी ने पूछा कि भाई मैंने इतने लोगों को कराया किसी की प्रिय चीज पे किसी की प्रिय लोगों पे बोले आपका आपको क्या दिखा तो बोले मुझे मेरा जो पैट है ना डॉगी वो देखा और मैंने उस पर फोकस किया और मेडिटेशन हो गया तो यहकि सबका माइंड अलग है सबकी बॉडी अलग है तो हम एक स्टैंडर्ड ले नहीं चल सकते हैं किसी के लिए भी कोई भी ले नहीं चल सकता है तो हमको हमेशा उसके बेस में जाना होता है कि अगर किसी भी चीज से किसी को रिलीफ मिला तो आखिर हमने किया क्या उसमें वो चीज हमें मालूम होनी चाहिए जब तक वो नहीं मालूम होगी ना तब तक आप दूसरे किसी को रिलीफ नहीं दे पाओगे। तो हमेशा इस चीज को रखो और बहुत अच्छी चीज है। ये आप कर पाए आपको बहुत बहुत तारीफ होनी चाहिए या बहुत एक बहुत खुद को शांति लगती है। जब उन्होंने आपसे बोला होगा कि भाई हम आराम से सो पा रहे हैं तो आपको अंदर से एक शांति महसूस की होगी। हां मैम बहुत अच्छा लग रहा था उनके चेहरे की तसल्ली देख कर वो और बड़ी बात ये थी की बोली दवा छूट गई मेरी बिना दवा के और बोला अब तो ऐसा बच्चों की तरह मतलब बोले इसमें फिर वो बोली की पाप तो नहीं लगेगा मैं आधे में ही छोड़ दी बोले कुछ भी पाप नहीं लगेगा कुछ भी आप कुछ अब देखिए आप किसी अपने को हम बोलते हैं 10,000 के कोई गिफ्ट दीजिए और ये दीजिए आप जब 10,000 के गिफ्ट देते हैं भले ही वो कितना खुश हो लेकिन आपको अंदर से उतनी खुशी नहीं होती है लेकिन इसमें बहुत होती है। तो उससे क्या होता है कि आपकी बॉडी जो है वो पॉजिटिव वाइब्रेशन में आती है। तो ये उनको जो हुआ सो हुआ लेकिन ये आपके शरीर के लिए बहुत अच्छा है। मैम वो हमेशा एक वेल विशर भी रहेंग कि आपके लिए एक पॉजिटिव उनका एफर्ट रहेगा। हां वो मंदिर में रोज मेरे को देखती थी और एक अच्छी नजर से देखती थी। मुझे लगता था कि वो पॉजिटिव नजर से मुझे देखती है, मुस्कुराती देख। कल जब उन्होंने फाइनल रिजल्ट बताया ना तब मुझे बहुत अच्छा लगा। अब ऐसे सोचिए कि यदि आपने 10 लोगों को ठीक कर दिया और दिन में 10 बार ये लोग आपको पॉजिटिव एनर्जी भेज रहे हैं। तो आप पे क्या इफेक्ट होगा? और गुरु जी का सोच रही थी गुरुजी तक कितनी जाती हूं। अब वो उनका तो लेवल ही मतलब अनटच वाला है कहना चाहिए मेन तो वही हम तो कुछ नहीं कर सकते तो लेकिन ये है कि वो हमारे सामने आदर्श है हम कोशिश तो कर सकते हैं कि वहां तक पहुंचे भले ही कहीं तक पहुंच पाए बनने की बात नहीं कह रही हूं वो कह रही सारा मेन तो वही जा रहा है ना मेन तो उन्हीं का दिया हुआ है वही कर वही कह रही हूं और मैम एक चीज और थी मेरी सासू मां को ना कॉर्न हो रहा है बहुत दर्द भी है तो उसके लिए क्या करना पैर हां कॉर्न हो रहा है। तो मोस्टली वो कोई एक बैंडेज आती है कॉर्न के लिए। वो बैंडेज लगा दो तो वो कॉर्न को उतना निकाल देती है। मैम वो कॉर्न बैंडेज जो होती है वो वाइट कलर के नीचे ब्लैक ताला उसको वो होता है ब्लैक सरफेस और उसमें छेद से होते हैं। बिल्कुल जैसे ये सिंपल बैंडेज होती है ना उसी टाइप की होती है। काला प्लेस्टर भी बोलते हैं उसको सिंपल। तो वो यूज़ करिए तो वो बहुत अच्छे से और कोई होम रेमेडीज है किसी को पता हो तो बता दीजिए। मैम एक मुझे पूछना था मेरी मदर गला बड़ा सूखता है उनको जैसे वो कहती है कि आवाज अटक जाती है जैसे बोलना भी या नहीं पानी नहीं 70 में भी है नहीं 65 के आसपास है उनका गला बहुत सूखता है पानी पीजिए बोलिए हाइड्रेट कम रहती होंगी वो अक्सर हमारे बुजुर्ग लोग पानी पीना कम करते हैं सलाइवा कम बन रहा है ऐसा कुछ तो नहीं हो सकता है क्योंकि सलाइवा का भी कई बार इफेक्ट होता है। उसका कुछ बेस्ट ऑप्शन उसका वही होता है कि सिप सिप करके पानी कई बार पिए और मैम मैं जिनको एक्सरसाइज करा रही हूं मैम उनको बहुत बहुत बेनिफिट हो रहा है। तो वो बहुत खुश है। उनको फिजियोथरेपी भी सूट नहीं करी मतलब डॉक्टर का भी ने सूट करा था और ये चीजें सूट करनी है तो आप सामने आप लोग सभी अपने सामने थेरेपिस्ट लिखना शुरू कर दीजिए है ना योगाचार्य की जगह थेरेपिस्ट लिखिए तो उससे क्या होता है कि एक आइडेंटिफिकेशन होता है कि हम थेरेपी करते हैं तो मैम इसका सर्टिफिकेशन कोई पूछेगा तो देखिए आपका एमए ही इसका सर्ट सर्टिफिकेशन है क्योंकि उसमें आपने एनाटॉमी फिजियोलॉजी डिजीज पूरी पढ़ी हुई है। चलेगा कि हां एमए वाला ही चलेगा क्योंकि उसमें आपका पूरा पोर्शन है वो ऑलरेडी और मैं एक चीज आपको बताऊं कि जब आप जैसे अभी जिनको आपने बोला नाद करने के लिए उन्हें यह तो नहीं पूछा ना कि आपके पास सर्टिफिकेट कहां है? आपने मेरे से पूछा क्या कि आपका सर्टिफिकेट कहां है? तो यहां पर एक्सपीरियंस आपकी बातें है ना आप जितने लोगों को जो एक माउथ पब्लिसिटी होती है कि जैसे उन्होंने फिर किसी और से बोला वो जो सेटिस्फेक्शन होता है वो सबसे बड़ा सर्टिफिकेट होता है। जब आप वो देना शुरू कर देंगे ना कोई भी कुछ दीप्ति जी आप कुछ बोलना चाह रहे हैं क्या? हां जी। मुझे पूछना था कि एक्चुअली मम्मी को लास्ट 40 इयर्स से थायराइड है और उनका ना थायराइड 38 इयर्स पहले बहुत ज्यादा से गला बाहर की तरफ जो हो जाता है और उनका पूरी सर्जरी हुई हुई है और उसका इंपैक्ट जो है वो आईज पर आया हुआ है तो वो लास्ट 40 इयर्स से कॉटन की चुन्नी बांध के आंखों पर सोती है अगर वो नहीं बांधती है तो आंखों से पानी बहता रहता है तो इसके पीछे मतलब थायराइड तो है ही है लेकिन मतलब इसको हम कैसे योग थेरेपी में इसको कैसे और देखिए पहले तो उनकी रिपोर्ट सारी देखनी पड़ेगी कि उसके पीछे रीजन क्या है। थायराइड ही है। पाना बहुत मुश्किल है। बच्चे की सर्जरी में कुछ ऐसा हुआ है या क्या रीज़ंस है। तो रिपोर्ट्स देखे बिना बता पाना मुश्किल है। है ना? उनकी रिपोर्ट्स पहले देखें फिर हम बता सकते हैं कि हां क्या ठीक चलिए तो अब हम सभी के क्वेश्चन हो गए मंडे मिलते हैं ठीक है और आपको मंडे प्रैक्टिस करनी है। ठीक है? तो प्रैक्टिस के लिए आप लोग तैयार रह क्योंकि आप लोग को एक दूसरे पर ही प्रैक्टिस करनी है। राइट? तो अभी आपको सबसे पहला काम क्या करना है कि मंडे को जब एक 10 या पांच 10 मिनट की जब एक जनरल इंट्रोड्यूस टाइप की क्लास होगी एकदम से तो हम आसन करना शुरू करने ही देते हैं। है ना? तब आपको किसी एक को पॉइंट करके उसे ऑब्जर्व करना है। कोई किसी को भी कर सकता है। ठीक है? अब थायराइड जरूरी नहीं सबको हो। ठीक है? लेकिन आपको ऐसा इमेजिन करना कि उसको थायराइड भी है। उसके बाकी चैलेंजेस भी है कि वो अब इतने दिन से आप लोग एक दूसरे से बात कर रहे हैं तो आपको वो भी पैटर्न मालूम है। फिर आप ऑब्जर्व करेंगे तो आपको उसके उठने बैठने चलने फिरने से एलाइनमेंट्स भी क्लियर होंगे। ठीक है? तो उस पर्टिकुलर व्यक्ति को आपको पूरा एक पैकेज देना है थायराइड के लिए। क्लियर है सभी को? ठीक है? चलिए तो हम मिलते हैं मंडे।
Yoga therapy is a mind-body practice that focuses on your physical, emotional and mental health. The practice uses movement, mindfulness, meditation, relaxation and breathing exercises to help you relax, relieve stress and manage underlying conditions or symptoms in addition to treatment by a healthcare provider.
Yoga therapy is a process to empower you to improve your health and well-being through the practice of yoga.
In other words, yoga therapy is a whole-body approach to better health by using the tools of yoga to meet your specific physical, mental and emotional needs and goals. You’re an active participant on your path to wellness.
The tools of yoga include:
• Physical postures and movements (asanas).
• Breathing exercises (pranayama).
• Meditation/relaxation (dhyana).
Some of the health benefits of yoga therapy include:
• Reducing physical discomfort and improving management of pain.
• Helping neurological conditions such as multiple sclerosis (MS), fibromyalgia, epilepsy and stroke.
• Easing joint pain from arthritis.
• Reducing tension and stress and relieving headaches.
• Helping you lose weight.
• Boosting your mood and reducing depression.
• Lessening anxiety and stress.
• Easing symptoms of menopause.
• Helping calm those with trauma.
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