Yogic Management of Thyroid disorder part one 02 07 2025 Dr Rachana Jian
के नाम होते हैं और इन सारी चीजों को आप बिल्कुल भूल जाओ। फॉर एग्जांपल देखिए हम शुरू से चलते हैं नहीं तो कंफ्यूजन हो जाएगा। ठीक है? सबसे पहले तो क्वेश्चन ये उठता है कि हम योग थेरेपी क्यों करें? क्योंकि आजकल हम लोग इतने चूजी हो गए हैं ना कि बिना बेनिफिट के हम कुछ भी नहीं करना चाहते। जहां हमको दिखता है कि हमें बेनिफिट है हम वही भले ही हम वह टाइम को कैसे भी न्यूट्रल कर दें या एक तरह से उसको मिसयज कर ले लेकिन हम वो ऐसा मान के चलते हैं कि वो टाइम हमारा खराब हो रहा है। ठीक है? तो सबसे पहला क्वेश्चन तो यही उठता है कि हम क्यों करें? जरूरी नहीं हर व्यक्ति को फील्ड में जाके प्रैक्टिस करनी हो। ऐसा तो कंपलसरी नहीं है। तो क्यों करें? तो उसका आंसर सबसे बड़ा यह है कि आज हम देख रहे हैं कि मान लीजिए अगर हम 10 लोगों के ग्रुप में खड़े होते हैं तो उसमें से आठ व्यक्ति ऐसे निकलते हैं जिनको कोई ना कोई बीमारी है। किसी को थायराइड है, किसी को डायबिटीज है, किसी को ब्लड प्रेशर है। और यही अगर हम 10 साल पहले के सिनेरियो में देखते हैं तो 10 में से छह को ही मिलती थी। और 10 साल पहले जाते हैं तो चार को ही मिलती थी। और 10 साल पहले मतलब यदि हम 40-50 साल पहले जाते हैं तो यदि किसी को डायबिटीज हो गई तो बड़ा एक गांव में या शहर में वो होता था कि गिने चुने व्यक्तियों को होता। ऐसा बोला जाता था कि ये तो राजाओं की बीमारी है कहां से आपको लग गई क्योंकि रेयरली होती थी। ठीक है? तो अगर हर जैसे 10 साल का एक शतक होता है। हर शतक में ये बीमारियों का रेशियो बढ़ता जा रहा है। तो कोई ना कोई तो रीज़ंस होंगे। अगर हम उन रीजन को समझ सके और समझकर उनको खुद पर खुद की फैमिली पर खुद के जो भी नियरेस्ट डियरेस्ट है उन पर इंप्लीमेंट कर सके तो कम से कम हम हमारे हाथ में 60% चांसेस ऐसे हैं कि हम उन बीमारियों से बच सकते हैं। यह पहला उपयोग है योग थेरेपी क्योंकि जब तक आपको यही नहीं मालूम होगा कि यह चीज क्यों हो रही है तब तक आप सिर्फ आपके पास डिपेंडेंसी है कि जितने बार कोई सिम्टम्स हो रहे हैं उतने बार आप डॉक्टर के पास जा रहे हैं। उतनी बार वो मेडिसिन ले रहे हैं। आप मेडिसिन ले रहे हैं। वो सिम्टम्स गायब हो रहे हैं। फिर आप आराम से बैठ जा रहे हैं। हम यही कर रहे हैं। कोई भी पैथी में जाए, एलोपैथी में जाए, आयुर्वेदिक में जाए, होम्योपैथी में जाए, किसी में भी जाए। बट हम अभी यही कर रहे हैं। ठीक है? अब इसको बिल्कुल ऐसा आप सोच के रखिए कि आपके घर में पूरा किचन बना हुआ है। लेकिन आपको मालूम ही नहीं है कि उसमें अगर कौन सा मसाला है तो उसका क्या टेस्ट है। उससे क्या चीज डेवलप होगी। या आप सपोज मान लीजिए आप भिंडी की सब्जी खाना चाहते हैं। वह टेस्ट तो आपको मालूम है लेकिन आपके सामने 10 सब्जियां रखी। आपको यह नहीं मालूम कि वो टेस्ट इनमें से किस में से आएगा। तो आपकी स्थिति कैसी होगी। कल्पना कीजिए। और अभी हम वही लाइफ स्टाइल जी रहे हैं। हम सब खाना खा रहे हैं। मुंह में बाइट डाल रहे हैं। सब बोल रहे हैं कि उससे एनर्जी मिलती है। लेकिन कैसे? क्या फंक्शन होता है अंदर? कैसे आपका खाना एनर्जी में कन्वर्ट हो गया? और वह जो खाना आप खा रहे हो, वह आपके लिए अच्छी अच्छी एनर्जी दे रहा है या बुरी एनर्जी दे रहा है। पॉजिटिव नेगेटिव दोनों होगी ना? तो यह सबकी समझ आपको योग थेरेपी से ही आएगी। इसकी अवेयरनेस। ठीक है? अब सेकंड पॉइंट पर हम आते हैं कि जब हमारे हम खुद या हमारे आसपास हमारी फैमिली में या हमारे फ्रेंड सर्किल में कोई बीमार पड़ता है तो जब तक आपको उसके बारे में जानकारी नहीं है तब तक आप एक ब्लाइंड पर्सन की तरह होते हैं कि जिसने जो बोला वो आपने कर लिया। डॉक्टर्स ने जो मेडिसिन दी वो आपने खा लिया। इवन डॉक्टर भी आपको ज्यादा नहीं समझाता क्योंकि उसको मालूम है कि आपका नॉलेज सीमित है। लेकिन जब एक बार आप टर्मिनोलॉजी में डॉक्टर से बात करते हैं और उसको मालूम होता है कि नहीं यह जानकार है तो वह भी आपसे उसी लहजे में बात करेगा। अभी मैं आपको एनाटॉमी फिजियोलॉजी पढ़ा रही हूं और मान लीजिए ऑब्वियसली मैं आपसे थोड़ा पहले से पढ़ रही हूं तो मेरी जानकारी थोड़ी सी ज्यादा होगी। आप लोग की थोड़ी मीडियम होगी। अभी जो शुरू करेंगे उनकी बिगिनर्स की होगी। अब मैं एकदम उस लैंग्वेज में आपको पढ़ाना शुरू कर दूंगी। तो क्या पॉसिबल है आपको कुछ भी समझ आएगा? नहीं आएगा। और जब मैंने अच्छा टीचर कौन सा होता है? अच्छा टीचर हमेशा वही होता है कि उसके सामने जो लोग हैं वो उनको अपनी बात पहुंचा सके। वो किसी भी लैंग्वेज में हो, किसी भी उदाहरण के द्वारा। ठीक है? लेकिन यदि मान लीजिए स्टार्टिंग में मैं आपको बोलती कि कार्डियक मसल्स काम नहीं कर रही हैं या कार्डियक मसल्स में फ्लैक्सिबिलिटी कम है तो क्या स्टार्टिंग में आज समझ पाते आप लेकिन आज उस पोजीशन में है कि आप समझ पा रहे तो यदि डॉक्टर डिस्कस कर रहा है कई बार वो लोग भी आपस में डिस्कस करते हैं या फोन पे है ना या वो बोल रहे हैं कि नहीं भाई इनकी हृदय की मांस तो अच्छा कार्डियक मसल्स में प्रॉब्लम है। कौन से मसल्स कौन से कार्डियक मसल्स में प्रॉब्लम तो वह आपको जरूर बताएगा मायोकारार्डियक मसल्स में प्रॉब्लम है। तोकि यह पक्ष ऐसा है कि हर व्यक्ति को इसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है क्योंकि हर व्यक्ति के आसपास कोई ना कोई व्यक्ति हर समय बीमार रहता है। आप अभी यहां बैठे हैं तब भी आप देखिए कि कोई ना कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो आपका या तो परिचित होगा या फ्रेंड होगा या फैमिली में होगा। कोई व्यक्ति ऐसा कह सकता है कि मेरे आसपास कोई भी बीमार नहीं है। हैंड रेज करें यदि कोई है तो। तो जिस चीज से हम घिरे हुए हैं, जूझ रहे हैं, क्या उसके बारे में जानकारी होना हमको इंप्रूव नहीं करेगा? ठीक है। अब तीसरा हमने जो योग थेरेपी में बॉडी एलाइनमेंट्स पढ़े क्या उसके बारे में इसके पहले अवेयरनेस थी? ठीक है? अब मान लीजिए हमारा ही कोई सपोज हमारी बेटी ऐसे झुकझुक के बैठ रही है। पूरा अपना थरेसिक ऐसा क्रंच करके बैठ रही है। एब्डोमिनल मसल्स क्रंच करके तो क्या आपकी नजरें उसे पकड़ेंग नहीं और उसको बहुत अधिक वो चीज बिगड़ जाए उसके पहले ही आप उसको करेक्ट नहीं कराना चाहेंग तो यदि हम हर चीज को इस व्यू में सोचे कि हम उससे पैसा कैसे कमाएंगे? तो एक तो वह गलत है। ठीक है? आप मान लीजिए खाना बनाना सीखते हैं तो आपका उद्देश्य क्या होता है? पहला उद्देश्य तो यही होता है ना कि हम अपनी फैमिली आपके पेरेंट्स हो या आपके बच्चे हो या आपके हस्बैंड हो जो भी हो सबको हम एक हेल्दी फूड दें जिससे वो उनकी हेल्थ बहुत अच्छी रह सके। आपका यह उद्देश्य नहीं होता कि इससे मैं अर्न कैसे करूं। वो सेकेंडरी होता है कि फिर आपके पास टाइम है आपका बहुत अच्छा टेस्ट है खाने का तो आप उससे अर्निंग भी शुरू कर दें। ऐसे ही योग थेरेपी से आप अर्न भी कर सकते हैं। अब हम फाइनशियल इसमें आते हैं तो यदि आज की डेट में जो लोग योग के फील्ड में प्रैक्टिस करना चाहते हैं तो आप सभी अपने आसपास योग वालों से परिचित हैं तो यदि आप साधारण योग के लिए जाते हैं तो आपका क्लाइंट पे करेगा 1000 बहुत ज्यादा हुआ तो 2000 2000 से ऊपर कोई भी नहीं पे करेगा। अब आप क्या करेंगे? शुरुआत में कम से कम 1520 कैंडिडेट ढूंढेंगे और आज के जमाने में 1520 कैंडिडेट ढूंढना भी बहुत टफ काम है। जिन्होंने कोशिश की होगी उनको इस चीज का अनुभव होगा। ठीक है? तब आप कहीं जाके 15, 20,000 कमा पाएंगे। ठीक है? अब उसमें से भी फिर बहुत से बोलेंगे अरे हमको तो टाइम नहीं है। यह टाइम सूट नहीं कर रहा। या फिर कई बोलेंगे हमको तो दूर पड़ रहा है तो आप सभी को एक सशन नहीं दे सकते हैं। लेकिन वही आप अगर योग थेरेपी की फील्ड में आगे बढ़ते हैं तो आप एक क्लाइंट लेंगे और उससे 8 से ₹100 मंथ कमाएंगे। तो अभी आपने अगर दो क्लाइंट भी ढूंढ लिए तो आपका इक्वल हो गया 10 10 का रेशियो हो गया 10 शुरू में हो सकता है इतना अमाउंट कोई ना दे। तो हम जैसे फाइव से भी शुरू करें तो भी हमारा रेशियो कम हो गया। हम चार क्लाइंट ही ढूंढते हैं और हमारा 20,000 हो जाता है। यह दूसरा। ठीक है? अब क्या होता है कि जब योग में कोई भी थेरेपी के लिए व्यक्ति आता है तो वह क्या करता है कि बाकी जितनी पैथी होती है ना सब में घूम के सबको अनुभव करके फिर आता है लास्ट आता है आपके पास ऐसा मान के चलिए ठीक है और अगर आप उसको मान लीजिए जो उसका 100% पेन पेन ही मान के चलते हैं हम उसमें से यदि 20% भी आप उसको रिलीफ दिला देते हैं तो एक तो उसके लिए बहुत अच्छा और वह आपको बहुत रिलीफ देगा क्योंकि उसके होठों पर जो मुस्कुराहट आप लाएंगे कई बार वो ऐसे कमेंट करेगा कि यह चीज मैं कभी कर नहीं पाता था। यह मैंने आज की और उसकी जो खुशी है जैसे फॉर एग्जांपल मैं तो हमेशा स्टूल चेयर पर बैठ के पूजा करता था। आपके कारण मैं नीचे बैठकर पूजा कर पाया। इससे मुझे बहुत संतुष्टि है। मैं कभी भी गुरु जी के पास जाता था तो मुझे स्टूल ले हाइट पर बैठना पड़ता था। आज मैं उनके चरणों में नीचे बैठा। यह भी छोटी-छोटी खुशियां है। देखिए तो इससे आपको जो संतुष्टि मिलेगी और उनकी जो देखिए कोई भी व्यक्ति के साथ आप ऐसा करेंगे तो वह आपको ब्लेसिंग्स ही देगा, दुआएं देगा तो उससे आपकी लाइफ में जो चेंज आएगा वह आप इमेजिन भी नहीं कर सकते। मान लीजिए आपने उसे दो दो करके 10 पेशेंट कर लिए तो वो 10 पेशेंट की जो एक साथ ब्लेसिंग्स आपके पास तक पहुंचेंग वो आपकी लाइफ को कैसे चेंज करेगी आप सोच भी नहीं सकते क्योंकि वो दिल से देगा वो ब्लेसिंग आपने उसको ठीक किया उसको थोड़ी राहत दिलाई है तो वो दिल से ब्लेस करेगा तो यह सारे योग थेरेपी के फायदे हैं कि अगर हम एक बार डॉक्टर के पास जाते हैं सपोज और उसकी फीस वो जो टेस्ट कराता है वो जो मेडिसिन देता है तो एक एवरेज यदि हम देखें तो 4 5000 हम खर्च कर देते हैं एक बार डॉक्टर के पास जाने पे। ठीक है? और हम मान लो हमारी फैमिली में छह मेंबर हैं तो साल में कितने बार डॉक्टर के पास जाते हैं? तीन से चार बार तो मान के चल कभी कम अमाउंट कभी ज्यादा। तो टेंटिवली हम देखें तो हम 25 से ₹00 सिर्फ डॉक्टर्स और दवाइयों पर खर्च करते हैं। टेस्ट डॉक्टर दवाई। ठीक है? तो क्योंकि आप फिट रहेंगे, आपकी फैमिली फिट रहेगी, आपको समझ रहेगी तो वह चीजें बचेंग। अब कोई और कुछ बोलना चाहता है तो बोले या किसी का और कोई इसमें कन्फ्यूजन हो श्वेता बोलिए मैम मेरा इस टॉपिक से थोड़ा हट के है जो हमने कल पढ़ा था परसों क्लास में आपने बताया था हमारे ब्रेन में मतलब जो हमारे चक्र है वो हमारे मस्तिष्क पे उनका का एक एक पार्ट है। मतलब तो अगर जैसे ब्रेन इंजरी होती है तो कहते हैं कि मतलब सेल्स डैमेज हो जाते हैं तो वो जल्दी फिर रिकवर नहीं होते हैं। तो क्या अगर हम प्लांट मतलब चक्र पे काम करेंगे तो क्या वो ब्रेन पे असर जाएगा? उसका मतलब उसमें कुछ फर्क पड़ सकता है। एक्चुअली ये डिपेंड करता है कि उसका डैमेज कितना हुआ। है ना? और फिर कई बार ऐसी प्रोसेस आती है कि वह डैमेज एक प्रोग्रेसिव में चलता रहता है कि और भी सेल डैमेज होती जा रही है। तो जब हम चक्र पर काम करेंगे तो सबसे पहला तो यह होगा कि वो जो प्रोग्रेस हो रही है वो रुक जाएगी। तो प्रोग्रेस रुक जाना ही अपने आप में एक बहुत बड़ा अचीवमेंट है। और अगर पेशेंट बहुत अधिक कोपरेटिव है। है ना? वो आप पर बहुत ट्रस्ट कर रहा है। आपकी हर चीज को मान रहा है। तो डेफिनेटली आप उसको एक बार प्रोग्रेस रोकने के बाद उसको रिवर्स कर पाएंगे। और मैम जैसे अगर कोई एक्सीडेंट वगैरह में हुआ हो डैमेज तो उस पर भी काम कर सकते हैं। मतलब हम बिल्कुल बिल्कुल कर सकते हैं। क्योंकि देखिए जैसे कोई व्यक्ति सपोज कोमा में है। हम ऐसा मान के चलते हैं या बेहोश है। तो उसका कौन सा माइंड वर्क नहीं कर रहा है? कॉन्शियस माइंड। कॉन्शियस। लेकिन सबकॉन्शियस और अनकॉन्शियस तो एक्टिवेट है। ठीक है? क्योंकि आपने देखा होगा कि बहुत से ऐसे कोमा में रहते हैं लेकिन उनको फूड पाइप से खाना दिया जाता है। तो वो डाइजेस्ट कैसे होगा? यदि सबकॉन्शियस उसका एक्टिवेट नहीं होगा तो फिर तो अंदर खाना डाइजेस्ट नहीं होना चाहिए। हार्ट बीट नहीं चलना चाहिए। ब्रीथिंग नहीं होना चाहिए। क्योंकि यह सारी प्रोसेस तो सबकॉन्शियस ही कर रहा है। तब क्या होता है कि जब हम यह मेडिटेशन के थ्रू उसको कुछ इन जो गाइडेड मेडिटेशन होते हैं उनके थ्रू हम कुछ इंफॉर्मेशन उनको इंड्यूस करते हैं उनके सबकॉन्शियस में तो वो रिकवरी आने लगती है। तो उनको हम माइंड लेवल पर काम करा कर सकते हैं वहां पर क्योंकि बहुत बार आपने ऐसा भी देखा होगा कि कई बार व्यक्ति अनकॉन्शियस है लेकिन वो कुछ बोल नहीं रहा है बात नहीं कर रहा है लेकिन यदि उसको पेन होता है तो आंसू निकल आते हैं। ठीक है? तो मेडिटेशन इन चीजों के लिए बहुत अच्छा टूल होता है। आप लोग एक नेट पर सर्च करिएगा मिरेकल मैन ऑफ अमेरिका। यह जो व्यक्ति है इसका प्लान क्रैश हुआ और लगभग 42 बोनस क्रश हो गई। इवन स्पाइन भी क्रश हो गई और वोकल कार्ड इसका डैमेज हो गया। और जब यह डॉक्टर के पास इसको हॉस्पिटल ले गए तो डॉक्टर्स ने बोला कि यह होपलेस कैसे यह नहीं बचेगा और बचेगा भी तो जीवन भर चल फिर नहीं पाएगा क्योंकि इसकी जो स्पाइन है वो क्रश हो चुकी है अब क्योंकि वो माइंड मास्टर था तब उसने अपने आप से यह यह जनवरी में हुआ और उसने अपने आप से प्रॉमिस किया कि वो 25 दिसंबर हॉस्पिटल से चल के जाएगा और अपनी फैमिली के साथ ही सेलिब्रेट करेगा। और उसने वह चीज की और वह एक बहुत ही प्रसिद्ध बहुत अच्छा मोटिवेटर हुआ और उसके बहुत से बुक्स हैं और वह बहुत फेमस पर्सन है। तो मिरेकल पॉसिबल होते हैं। डिपेंड करता है आप उसका ट्रस्ट कितना है। क्योंकि आप देखिए आप लोग देखते हैं कि जैसे सपोज किसी ने बोला कि इस मंदिर में जो भी आप मांगो वो पूरा हो जाता है। आपके एक फ्रेंड ने बोला बोले हम तो जितनी बार जाते हैं जो मांगते हैं वह पूरा होता है। आपने बोला चलो ट्राई कर लेते हैं हम भी। है ना? अब आप उस मंदिर में गए लेकिन आपका पूरा नहीं हुआ। दोनों साथ में गए थे। उसने जो चीज मांगी वो पूरी हो गई। आपने जो मांगी थी नहीं पूरी हुई। क्यों? क्योंकि उसके सब क्रॉनशस का यह पैटर्न बन चुका है। बिलीफ पैटर्न बन चुका है। तो उस बिलीफ पैटर्न ने उसकी जो डिमांड्स है वो पूरी करा दी। और आप कैसे गए थे कि चलो करके देखते हैं। ठीक है? तो आपका ट्रस्ट पैटर्न डेवलप ही नहीं हुआ था। तो वो आपकी चीज पूरी नहीं। तो ये सारी चीजें आपके माइंड पर डिपेंड करती है। और योग थेरेपी में एक बहुत बड़ा रोल होता है माइंड का क्योंकि सबसे पहले जो सामने व्यक्ति है ना उसके माइंड पर ही कंट्रोल करना होता है। फिर दूसरा इसमें बेनिफिट क्या होता है कि जैसे हमने उस दिन वर्ड की बात की थी कि हम शब्द कैसे यूज करते हैं तो एक एग्जांपल लिया था कि यदि बच्चे से हम पूछे कि भाई स्कूल में क्या बुरा हुआ तो शायद वो कभी नहीं बताएगा। लेकिन यदि हम पूछे कि बताओ बेटा पूरे दिन भर जो तुम स्कूल में रहे उसमें से कौन सी एक चीज है जो तुम चाहोगे कि चेंज हो जाए तो वह जरूर बता देगा मम्मा मैं यह चाहता हूं ये चीज बदल जाए और आप वहां पकड़ लोगे कि बच्चे को क्या चीज अच्छी नहीं लग रही तो जो शब्द होते हैं ना उनकी जीवन में बहुत अहमियत होती है। तो जब आप पूरे कोर्स के दौरान यह चीज बार-बार बार-बार सुनते हो तो अनजाने में आप अपने शब्दों पर भी ध्यान देने लगते हैं। आपका फोकस जाने लगता है और जैसेजैसे शब्द बदलते हैं वैसे वैसे आपकी लाइफ चेंज होने लगती है। आपका फ्यूचर चेंज होने लगता है। तो ओवर ऑल यह एक फ्यूचर चेंजिंग मोमेंट्स होते हैं जो अनजाने में हो जाते हैं। हमको पता भी नहीं चलता कि हमने क्या किया और जो लोग योग का कोर्स कर रहे हैं तो अगर मान लीजिए सेकंड ईयर में है तो अगर वो ये देखेंगे कि दो साल पहले वो क्या थे उनके शब्द क्या थे? उनके बिहेवियर का पैटर्न क्या था? उनके डिसीजन कैसे होते थे? और आज के में देखेंगे तो वह खुद ही अपने आप में एनालिसिस कर लेंगे कि नहीं मुझ में एक बहुत बड़ा फर्क है। तो दो साल में जब इतना फर्क आ सकता है जबकि आपने इसके लिए एफर्ट नहीं किया है कुछ भी आप सिर्फ पढ़ रहे हैं। तो जब पर्टिकुलर उसी के लिए करेंगे तो कितने चेंजेस तो एक लाइफ चेंजिंग मोमेंट है जिससे आपकी पूरी लाइफ मैनेज होती है और क्योंकि आप लाइफ मैनेजमेंट स्किल सीख जाते हो तो आप बेस होते हो अपनी फैमिली का। तो ऑटोमेटिक वह चीज हस्बैंड और बच्चों में भी ट्रांसफर होगी। तो पूरा फैमिली का एटमॉस्फियर चेंज होता है। अब मान लीजिए फैमिली से ही तो सोसाइटी बनती है। अब सपोज 10 परिवारों का चेंज हो गया। तो एक बहुत बड़ी सोसाइटी के बड़े हिस्से का चेंज हो गया। एटमॉस्फियर सोसाइटी से ही हमारा देश बनता है। हमारा नगर बनता है, टाउन बनते हैं। विलेजेस बनते हैं। हमारी कंट्री बनती है और कंट्री से ही विश्व है। तो हर चीज की जो शुरुआत होती है वो छोटे ही रूप में होगी। सडनली नहीं हो सकती कि हम सोचे हम पूरे विश्व में शांति ले आए और हो जाए। शुरुआत बीच से ही करनी पड़ेगी। तो वो सीड्स हम लोग ना जैसे अभी मान लीजिए दोद बच्चे हैं सभी के इसमें। ठीक है? अब वो दो बच्चे उनकी अपनी फैमिली होगी तो आप वैसे ही संस्कार उनमें ट्रांसफर कर रहे हैं। आप लोग थोड़ा सा डिस्कस कीजिए। एक इंपॉर्टेंट फोन आ रहा है। मैं दो मिनट में हूं। हेलो हां नमस्कार है सर वैसे आप देख लीजिएगा ज्यादा निकली है उसमें रीतू दी मैंने आपको सेंड करा देखना जरूर बहुत अच्छा वीडियो है वो टोटल 561 है नहीं नहीं सर उसके उससे दीदी निधि दीदी बिजी है प्रोफाइल से देख लीजिए कितना बिजी है क्लास में दीदी हूं आपके सर्वाइकल के लिए बहुत अच्छा सर्वाइकल नहीं है अच्छी बहुत अच्छी बात है वो इसीलिए है कि आप गलत ना समझे कि आपको सर्वाइकल वो वीडियो इसीलिए है कि आप ये ना समझे कि आपको पता है वो नहीं है मुझे यही मैडम से हम लोगों को डिस्कस करने थे कि 10 रीजन होते हैं ना हम कैसे आइडेंटिफाई करें उसे एक सब एक ही डायलॉग बोलते हैं। सर्वाइकल सर्वाइकल सर्वाइकल 10 रीजन होते हैं। तो मेरे ख्याल से आप लोगों को अब ये चीज क्लियर हो गई होगी कि योग थेरेपी की उपयोगिता क्या है आपकी लाइफ में? और मैम मेरे साथ तो घर में ही ये चीज हुई है क्योंकि मेरे हस्बैंड डायबिटिक है और वो मतलब यही होता है कि आप डॉक्टर के पास जाते हैं जब वो आपको मेडिकेशन दे देते हैं पूरा आप लेते हो छ महीने बाद आपको फिर जाना होता है क्योंकि वो उतने टाइम तक ही काम करती है। अब मैंने मतलब पहले भी मैं बोलती थी ये चीजें उनको बट अब वो खुद पूछ रहे हैं कि अच्छा क्या करना है कैसे करना है तो वो एक चेंज आया है कि एक्चुअली यही है कि जब आपके कोई ऐसे क्लोज पर्सन आपके कोई व्यक्ति होते हैं तो आप डिसीजन लेने में सक्षम होते हैं क्योंकि आपको नॉलेज है ना अभी जैसे मान लीजिए आप किसी डॉक्टर के पास गए उन्होंने बोला नहीं इसकी तो आप सर्जरी करा लीजिए तो अब आप में आज की डेट में यह सोचने समझने की शक्ति है कि मुझे सेकंड ओपिनियन लेना है कि सर्जरी कराना है कि नहीं कराना चाहिए क्या करना है तो ये अवेयरनेस जगाना ही योग थेरेपी का काम तो मुझे तो ऐसा लगता है कि लाइफ में ये इतनी इंपॉर्टेंट है कि हर व्यक्ति को यह आना ही आना चाहिए क्योंकि ऐसा कोई भी व्यक्ति व्यक्ति नहीं है कि जो इस क्राइसिस से ना गुजर पाए। अब और भी कोई क्वेश्चन हो तो आप पूछ सकते हैं या जनरल आप लोग को आपस में भी डिस्कशन करना है तो आप कर सकते हैं। प्रैक्टिकल हम मंडे से लेंगे क्योंकि काफी लोगों ने उसको किया था। मुझे लगा फिर ऐसा नहीं होना चाहिए कि सभी को बेनिफिट ना हो और ये ग्रुप डिस्कशन भी जरूरी था। मैम लेकिन इसमें हमारा टाइम तो वेस्ट जा रहा है ना ऐसा आपको लगता है? नहीं थेरेपी स्टार्ट करने के लिए डिस्कशन तो जरूरी है वो बराबर है वो नहीं मैं बोल रही हूं। देखिए आज डिस्कशन के लिए आज ये डिस्कशन नहीं होता ना तो आपसे ही पूछता क्यों कर रहे हो योग थेरेपी का कोर्स तो आप निरुत्तर हो जाते आपको उत्तर देते नहीं बनता। यह आज का डिस्कशन ही है जो आपको आंसर देने में सक्षम बनाएगा कि इससे यह बेनिफिट है। हां बट ना आधा घंटा थेरेपी हो जाए, आधा घंटा डिस्कशन हो जाए तो भी चलता है। आधे घंटे में नहीं होती थेरी। कोई मैजिक नहीं है ना वो। आधे घंटे में तो आप पोजीशन ही नहीं ले पाएंगे और खत्म हो जाएगा। तो उसके लिए टाइम लगता है। जी अनि प्राणायाम बताया था तो हमने यही दो प्राणायाम के लिए आपकी ना वॉइस क्लियर नहीं आई है जी अभी आ रही है ना जी हां बोलो अभी आ रही है जी हां बोलिए मैम एलर्जिक स्किन डिजीज में आपने बताया था ना कपालभाति और सूर्य प्राणायाम करते हैं तो प्राणायाम फिर बंद हो गई आवाज पांच मिनट बाद रिपीट कर लीजिएगा शायद नेटवर्क इशू कुछ होगा तो पांच मिनट बाद रिपीट कर है ना अब देखिए जहां तक योग थेरेपी कोर्स की बात है तो वो मैं आपको मुश्किल से 10 दिन में भी खत्म करा सकती हूं। लेकिन वही होगा कि आगे पार्ट पीछे सा पार्ट। तो जब तक आप इस चीज को बार-बार नहीं सुनेंगे, पेशेंसली नहीं करेंगे तब तक आप कर तो लेंगे कोर्स लेकिन उसके इफेक्ट नहीं आएंगे। तो सारे जो डिस्कशन है वो भी ियस होते हैं। और अगर आप सोचो कि आप सिर्फ प्रैक्टिकल पॉइंट ऑफ व्यू से कर लेंगे तो वो तो इंपॉसिबल है। जब तक आपको थ्योरी नहीं मालूम आप प्रैक्टिकल में कुछ भी नहीं कर सकते। फिर तो वही होगा कि एक जो जनरल हम वो कराते हैं ना [संगीत] प्रैक्टिस बस वही होगी कि कोई भी आ रहा है तो हम उसको करा दे। हां निधि जी मैंने आपको बोला तो था सूर्य भेदी और कपालभाति तो ये आपने कराया क्या किसी को मैम मेरा ये प्रॉब्लम है इसलिए मैं पूछ रही हूं हां आप कर सकते हैं बिल्कुल बस आपको हाई बीपी तो नहीं है और कुछ नहीं फिर कर सकते हैं आराम से नहीं बट हमने यही दो प्राणायाम क्यों चूज किया हमने? अनुलोमविलोम नहीं रखा, भस्त्रिका नहीं रखा तो ये दोनों ऑटोइ्यून सिस्टम को बूस्ट अप करते हैं और स्किन डिजीज बहुत सारी ना एलर्जी वगैरह ऑटोइ्यून सिस्टम के वीक होने से होती है। तो एलर्जी का मतलब ही यही है ना कि आपका जो इम्यून सिस्टम है वो उससे फाइट नहीं कर पा रहा है। उसको रोक नहीं पा रहा। और अगर वो थोड़ा स्ट्रांग हो जाए तो उस चीज को अगर वो इम्यून स्ट्रांग हो गया तो एलर्जी के जो भी जिससे भी एलर्जी है उससे फाइट कर पाएगा वो बॉडी में वो सिम्टम नहीं आएंगे जीती जी मुझे जैसे पूछना था सपोज अगर किसी को कोई भी प्रॉब्लम होती है तो योग थेरेपी के अकॉर्डिंग हमें मतलब उससे क्या सबसे पहले डिस्कशन करना चाहिए? हमें क्या नॉलेज होनी चाहिए? उससे क्या पूछना चाहिए कि स्टार्टिंग में मतलब कुछ दो चार पॉइंट्स जो हमें याद रखने चाहिए। देखिए सबसे पहले तो कोई भी व्यक्ति आपके पास आएगा तो वो ऑब्वियसली पहले फोन करेगा। है ना? क्योंकि आजकल डायरेक्ट आने वाला सिस्टम तो कहीं भी नहीं। तो जब वो फोन करें तो आप जरूर क्वेश्चन करें कि भाई आप योग क्यों करना चाहते हैं? तो 100% वो आपको बताएगा कि क्या-क्या प्रॉब्लम है। आप शांति से सुनिए। कोई भी उसमें सजेशन मत दीजिए। जो शब्द आपको ऐसे लगते हैं कि जो टर्मिनोलॉजी आपको लगती है कि नहीं इससे हम यह हमारी जानी पहचानी नहीं है। हम इसके बारे में नहीं जानते हैं। उसे नोट करते जाइए। या हो सके तो कॉल रिकॉर्ड कर लीजिए। ठीक है? फिर उससे बोलिए कि वो जो उसके करंट जो भी टेस्ट हो वो भेजते हैं। तो जब वो करंट टेस्ट भेजेंगे तो उसमें एक सजेशन रहता है हमेशा अगर एक्सरे हो या कनिकल हो जितने भी हो तो उसमें एक लास्ट में होता है सजेशन सजेस्ट। उस पोर्शन को ध्यान से पढ़िए। फिर उसमें देखिए कि अगर आपको कोई वर्ड नहीं समझ में आ रहे हैं तो नेट पर सर्च कीजिए। आपकी वोकबलरी देखिए ऐसे ही बढ़ेगी। ठीक है? अब आप उस पूरी बीमारी को समझ गए। ठीक है ना? उनकी रिपोर्ट्स को समझ गए। अब आपको उनसे बात करनी है तो आप एक टाइम कर लीजिए और फिर उनसे बात करिए कि उनको क्या-क्या प्रॉब्लम है। डॉक्टर ने क्या-क्या बोला है और सबसे पहले यह पूछिए कि डॉक्टर ने क्या एक्सरसाइज करने आपको बोला है। क्योंकि आजकल डॉक्टर हमेशा एक प्रिस्रिप्शन के साथ एक पेपर या मतलब एक डायग्राम वाला ऐसा चार्ट कुछ तो भी देते हैं। ठीक है? और शुरुआत हमेशा उनसे बोलिए। ठीक है? हम इनहीं के साथ शुरू करते हैं। तो क्या होगा कि सबसे पहले तो क्योंकि हर व्यक्ति का डॉक्टर पर ट्रस्ट होता ही है। तो सबसे पहले तो उसका आप पर ट्रस्ट हो गया। अब अगर मान लीजिए उस पार्ट में बहुत स्वेलिंग है। जैसे सपोज नी प्रॉब्लम हम लेते हैं। ठीक है? तो मान लीजिए नी में बहुत स्वेलिंग है तो हमेशा फिर उनको बोलिए कि नहीं आप पहले फिजियोथरेपी के पास जाइए और कम से कम एक महीने कराइए। और जब वह लोग मशीन हटा के सिंपल एक्सरसाइज करने लगे तब आप मेरे पास आइए। ठीक है? हमेशा अब जल्दी में मत रहिए कि नहीं नहीं आप तो मेरे पास आइए मैं सब ठीक कर दूंगी। अब यहां पे आपके पेशेंट का दूसरा ट्रस्ट डेवलप हो गया कि भाई ये कह सकते थे कि हम ठीक कर देंगे लेकिन इन्होंने सजेशन दिया। जो सही सजेशन था वो सही सजेशन दिया। फिर इसके बाद उसकी जो भी डिजीज है उसकी स्टडी करिए कि उसके किस मसल्स में प्रॉब्लम है। जो भी डिजीज है वह क्यों हो रही है। क्या उसकी फिजियोलॉजी में कहां कमी होती है या क्या चेंजेस होते हैं। वो पूरा स्टडी करके फिर प्लान करिए कि उसको कैसे शुरू कराना है। कौन-कौन से आसन कराना है। मान लीजिए आपको ऐसा लगता है कि अर्ध मत्सना है। सपोज लेकिन वो पैर को तिरछा नहीं पा रहा। बॉडी को ट्विस्ट ही नहीं कर पा रहा है। तो आपको पहले उसके क्या लेने पड़ेंगे? वेरिएशंस लेने पड़ेंगे। फिर वेरिएशन करा के धीरे-धीरे ट्विस्टिंग कराते हुए आगे ले जाएंगे। तो इस तरह से किसी भी क्लास की शुरुआत होगी। और कोई जल्दी नहीं करिए। शुरू में उनको बोल के रखिए कि भाई एक्सरसाइज कम होगी। ऐसा नहीं कि हम पहले दिन ही गए और हमने बहुत सारी करा दी। माइक्रो एक्सरसाइज से शुरू करिए। एक्सप्लेन पूरी तरह करिए हर एक एक्सरसाइज को डिटेल में जिससे वो टेक्निक विद टेक्निक और विदाउट टेक्निक का डिफरेंस समझ सके। ठीक है? फिर आप एक हफ्ते तक माइक्रो एक्सरसाइज कराइए। बीच में हम थोड़ा सा टाइम देते हैं ब्रीथिंग को नॉर्मल करने का। कभी भी कोई भी एक्सरसाइज कराते हैं तो दूसरा हम तब तक नहीं शुरू कराते जब तक पहले वाले के दौरान जो ब्रीथिंग बढ़ गई है या जो स्पीड उसकी चेंज हुई है वो नॉर्मल ना हो जाए तो वो जो आपको एक दो मिनट का गैप मिलता है उसमें उससे ढेर सारी बातें करिए लेकिन वही बातें करिए जिसमें वह इंटरेस्टेड है और उसके बारे में ही करिए सो दैट आपका क्या होगा कि आप उसके फिजिकल स्टेटस को समझ पाएंगे कि वह किस तरह से सोचता है, क्या सोचता है। अपना पूरा ध्यान उसकी बॉडी और फेस पर रखिए। तो आप उसके एलाइनमेंट्स को समझ पाएंगे कि क्या है, कैसे हैं। तो जब एक हफ्ते आप यह सब कर लेंगे, उसके बाद ही आप अपना पैकेज बना पाएंगे कि अब मुझे क्या पैकेज बनाकर उसे देना है। उसमें आपका क्या-क्या इंक्लूड रहेगा? उसके फिजिकल चैलेंजेस क्या-क्या हैं? उसके मेंटल चैलेंजेस क्या है? उसके अलाइनमेंट चेंज चैलेंजेस क्या है और उसके ट्रस्ट चैलेंजेस क्या है? कई बार आप बोलोगे ना नीचे बैठ जाओ तो नहीं नहीं डॉक्टर ने बिल्कुल मना किया हम नहीं नीचे बैठेंगे। अब यहां पे अक्सर योग वाले पीछे पड़ जाते हैं कि नहीं नहीं नीचे ही बैठ के करो। योग तो नीचे ही बैठ के होता है। क्यों होता भाई? अगर डबल बैठ के हार्ड सरफेस पर आपने एक मान लीजिए मैट बिछवा दिया तो वह भी तो जमीन जैसा हो गया ना। एक बार बैठ गया तो पेशेंट। क्या फर्क है जमीन और उसमें? करिए ना उससे शुरुआत। अब 100% मानिए कि छ महीने आठ महीने बाद खुद बोलेगा कि हम नीचे बैठ के ट्राई करते हैं। तो सीधा सा मतलब है कि वो जिस दिशा में बह रहा है उसके साथसाथ बह फिर उसे प्यार से टर्न करके ले आइए। ठीक है? क्योंकि इसके बहुत सारे रीजन होते हैं। एक तो जो आपको इतना हायर पेमेंट देगा वह कोई ना कोई एक अच्छी पोस्ट पर अच्छे बिजनेस पर ऐसा ही होगा। एक सिंपल मिडिल क्लास व्यक्ति तो इतना आपको नहीं दे पाएगा और इनका ईगो भी बहुत अधिक रहता है। तो यदि पहले दिन में आपको बोला नहीं नहीं ऐसा नहीं ऐसा करो वैसा नहीं तो वो बोलेंगे कुछ नहीं आता इनको हमको ज्यादा आता है। दूसरा क्या वो अपनी बीमारी है उनके कोई जो भी परिचित की बीमारी है उनके बारे में नेट पर इतना सर्च कर चुका होता है। डॉक्टर से इतनी बात कर चुका होता है कि उसको काफी जानकारियां हो जाती है कि वह क्या है किस तरह की है। तो वह आपकी डेप्थ भी देखेगा कि आपका नॉलेज कितना है। ठीक है? तो इस तरह से हम किसी भी क्लास को शुरू कर सकते हैं। प्रीति जी जय जिनेंद्र मैम एक्चुअली मैम मैंने इसीलिए आपका क्लास थ्री मंथ्स का जॉइ करने का मेरा है क्योंकि मुझे मैंने अपना आराम स्टार्ट किया है महाराज की प्रेरणा से तो सब पेशेंट ही आने लगे अब सारी ले इवन 35 की ऐज में इतना पेन मुझे तो मतलब बिलीव ही नहीं हो रहा कि इतनी कम एज में 35 में इतने पन्नेंस हो रहे हैं उनको और मोस्टली नेक इशू लेके ही आ रहे है तो मुझे लगा मैंने उनको बोला कि आप वेट करो पहले मेरा कोर्स कंप्लीट होने दो अगर जब तक आप चाहो तो फिजियोथरेपी ले लो देन फिर मैं कुछ हेल्प कर पाऊंगी आपकी तो कुछ लोगों को तो मैं हेल्प कर रही हूं कुछ लोगों को मैंने रोक के रखा है तो इसलिए मेरे लिए तो बहुत इंपॉर्टेंट है आपकी क्लासेस सारी अटेंड करना अगर कहीं आपको ऐसा लगता है कि डिस्कस करना है किसी केस के बारे में तो आप कर सकती है डिस्कशन सभी के लिए ये ओपन है और कोशिश करें हमेशा कि माइक्रो से शुरू करें। तो जब कंप्लीट बॉडी की हम माइक्रो एक्सरसाइज शुरू में देते हैं ना एक डेढ़ हफ्ते तो उससे क्या होता है कि ऑटोमेटिक उसके जो जॉइंट्स है वो थोड़े फ्लैक्सिबल हो जाते हैं। तो फिर हम आसन पे जाते हैं ना तो इजी होता है। अदरवाइज हम फर्स्ट डे ही आसन वगैरह करा दे ना तो कई बार मसल्स पेन होने लगता है। और अगर बहुत अधिक रिजिड रहे तो ऐसा ना हो वो पुल हो जाए या रैप्चर हो जाए तो बेहतर यही होता है कि हम माइक्रो एक्सरसाइज से शुरू करें। और फिर उससे ही आगे बढ़ते जाए और देखते जाए कि उसको किस चीज की आवश्यकता है। मैम पॉजिटिव रिस्पांस भी मिलने लगे हैं। एक वन वीक के अंदर ही जिनके मसल्स में बहुत पेन था ये आपके मसल्स में और कॉड्रीसेप्स ब्लैक में बहुत पेन था और वो इतना खुश थे कि उन्हें एट वीक मतलब एट डेज में काफी मतलब लग रहा है रिमारकेबल उनको पॉजिटिव रिजल्ट आए तो बहुत वो पॉजिटिव हो गए। वेरी गुड वेरी गुड बहुत अच्छी जी आपको बहुत-बहुत साधुवाद कि आप एफर्ट कर रहे हैं और कुछ चेहरों पर भी हम मुस्कान ले पाए ला पाए तो मुझे लगता है कि हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है तो आप इसे कंटिन्यू रखिए और जहां जरूरत हो तो आप बिल्कुल निसंकोच पूछ सकते हैं। चेलना जी जय जिनेंद्र मैम हां मैम मेरी एक आधेम की कैंडिडेट है आज से ही ज्वाइन हुई है। तो उनको यूट्रेस का ऑपरेशन हुआ है पिछले महीने पिछले साल अक्टूबर में और उनके किडनी में भी स्टोन था। 2010 में शायद ऑपरेशन भी हुआ लेकिन अभी फिर से किडनी में स्टोन है। पेट में भी दर्द रहता है। गैस एसिडिटी ये सब भी उनको रहती है। तो मैम उनको मैं क्या कराऊं? मैंने उनको वैसे तो बोला कि आप कोई भी आसन बहुत इंटेंसिटी के साथ आपको नहीं करना है। हल्केहके वार्म अप कीजिए और अपनी जो पांच मुद्राएं हैं वो सेफ है वो आप बहुत अच्छे से कीजिए। उस पे ज्यादा जोर दीजिए और जो प्राणायाम मैं करवाऊंगी प्राणायाम आप कीजिए। कपालभाति में बहुत ज्यादा आपको जोर नहीं देना है। बाकी आप प्राणायाम कीजिए। उससे भी आपको बहुत लाभ मिलेगा। और जो अपनी क्लप्स है बाकी जो क्रियाएं अरम योग की तो उससे भी आपको बहुत लाभ मिलेगा। बाकी वार्म अप हल्का हल्का करेंगे और बहुत ज्यादा झुकने वाले आसन और सर्वाइकल भी उनको है। तो जी एक मिनट एक मिनट का मिनट टाइम जी हेलो हां चेलना दीदी आपकी आवाज से 50% बीमारी दूर हो जाती होगी। 11 कितनी स्वीट वॉइस है आपकी तो बहुत स्वीट है टच में है ना आप बहुत मीठा बोलते हैं दीदी मंडे को भी यही डिस्कशन हुआ था अच्छा प्रीति दीदी मंडे भी डिस्कशन हुआ था या क्लास भी मंडे को चक्रास पे मैम ने क्लास हां जो हम लोग एम ए फर्स्ट ईयर में पढ़ चुके हैं मैम ने उसको थोड़ा और डिटेल ज्यादा डिटेल कराया था बहुत फास्ट था हम लोग वीडियो पे डिपेंड है बहुत फास्ट था। हां मैम तो बोल रही थी तो तो उनको वही और पूरा सुना आपने सुनिए सुनिए जी तो तो उनको जो आप करा रहे हैं ये बेस्ट है। है ना? बस उनको जैसे कपालभाति है जिसमें पेट में प्रेशर आता है। सिट अप्स है। है ना? ऐसी कोई चीज मत कराइए। हां मैम जैसे हस्त पादासन है और मैम सूर्य नमस्कार उनको नहीं कराऊ ना सूर्य नमस्कार सूर्य नमस्कार आप होल्ड के साथ करा सकते हैं जैसे कि हां मतलब सूर्य जैसे कि हस्तादासन का प्रपरेटरी तक ही ले आए मतलब हां मतलब उसको कर लिया और उसके बाद हां वही उनको बोला कि आपको बहुत ज्यादा इंटेंसिटी के साथ आपको आसन नहीं करना बाकी जो हमारी मुद्रा है वही आपको बहुत अच्छा अच्छा फायदा देंगे। है ना? हां। उसमें कुछ भी ऐसा नहीं है। हां ऐसा नहीं है। साइड इफेक्ट नहीं है। हां। और पांचवी मुद्रा थोड़ा सा मैंने बोला कि बहुत ज्यादा जोर देते हैं। हां उसको वो फाइनल पोजीशन पे नहीं लाए। देखिए यहां पर जैसे अभी एक क्वेश्चन आया था ना कि हमको मालूम हो किस में कौन से आसन करने हैं। तो अब यहां जैसे चेलना जी ने जो जो प्रॉब्लम बताई ठीक है? हमने सुन ली। अब हम यहां पर ऐसे नहीं प्रिस्राइब कर पाएंगे कि उनको यह आसन मान लीजिए पश्चिम उत्तानसन नहीं करना है। है ना? या पादस्तासन नहीं करना है। आसन वह सब कर सकते हैं। लेकिन कहां तक ले जाना है वो इंपॉर्टेंट होता है। तो हमें यहां पर जब हम थेरेपी में आते हैं तो हमको यह याद नहीं रखना है कि कौन सा आसन करना है, कौन सा नहीं करना है। हमको यह देखना है कि बॉडी के इस पोर्शन पर दर्द है। मतलब क्या है? वह वीक है। तो हमें उसको सपोर्ट देना है। ऐसा नहीं करना है कि उस पोशन पर एक्स्ट्रा प्रेशर आ जाए। ठीक है? तो वो चीज वो एक पैटर्न होता है ना जो हम पढ़ते हैं जनरल योग में कि भाई आसन होता है उसमें लिख दिया जाता है कि ये बेनिफिट होते हैं और जनरल जो थेरेपी होती है वो इसी फॉर्म में चलती है कि जब जैसे अर्ध मत्संध आसन में एक शब्द आता है कि भाई यह मधुमेह के व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है। तो जो भी मधुमेह से ग्रसित होता है डायबिटीज से तो लोग उसको अर्ध मत्स आसन करा देते हैं। अभी तक थेरेपी इसी लेवल पर है। आपको उससे एक ऊपर लेवल पर उठना है। है ना? क्योंकि मान लीजिए उसको इसके साथसाथ कुछ उसके बॉडी एलाइनमेंट्स भी हैं गड़बड़ तब आपको यह भी मान लीजिए मधुमेह में वो पैर को ठीक से मोड़ ही नहीं पाता है तो आप अर्ध मत्संधासन कैसे ही कराएंगे क्योंकि उसमें तो लैग पूरा मुड़ता है तब हम उसको कैसे वेरिएशन के साथ कराएं क्योंकि हमको करना क्या है कि उसका जो पनक्रियाज है उसको एक्टिवेट करना है तो मैम यहां पिरेटरी से नहीं काम चलेगा क्या जिसको बहुत ज्यादा दिक्कत है वो अधेंद्री आसन नहीं कर पाता तो उसके जो प्रिपेयर वक्रासन या मरीच मैं बोल रही हूं वही हो जाएगा मैम हां अब मान लीजिए वो भी नहीं कर पा रहा है तो हम सिंपल हाथ ऐसे करके उसको मूव करने बोले दोनों साइड ट्विस्टिंग तो तब भी हो रही है ना उस जगह पे तो मैम उससे भी लाभ हो जाएगा एक्टिवेट हो जाएगा उससे भी बिल्कुल क्योंकि देखिए ये स्टार्टिंग है लेकिन आपको उसको लेके जाना अर्ध मत चिंता लेकिन अगर नहीं मसल्स अलऊ कर रही तो आप पहले दिन तो नहीं कराओगे ना कि खींच खाच के करा दिया। अब कई लोग के ये जो साइड टायर्स होते हैं साइड मसल्स होते हैं वही इतने रिजिड हो जाते हैं कि सॉरी ना एक मिनट। हेलो हां हां ठीक हो गया भैया ले आओ हम क्लास ले। ठीक है? तो हमारा यह इंटेंशन होना चाहिए कि हमको किस जगह पर काम करना है और उस जगह पर कितना प्रेशर या कितनी स्ट्रेचिंग या कितना कॉन्ट्रैक्ट कॉन्ट्रक्शन डालते हुए काम करना। फर्क समझ में आ रहा है अब आपको? तो यहां आपको कोई आसन याद नहीं करना है। आपको नाम नहीं मालूम कोई बात नहीं। आपको बस यह मालूम होना चाहिए कि मुझे करना क्या है। क्लियर हुआ सभी को? चलिए और मैम सर्वाइकल भी उनको है तो सर्वाइकल के लिए क्या सजेस्ट देखिए यदि सर्वाइकल है तो आप उनको ट्विस्टिंग बहुत अधिक नहीं करा सकते। अब सर्वाइकल का आप ये देखिए कि वर्टिब्रा किस पोजीशन में है। है ना? उनका एक्सरे वगैरह चेक करिए। उसके बाद ही फिर डिसाइड करिए क्योंकि अगर आप ट्विस्टिंग कराएंगे तो उनको ऐसे चक्कर जैसे आने लगेंगे और वो कंफर्टेबल फील नहीं करेंगे। ठीक है श्वेता जी जय जिनेंद्र मैम जय मैम एक क्लाइंट है उनको कंसीव करने में थोड़ा दिक्कत आ रहा है। डॉक्टर को दिखाया तो वो बोल रहे हैं कि उनका एग का क्वालिटी थोड़ा वीक है। तो एग का क्वालिटी हम अपनी थेरेपी से कैसे इंप्रूव कर सकते हैं? अपने स्वाधिष्ठान चक्र पर एज उनकी 28 इयर्स है। तो अभी तो कर सकते हैं क्योंकि अगर एज बहुत अधिक होती है तो बहुत मुश्किल होता है। तो पहली बात तो आप उनके जो मणिपुर चक्र है, स्वाधिष्ठान चक्र है, इन दोनों पे थोड़ा सा फोकस करके और आप इंप्रूव कर सकते हैं। दूसरा ये कि उनकी डाइट आपको देखनी पड़ेगी। हम क्योंकि जो ओवम होता है उसकी क्वालिटी डाइट पर भी डिपेंड करती है कि वो किस तरह का खाना खा रहे हैं। लाइफ स्टाइल किस तरह की है। तो उस पर भी आपको देखना पड़ेगा और तीसरा देखना पड़ेगा थॉट प्रोसेस। कई बार क्या होता है आजकल ये भी बहुत पैटर्न है कि वो मेंटली वो खुद ही नहीं चाहते हैं कि मैं कंसीव करूं। इतनी सारी रिससिबिलिटीज और सारी चीजें रहती हैं। तो कई बार ऐसा भी होता है। तो वो थॉट प्रोसेस आपको देखनी पड़ेगी। और चौथा एक बार जो हम आसन करते हैं ना लेग्स ऑफ द बॉल वो उसके लिए बहुत ही यूज़फुल है। ओके। एक वीडियो है मेरे इसमें फर्टिलिटी ऐसा करके है। वो देखिएगा तो उसमें इसका पूरा डिटेल है। ओकेम ओके थैंक यू मैम। अब और कोई कुछ बोलना चाहता है? देखिए बेझिझक होकर जो भी कंफ्यूजन है, जो भी क्वेश्चन है आप बिल्कुल बेझिझक होकर पूछे क्योंकि हम यहां बैठे इसीलिए कि हम सबको सॉल्व करें। मैम बेसिकली हम फोर डिसीज कवर करने वाले हैं ना हाइपरटेंशन एंड डायबिटीज। फोर डिजीज तो हम कवर करेंगे लेकिन आपको नॉलेज इतना हो जाएगा कि आप बाकी की अपने आप कर पाएंगे। यह फोर हम इसलिए करेंगे कि आपको पता चले कि कैसे करते हैं। जैसे एक हम एग्जांपल ले लेते हैं ना कि किस तरह से करना चाहिए। वो आपको गाइडलाइन मिल जाएगी। तो सबसे अच्छा तरीका यही होता है कि सबसे पहले तो आप यह देखें कि वो बीमारी है क्या? पहला पॉइंट। ठीक है? कोई भी बीमारी हो। दूसरा यह देखें कि वह बॉडी के किस ऑर्गन को इफेक्ट कर रही है। किस जगह हो गई। वहां की एनाटॉमी क्या है? थर्ड देखें कि वहां की फिजियोलॉजी क्या है? और उस बीमारी से वो फिजियोलॉजी किस तरह से इफेक्ट होती है। ठीक है? फोर्थ पॉइंट। अब इसमें देखिए अगर कोई एंडोक्राइन के पास होगा तो वो सारी चीजें आ जाएंगी। है ना? अब फोर्थ यह देखें कि वहां पर वह जो बीमारी है उससे जुड़े और कौन से ऑर्गन है कि अगर वो एक जगह तो कोई टारगेट ऑर्गन होगा आसपास के वो कुछ और ऑर्गन से जुड़ेगी तो वो कौन से ऑर्गन है फिर वहां का मसल्स स्ट्रक्चर क्या है? बोन स्ट्रक्चर क्या है? और उनको कैसे हम ठीक कर सकते हैं? जैसे डायबिटीज है तो डायबिटीज में हमने पहले देखा कि वो कहां होती है? पेनक्रियाज में। अब पनक्रियाज में भी कहां होती है? तो उसकी जो बीटा सेल्स होते हैं उसमें होते हैं। अब इसकी फिजियोलॉजी क्या होती है? क्यों होती है? यह वो हमने फाइंड आउट किया कि इंसुलिन के सीक्रेशन में चेंजेस आते हैं। अब ये इंसुलिन का फंक्शन क्या होता है? किस तरह से काम करता है बॉडी में? कैसे इफेक्ट करता है? और इसके कम या ज्यादा होने से होता क्या है? और अगर यह हो गया है तो इसको डॉक्टर्स कैसे इसको रिकवर करते हैं? है ना? फिर अगर यह चीजें हैं तो हम योग में ऐसी कौन सी क्रियाएं हैं कि जिनसे हम इस पर काम कर सकते हैं तो कोशिश कीजिए नॉर्मल कोई भी डिजीज लीजिए और उनके सारे यह इमेजिन करिए कि आपके पास कोई क्लाइंट आया है या अपने आसपास के कोई सपोज आपके कोई रिलेटिव है उन्हें मत दीजिए थेरेपी लेकिन उनकी बीमारी को ले और यह पूरा टारगेट करिए तो पहले कॉमन डिजीज को करिए कि जो बहुत अधिक होती है फिर धीरेधी आप और जैसे जैसे डिजीजंगी सुनेंग उनके बारे में देखेंग तो आपका जो नॉलेज है वो प्लस होता जाएगा। मैम हाइपोथायरॉइडिज्म को कैसे उसको ट्रीट कर सकते हैं? ये किससे रिलेटेड होगा? थायराइड ग्लैंड्स थायराइड पैराथायराइड दोनों से हो सकता है क्योंकि दोनों की सिचुएशन बहुत पास है। अब ये इस ग्लैंड से जो एक हार्मोन सीक्रेट होते हैं वो कम या ज्यादा होने से हाइपर या हाइपोथायरॉइड होता है। ये आपको मालूम हो गया। ठीक है? अब यह देखिए कि वह जो हार्मोंस होता है टीएस है ना जो कि कम या ज्यादा होता है उसके फंक्शन क्या है ये आप लोग ही होमवर्क में करिएगा ठीक है कि जैसे हमने थायराइड डिजीज ली तो सबसे पहले तो यह बॉडी के किस पार्ट में हो रही है वहां पर कौन-कौन से ऑर्गन है उन ऑर्गन की फिजियोलॉजी क्या अगर वो हार्मोंस है तो उन हार्मोंस के फंक्शनंस क्या है? यह फिजियोलॉजी में ही आ जाएगा। ठीक है? अब इस इसमें क्या-क्या इसकी पैथोलॉजी क्या है? मतलब यहां क्या-क्या बीमारियां हो सकती हैं? फिर पॉइंट आउट टारगेट करिए कि हम किस बीमारी के बारे में कर रहे हैं। तो उस बीमारी के क्या लक्षण है? क्या सिम्टम्स हैं? और कौन सा शरीर में ऐसा बदलाव आता है कि वह बीमारी हो जाती है। मतलब जो फिजियोलॉजी है उसमें क्या-क्या चेंजेस होते हैं कि वह बीमारी होती है। अब जो चेंजेस होते हैं उनको हमारे पास योग में क्या-क्या टूल है और किन टूल्स के थ्रू हम उनको ठीक कर सकते हैं। तो यह थायराइड का आप लोग भी पूरा ऐसा चार्ट आउट करिए। तो हम नेक्स्ट क्लास में पूरा थायराइड के बारे में ही बात करेंगे। ठीक है? तो आपको अब टूल्स क्या-क्या रहेंगे आपके हाथ में? सबसे बड़ा टूल होता है अष्टांग योग। है ना? क्योंकि उसमें मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक तीनों पक्ष जुड़ जाते हैं। उसके अलावा क्या टूल्स रहेंगे? जैसे आपके बंद, मुद्रा क्योंकि जालंधर बंद बहुत अच्छा काम करता है। है ना? यह सारी रहेंगे। फिर चक्र, फिर पंचकोष, फिर त्रिशरी। तो, यह सारे आपके टूल्स हैं। जिनके थ्रू आपको उस पेशेंट को ठीक करना है। तो, जब आप यहां तक पहुंच गए कि अब ठीक कैसे करना है, तो यह सारे टूल्स को यूज करते हुए आप क्या यूज करेंगे? वह आपको नोट करना है। तो कुछ बीमारियों के आप ऐसे चार्ट बनाएंगे ना तो फिर आपको फिजिकली बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आपका ब्रेन ही ट्रेंड हो जाएगा कि कोई कुछ बोलेगा तो ऑटोमेटिक आप उतनी सारी चीजें कैलकुलेट कर। तो शुरू में यह जो चार बीमारी इसीलिए ली है कि इन चार को हम कैसे कैसे करना है यह पेपर पर वर्क करके करेंगे तो आप लोग को आईडिया भी मिल जाएगा कि किस तरह से काउंट करना है। हां, फिर इसमें जब पैथोलॉजी हम करेंगे तो उसमें यह भी देखेंगे कि इसके टेस्ट कौन-कौन से होते हैं। और उनके स्केल्स क्या-क्या होते हैं। तो यह सब आपको फ्राइडे तक करके रखनी है। ठीक है? और वह जो पेपर का पूरा नोट बना है उसको ग्रुप में शेयर करें। तो हो सकता है एक चीज किसी एक का व्यू टोटली डिफरेंस हो दूसरे का डिफरेंट हो। तो वो हम देख सके। ठीक है? तैयार है सभी पॉइंट्स लिख लिया जो मैम ने बताया मैंने लिख जिसने भी लिखा तो ग्रुप में शेयर कर शेयर कर दे अपन इसी में और मैम प्रैक्टिकल करेंगे इसी का नहीं अभी एक्चुअली क्या हो रहा है चेन बहुत सारे लोग ये दो क्लासेस में क्लास अटेंड नहीं कर पा रहे ऐसा अपन ने पोलिंग किया था तो उसमें करीब छह लोगों ने ऐसा किया कि नहीं हम नहीं कर पाएंगे और क्योंकि प्रैक्टिकली बेस होता है तो हमने इसलिए इसको थोड़ा सा शेड्यूल चेंज कर दिया कि हम मंडे से ही प्रैक्टिकल कर लेंगे। अभी हम ठीक है एक दो बीमारियों के बारे में डिस्कशन कर लेंगे क्योंकि यह भी जरूरी है। जब तक आपको यह मैपिंग नहीं बनेगी ना तब तक आप किसी भी डिजीज पर काम कर नहीं पाएंगे। और एक बार यह मैपिंग बनने लगी तो फिर आपको कोई भी डिजीज ऐसी नहीं लगेगी कि हां ठीक है कर लेंगे। हां मैम मुझे भी लग रहा है कि दो चार बीमारी शुरू की हम लोग एक बार इस तरह से कर लेंगे ना फिर ज्यादा होमवर्क नहीं करना पड़ेगा फिर वो आईडिया लग जाता है। इसीलिए सिर्फ चार डिजीज ली है कि वो एक बेस हो जाएगा आपके लिए कि किस तरह से आगे काम करना है। जब आपका ये पूरा चार्ट बन जाएगा सैटरडे को तो हम एक फाइनल उसको चार्ट आउट कर लेंगे। ठीक है ना? और फिर हम मंडे उसी पर प्रैक्टिकल में चले जाएंगे। ठीक है? तो वह एक सिस्टमेटिक होगा। अदर वाइज आप भी कंफ्यूज रहोगे। हम भी कंफ्यूज रहेंगे और वही होगा कि क्या करना है, कैसे करना है कुछ समझ ही नहीं आएगा। ऋतू जी आप कुछ बोलना चाह मैम जैसे आपने अभी थायराइड पर बोला पंचकोष तो पंचकोष हमें वैसे तो समझ आ गया कि हमारे कैसे कैसे अंदर मतलब बॉक्स की तरह से हमारा शरीर है तो उसमें पंचकोष का क्या काम रहेगा अगर किसी भी डिजीज को देख तो बताइए जवाब दीजिए ऋतू जी के क्वेश्चन का देखो एक तो ये चीज को ध्यान में रखिएगा कि जो हमारे टूल्स हैं ये ऐसा जरूरी नहीं कि हर बीमारी में सारे टूल्स काम करें है ना मतलब उस कौन से करेंगे यह आपको चूस करना है लेकिन अभी थायराइड पर पंचकोष किस तरह से काम करेंगे मैम मैं ही जवाब दूं थोड़ा सा मुझे अपने आप को बोलने के बाद कुछ लग रहा है जैसे हमारे अनमय कोष पर वो मतलब कैसे असर कर रहा है और हमारे मेंटल प्रोसेस पे कैसे वो असर कर रहा है उसकी वजह से तो प्रॉब्लम नहीं है। ये चीजें हमें नोट करनी पड़ेगी उसकी। देखिए यह तीन कोष पर काम कर मनोमय कोष पे मनोमय कोष पे इसके सिम्टम्स कहां आ रहे हैं? अन्नमय कोष पे मतलब कहां पर? पनक्रियाज सॉरी अपन थायराइड की बात कर रहे हैं। तो हमारे नेक पर थायराइड पैराथायराइड ग्लैंड पर। ठीक है? अब यह जो ग्लैंड है, यह जो हार्मोन सीक्रेट कर रही है, यह किससे कर रही है? एनर्जी से। बिना एनर्जी के पॉसिबल है ये कर पाएंगी? नहीं। है ना? इनको एनर्जी मिल रही है जिससे ये अपना फंक्शन कर रही हैं। तो फिर यह किससे रिलेटेड हो गई? प्लांट को से। अब देखिए जैसे मान लीजिए मेरे यहां एक बल्ब जल रहा है। ठीक है? अब उसको मैं बहुत कम वो का इलेक्ट्रिसिटी करंट देती हूं। वो मान लीजिए वो 40 वोल्ट का है। लेकिन उसको मैं 10 वोल्ट ही दे रही हूं। तो क्या होगा? उसकी लाइट कैसी होगी? कम होगी। अगर मैं धीरे-धीरे बढ़ाती जाऊं तो वह 40 वाट तक तो पूरा फुल लाइट देगा। उससे भी ज्यादा बढ़ा दूं तो क्या होगा कि पॉसिबल है वो फ्यूज हो जाए। तो यही चीज हमको फाइंड आउट करना है कि अगर वहां एनर्जी जा रही है तो कितनी जा रही है। ऐसा तो नहीं कम जा रही है। यह हो गया हमारा प्राणमय कोष। मनोमय कोश से हमको क्या देखना है कि जैसे हमने एक एग्जांपल लिया था कि सलाइवरी ग्लैंड हमारी थॉट प्रोसेस से जो सलाइवा का सीक्रेशन है वो कम या ज्यादा कर देती है। ठीक है? तो जब एक ग्लैंड में यह होता है तो बाकी में भी होता है। तो ऐसा तो नहीं कि मन में कुछ ऐसी चीजें हैं जो थायराइड पैराथायड ग्लैंड के सीक्रेशन को अफेक्टेड कर रहे हैं। तो हमको तीन कोष तक काम करना पड़ेगा और ज्यादातर बीमारियों में इन तीनों कोषों पर काम मैम बोलने के बाद खुद को ही समझ आने लगा था बात को। कई बार ऐसा होता है। तो कोशिश करें कि इसका पूरा मैप बनाकर ग्रुप में शेयर करें और फिर कोई भी एक फाइनल मैप बना दे। है ना? यह सब अपने पास फाइनल मैप बनाना चाहे तो बना ले क्योंकि अपने मैप को वो दूसरे से कंपेयर करें और जहां लगता है कि नहीं यह पॉइंट मिस हो गया है हमसे तो उसको ऐड ऑन कर ले। सबके पास एक फाइनल मैपिंग हो जाएगी। मैम यह तरीका अच्छा आपने निकाला आज क्योंकि हम सच में कंफ्यूज हो रहे थे। अभी जैसे पंचकोष का दो मिनट में मन में आया कि पंचकोष का यूज़ क्या है लेकिन बोलने के बाद खुद को ही समझ आया। ये जब तक हम प्रैक्टिकल नहीं करेंगे हमें समझ नहीं आएगी। एक्चुअली वही चीज मैं आप लोग को बार-बार बोल रही हूं कि आप लोग पेशेंस रखिए। ये ऑटोमेटिक आपके अंदर से आएगा। क्योंकि अभी हो क्या रहा है कि जो चीजें हैं वह आपका माइंड अभी सिर्फ कंसीव कर रहा है। तो जब वह कंसीव कर लेगा ना तो जब जरूरत होगी उस वक्त ऑटोमेटिक वो बाहर उसको फ्लैश करेगा। तो जैसे फ्लैश लाइट चमक जाती है ना ऐसे आपके माइंड में ऑटोमेटिक वो फ्लश हो गया कि अरे वाह इसका तो यह आंसर है श्वेता जी मैम एक लेडी है 54 इयर्स की उनको सलाइवरी ग्लैंड से सलाइवा सिक्रशन कम होता है वो फिर उनको डॉक्टर अभी स्टेरॉइड्स दे रहे हैं बट उनका मुंह बार-बार सूखता है और सलाइवा सिक्रेशन कम होता है। तो इसके लिए हमें कैसे एक्टिवेट करना है? देखिए सबसे पहले की रिपोर्ट्स देखिए कि उन्होंने क्या रीजन बताया। ओके। है ना? अब उनकी वो कब से कम हो रहा है सलाइवा? किस एज से कम हो रहा है? अभी क्या एज है क्योंकि एक लगभग 50 60 के आसपास क्या होता है कि या तो सलाइवा कम हो जाता है या ज्यादा हो जाता है हम दोनों में से कोई भी चेंजेस होते हैं डिपेंड करता है कि हार्मोनल चेंजेस जो होते हैं है ना तो एक तो किस ऐज से उनको ऐसा लगा और वो कौन सा ऐसा इंसिडेंट हुआ क्योंकि कुछ ना कुछ ऐसा हुआ होगा अचानक से तो होता नहीं है तो वो क्या इंसिडेंट था जिसके कारण से यह होना शुरू हो गया सलाइवा कोई मेंटल इंसिडेंट होता है। मेंटल आप देखिए अगर हम बहुत डर में रहते हैं किसी भी कारण तो हमारा मुंह सूखने लगता है। आप सोच के देखिए कोई ऐसी पोजीशन है कि हम बिल्कुल डर गए हैं बहुत बुरी तरह से तो मुंह सूख जाता है। तो जब लगातार व्यक्ति उसी पोजीशन में होगा तो वो सलाइवरी ग्लैंड्स जो है वो सीक्रेशन को कम कर तो जो फ्यूचर इनसिक्योरिटी की भावना होती है वो अक्सर इसके लिए रिस्पांसिबल होती है। ओके है ना 100% जरूरी नहीं लेकिन एक फैक्टर ये भी हो सकता है। तो वो फैक्टर आपको ढूंढना पड़ेगा। ओके कि क्या मैम? एनएलसी का एक सेशन ले लीजिए ना प्लीज। हां लेंगे थोड़े से लेंगे वो भी ले लेंगे मैम ज्यादा एसी में रहने से जैसे बॉडी सूटती है तो उसमें सलाइवा भी ऐसे कम हो सकता है बिल्कुल क्योंकि मॉइस्चर कम हो जाता है तो जब भी ज्यादा एसी में जो रहता है तो उसके लिए ऐसा बोला जाता है कि एक टब में पानी भर के अपने रूम में रखिए जिससे वहां की जो ह्यूमिडिटी है वो कम ना हो तो जो इवन स्वेट ग्लैंड्स भी जो होती है वो भी कम स्वेटिंग करने लगती है। उसके कम स्वेटिंग करने से क्या होता है कि जो स्किन के जो टॉक्सिंस है वो बाहर नहीं निकलते हैं। क्योंकि जो स्किन के टॉक्सिन मटेरियल है वो तो स्वेट के थ्रू ही बाहर निकलते हैं। स्किन रिलेटेड बीमारियां भी बहुत सारी होती है। तो ये सारी चीजों को आप देखें। ओके। ठीक है श्वेता जी। सारी चीजों को पता करें फिर आप डिस्कस करें। दीप्ति जी कोई और क्वेश्चन भी है क्या? हां जी। हां जी मुझे अभी जैसे अभी स्वेटिंग की बात की तो मुझे एकदम से याद आया कि जिनको स्वेटिंग बहुत ज्यादा होती है मतलब उनको एक तरह से कहते है ना नली चल पड़ता है कि बहरा होता है बिल्कुल ही किचन में। इवन मतलब विंटर्स में भी उनको स्वेटिंग होती है। तो उसके पीछे मतलब क्या रीजन होता है और इसको कैसे कंट्रोल करें या क्या है मतलब ठीक रहता? उनकी स्वेट ग्लैंड की एब्नॉर्मेलिटीज है। है ना? कि उनका कम या जैसे बॉडी में जब तक हर चीज बैलेंस रहती है तब तक ठीक रहती है और जैसे ही कोई भी सीक्रेशन कम या ज्यादा हुआ तो वो एक एब्नॉर्मल प्रोसेस हो जाती है और ज्यादा हीटेड होने के कारण बॉडी में शायद हीट ज्यादा रहती है इस कारण से क्योंकि जो स्वेटिंग होती है उसके दो काम एक तो काम है कि वो जो स्किन के टॉक्सिंस है वो रिमूव करती है और दूसरा काम क्या है कि हमारेकि स्किन के पास ही पूरा पूरा वैन का नेटवर्क होता है ब्लड कैपिलरीज का तो उनका टेंपरेचर बहुत अधिक ना हो पाए क्योंकि एक सर्टेन टेंपरेचर के बाद उसके जो आरबीसी होते हैं वो टूटने लगते हैं। तो उसके लिए क्या होता है कि स्वेट आता है तो जब पसीने की एक लेयर आती है ना यहां पर और फिर गर्म हवा भी लगती है ना तो वो यहां ठंडा करता है। यह प्रोसेस है बॉडी की जिसको हम कूलिंग प्रोसेस कह सकते हैं बॉडी की है ना तो मे बी पॉसिबल कि उनकी बॉडी में हीट ज्यादा रहता हो अक्सर जो लोग बहुत गुस्सैल होते हैं ना उनके साथ ये प्रॉब्लम होती है जिनको बहुत बात पे गुस्सा आता है तो सभी के साथ हो लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है लेकिन ऐसा होता है इतना सब कुछ सुनने और पढ़ने समझने के बाद ना ऐसा मतलब मुझे ऐसा लग रहा है कि सार यही है कि आप अपने भावों को जितना शुद्ध रख सकते हैं ना जितना आप जितना आप अपने भावों को शुद्ध रखेंगे सारा खेल ही भावों का है। कुछ करने की जरूरत ही नहीं है। भाव संभाल लो तो सब संभल जाएगा। हां मुझे वही लग रहा है कि आपका शरीर भी संभल जाएगा। आपका घर परिवार भी संभल जाएगा। हर चीज संभल जाएगी। संभल जाएगा। आपका फाइनशियल स्टेटस भी संभल जाएगा। सब कुछ समझ जाए वो बिल्कुल सही बोल रही है और इसीलिए आप देखिए हर चीज में भाव ही प्रधान होता है प्रीति जी आप भी कुछ पूछना चाह रहे हैं क्या कि पहले मैम जिनका जैसे अभी बूटी ने बोला कि पसीना बहुत आता है तो उसके लिए तो हम उनको यही कर सकते है ना कि गरम चीजें कम खाए पानी ज्यादा उनके लिए जैसे चंद्र वेदी प्राणायाम है शीतली प्राणायाम है शीतकारी प्राणायाम ये सब वो करें ना तो उससे काफी उनको इसमें मतलब योग का कोई रिलेशन ऐसा नहीं लग रहा मुझे तो यही है मेडिटेशन मतलब योग के ये वाले टूल्स ले हम उसमें प्राणायाम वही काम है निधि जी आवाज आ रही है मैम मैम पेशेंट्स के थॉट प्रोसेस को चेंज करने के लिए हमारे पास क्या मेडिटेशन होगा? मींस जैसे आप बना के बोलते हैं उनके उनकी उनकी टाइप के अकॉर्डिंग मतलब उनके मेंटल स्टेटस के अकॉर्डिंग या कुछ होते हैं। नहीं एक्चुअली सबसे बेस्ट तो वही होता है कि आप कस्टमाइज कीजिए। क्योंकि क्या होता है ना अगर मेंटल लेवल पे भी हम देख ना तो कोई भी दो व्यक्तियों की सेम प्रॉब्लम नहीं होगी। और वह सेम प्रॉब्लम भी होगी तो जो मेंटल उसके रीजन होंगे ना वह डिफरेंट होंगे। तो पहले तो आप उन रीजन को पकड़े कि वो क्या है क्यों है? हर एक बिहेवियर के पीछे एक कारण होता है। और फिर उसके हिसाब से डिजाइन करें। फिर कुछ चीजों का बहुत ध्यान रखना पड़ता है कि जैसे नेगेटिव कोई भी सेंटेंस ना आए मेडिटेशन में ना जैसे हम बोलते हैं कि रोग नहीं हूं यह शब्द नहीं आना चाहिए अशांत नहीं हूं यह शब्द नहीं आना चाहिए उसकी जगह आना चाहिए शांत हूं या निरोगी हूं इवन निरोगी को भी अवॉइड करते हैं आरोग्य संपदा से भरा हुआ हूं इस टाइप के शब्द यूज़ करते हैं और ज्यादा ज्यादातर जो हम हैबचुअल होते हैं ना वो नहीं वाले में होते हैं। मतलब आप देखिए अगर एकदम से अंदर से कुछ निकलता है तो वो ऐसा ना हो बस सडनली तो वो आदत आपको चेंज करनी पड़ेगी। तो अब ये कैसे चेंज करेंगे? क्योंकि बायस हम नेगेटिव ही है। ठीक है? तो उसके लिए एक होता है लॉ ऑफ कैंसिलेशन। तो यह जो लॉ कैंसिलेशन होता है यह आपको इंप्लीमेंट करना पड़ेगा। अब वह कैसे करना पड़ेगा? जैसे होता है ना यूकेजी केजी का बच्चा कि एक एक अक्षर बहुत ध्यान से बनाता है। अगर वो जिस समय वो बना रहा है। आप कुछ और बोलोगे तो शायद वो सुनेगा भी नहीं। या सीधा बोलेगा मम्मा अभी रुको अभी मैं यह कर रहा हूं। सभी का अनुभव होगा जब वो स्टार्टिंग केजी वगैरह में जाता है। है ना? तो वही ध्यान आपको अपने थॉट प्रोसेस पर लाना पड़ेगा। अब क्योंकि हमारी हैबिट यह है कि हम नहीं कोई ज्यादा यूज करते हैं कि या नेगेटिव थॉट्स तो ज्यादा यूज करते हैं दो में से तब आपको जैसे ही कोई एक नेगेटिव थॉट आया। जैसे मान लीजिए सपोज आया कि कोई व्यक्ति घर आने में लेट हो रहा है तो हमारे पास नेगेटिव थॉट आया कि गाड़ी खराब हो गई होगी। गाड़ी तो नहीं खराब हो गई। कहीं एक्सीडेंट तो नहीं हो गया। हमारे पास यही थॉट आते हैं। तो जैसे ही यह आए तो हम तुरंत अलर्ट हो जाए और उसके आगे लेकिन किंतु परंतु लगा के और उसका जो यह नेगेटिव पार्ट है इसको कैंसिल करें कि गाड़ी तो नहीं खराब हो गई होगी। नहीं उसकी गाड़ी हमने अभी कल ही सर्विसिंग में कराई है। तो डेफिनेटली गाड़ी ठीक है। अब हम यह नहीं बोलेंगे कि गाड़ी तो नहीं खराब हुई। तो हमने क्या किया कि जो नेगेटिव वाला पार्ट था उसको हमने कैंसिल कर दिया सिंपल सा। तो स्टार्टिंग हमेशा इसी से होती है। फिर जब बार-बार बार-बार आप ऐसा करेंगे ना तो एक समय ऐसा आएगा कि वो नहीं वाला आना ही बंद हो जाएगा। क्योंकि आप अपने माइंड को वो भी एक तरह का पशु है कहना चाहिए चंचल। तो उसको जैसे ट्रेंड करते हैं ना वैसे आपको ट्रेंड करना पड़ेगा। तो जब भी मेडिटेशन कोई भी अगर डिजाइन करें तो यह ध्यान रखें कि उसमें नहीं वर्ल्ड नहीं होना चाहिए। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जो एनर्जी होती है जो कॉस्मॉस में जाती है जिसको हम बोले कि सुपर कॉन्शियसनेस के पास जाती है और वो हमें फिर ब्लेस करते हैं उस चीज के लिए तो वहां पर नहीं वर्ड की वैल्यू नहीं है। तो हमने जैसे ही बोला कि मैं बीमार नहीं होना चाहता तो वह नहीं की नहीं तो नहीं को हटा देंगे। तो क्या बचा? मैं बीमार होना चाहता हूं। इसका एक बहुत फेमस एग्जांपल है मदर टेरेसा का। आप लोगों ने सुना भी होगा कि उनके पास एक रैली के लिए एक संस्था आई और बोले हम आपको इनवाइट करते हैं। हम एंटी वॉार रैली निकाल रहे हैं। तो उन्होंने तुरंत मना कर दिया कि नहीं मैं नहीं आऊंगी। तो जब उनके साथ वालों ने पूछा तो बोले यह एंटी वार जरूर है लेकिन वार शब्द जहां आएगा तो आपके दिमाग में वो मारपीट खून ये सारी चीजें भी आएंगी। बोले यदि वो बोलते कि हम पीस रैली के लिए आपको बुला रहे हैं तो मैं जरूर जाऊंगी। तो आप खुद एक विजुअलाइज कीजिए कि आप जैसे ही युद्ध शब्द को इस्तेमाल करते हैं तो आपके कैसे इमेज बनने शुरू होते हैं। ऐसे ही कि जगह खून पड़ा हुआ है, डेड बॉडीज हैं और अगर आप शांति को बोलते हैं तो क्या पैटर्न बनते हैं? तो मेडिटेशन में क्योंकि उस समय आप उस व्यक्ति के कॉनशस माइंड को पैसिव कर देते हैं और आप जो भी बोल रहे हैं वो डायरेक्ट कहां जा रहा है? सबकॉन्शियस माइंड और सबकॉन्शियस माइंड कैसा है? इनलॉजिकल है। अगर आप कॉन्शियस माइंड में इंड्यूस करोगे ना तो वो तो दसों लॉजिक दे देगा। क्यों करूं ऐसा नहीं करना है। क्या ही होगा इसको करने से? मैं जैसा हूं वैसा ही ठीक हूं। लेकिन सबकॉन्शियस कैसा है कि आपने उसमें जो बोला उसने बोला जो हुक्म मेरे आता है और वह करना शुरू कर दिया। अब यह इफेक्ट पॉजिटिव नेगेटिव दोनों के लिए सेम होता है। वहां वो फिर यह नहीं देखता है कि नहीं नहीं यह तो नेगेटिव है। इससे बुरा हो जाएगा नहीं करो। तब भी वह उतनी ही शिद्दत के साथ उसको पूरा करने के लिए चल पड़ता है जितना कि पॉजिटिव। तो जो मेडिटेशन डिजाइन किए जाते हैं वह बहुत सोच समझ के किए जाते हैं क्योंकि वैसा आप उसके आगे फ्यूचर बना रहे हो। आपने अपना फ्यूचर उसके हाथ में दिया है। ऐसा मान लीजिए। मैम कई जो अपने मोटिवेशनल भजन होते हैं। है ना? वो भी इतना असर कर जाते हैं। है ना? उसको अगर अपन एक्सप्लेन करते हैं उस तरह से जैसे मैं आंखें बंद करवा के जो हो सो जो है सो है। है ना जन्म सुनिश्चित हम अपने आसपास देखते हैं कि जन्म सभी का देखते हैं सुनिश्चित जब आना तब आता है मरण भी सुनिश्चित है अपने लेकिन फिर भी हम अपने लिए नहीं मानते कि मरण सुनिश्चित अपने लिए इस चीज को अगर अपन स्वीकार कर ले और कर ले तो ये भजन 27 नॉनजन बच्चे थे मैं उन लोगों को पांच दिन करवाया मैंने योग तो एक बच्चा इतना मोटिवेटेड हुआ इससे कि उसके सामने एक बड़ी घटना घट गई थी एक लड़की ने सुसाइड कर लिया मेरे सेशन चलते हुए नहीं उन पांच दिनों के अंदर-अंदर और फिर क्या हुआ कि वो अकेले थे उसके पापा ही थे अब वो क्या किया उस सिचुएशन में बिल्कुल काम रहा और उसने बोला कि मुझे जो करना है बस मेरा जो फर्ज है मैं निभा रहा हूं बाकी जो हो सो हो जो है सो है वो इतना मोटिवेटेड था घबराया नहीं उस सिचुएशन में फिर वो दरवाजा मतलब खिड़की को तोड़ के अंदर गया तो उसके हाथ में चोट भी लग गई थी तो वो साइड में बैठा रहता था। मैंने इस चीज को गौर नहीं किया। बोले शांत होगा बच्चा बैठा है। शांत होकर बैठा रहता था। तो उसको चोट भी लग गई थी। लेकिन वो फिर बच्ची को बच्ची फिर बच नहीं पाई। वो हॉस्पिटल भी ले गया। पूरा हेल्प किया लेकिन बोला कि मैम मैं तटस्थ था उस वक्त। मैं विचलित नहीं हुआ। मैं इस सॉन्ग मतलब इस भजन से इतना मोटिवेटेड था कि जो हो सो मैंने मैंने पूरा हां देखिए भजन हो या आप मेडिटेशन करा रहे हैं। ये सिर्फ शब्दों की ताकत है। बिल्कुल ना आप किसी भी फॉर्म में कराइए उसको चाहे भजन के फॉर्म में चाहे आप मोटिवेशनल स्पीच दे रहे हैं या आप मेडिटेशन करा रहे हैं। ये आपके जो आप वर्ड डिलीवर कर रहे हैं ये उनका पावर है। जैसे पर तुलना से हंसना हां बिल्कुल जैसे पर तुलना से हंसना रोना पड़ोसी ने गाड़ी ले ली तो हम हम रोने लगते हैं और हमने गाड़ी ले ली तो हम हंसने लगते हैं या फिर किसी के ज्यादा मार्क्स आ गए तो ये मैंने अपनी बेटी के साथ ही देखा जब तक नहीं पता था वो अपने मार्क्स से संतुष्ट थी कि मम्मा ठीक है मैंने इतना ही पढ़ा था तो भी अच्छे ही आ गए मेरे लेकिन जैसे-जैसे दिन बढ़ता गया मार्क्स और बच्चियों के पता चलते गए तो थोड़ा कभी निराश हो रही थी कभी खुश खुश हो रही थी हमारे तुलना से तो ये क्या कि मैं लोगों को फिर जब मैं जब ये भजन गाती हूं तो फिर इस तरह से बोलती हूं तो लोग इसे बहुत मोटिवेटेड होते हैं। बहुत अच्छा इसीलिए मैं बोल रही हूं क्योंकि क्या होता है कि जब आप एक थेरेपिस्ट के रूप में खड़े होते हैं ना और सामने वाले ने आप पर ट्रस्ट भी कर लिया तो अब वो आपके शब्दों पर भी तो ट्रस्ट करेगा ना। तो आप चाहे पॉजिटिव दें, चाहे नेगेटिव दें। ये आपकी मर्जी है। तो अब दिक्कत तो वही है ना कि जब तक आप अपने आप को ऊपर नहीं उठाएंगे तब तक आप देने वाले नहीं बन सकते ना। भाई आपके पास ₹100 होंगे और मैं आपसे ₹1 मांग रही तो जब 100 होंगे तभी आप मुझे 10 देंगे ना। और अगर मुझे 100 चाहिए तो आपके पास000 होने चाहिए। तो ऐसे ही हमारी कॉन्शियसनेस है कि जब हम हायर लेवल पर होंगे तभी तो हम कुछ दे पाएंगे ना। और आपके शब्दों का असर होगा तब सबसे बड़ी बात यह अदर वाइज आप कहते रहो मतलब जो बोलते हैं ना कि वेटेज देना बोलते बहुत लोग हैं स्पीच बहुत लोग देखते हैं देते हैं लेकिन कुछ के शब्द प्रिंट हो जाते हैं उनका वेटेज मिलने लगता है तो वह तभी होता है कि जब आपकी वाणी सिद्धि हो और वाणी सिद्धि कभी कब होगी जब आपका कॉनशसनेस हायर होगा मैम आपकी क्लास में मोटिवेशन क्लास नाम देना चाहिए। ऐसी जो लेते हो क्लासेस बहुत अच्छा समझ आती है चीजें। एक्चुअली लाइफ मैनेजमेंट के लिए यह सब चीजें बहुत जरूरी है और हम सब लोग अब एक जिस एज में खड़े हैं जैसे होता है ना कि जैसे हम 1820 के होते हैं तो हम बिल्कुल हाथ पैर मारने लगते हैं कि क्या करियर बनाना है किस साइड जाना है कौन सा एग्जाम देना है कि जिससे हमारा एक अच्छा करियर हो वैसे ही हम सब लगभग इस ऐज में खड़े हैं कि हमारा स्पिरिचुअल करियर क्या हो किस साइड जाना है कैसे डेवलप करना है तो यह एक बेस्ट टाइम है मैम एक क्वेश्चन है। क्वेश्चन जैसे ना आजकल मुझे सामने वाले पर्सन का ओरा फील होता है। तो औररा कैसे फील होता है कि मन में मैंने कुछ सोचा है और उस पर्सन के आने के बाद जब मैं उससे बात कर रही हूं तो वो चीज मन में चल रही है कि करनी है। पर पता नहीं क्यों वो करेक्टिविटी बन नहीं पाती कि वो होता नहीं है। और कई लोगों के साथ इसको ओरा बोलते हैं कि नहीं इस चीज को? ओरा मतलब होता है कि हमारे बॉडी के लगभग तीन चार इंच ऊपर से एक पूरा हमारा जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड होता है वो दिखने लगना। और वो पॉसिबल होता है दिखने में। ओके। तो मैम ये चीज मैं ना आजकल नोटिस कर पा रही हूं। कई लोगों के साथ हो रहा है। कई के साथ तो औररा फील ही नहीं हो रहा। तो लाइक जब ऐसा फील होता है कि सामने वाले का ओरा नेगेटिव है और मैं सोच रही हूं वो नहीं कर पा रही हूं उसके आने के उसके साथ होने के बाद तो उस वक्त क्या करना होता है कि मैं उस दिन भी शायद बात चली थी ना तो एक वो जो साइकिक प्रोटेक्शन होता है कि अपने आप को चैनलाइज करना सुपर कॉन्शसनेस से और एक साइकिक प्रोटेक्शन यूज करना वो करना बहुत जरूरी है। अदरवाइज क्या होगा कि सामने वाला नेगेटिव है। उसके कंपैरिजन में आप पॉजिटिव है तो आपकी एनर्जी पॉजिटिव तुरंत वहां फ्लो होने लगेगी और उसकी जो नेगेटिविटी वो हायर स्केल पर है। आपकी लो है तो वो आपकी तरफ आने लगेगी। तो यह जो एक्सचेंज जब होगा ना तो आप अपने आपको बहुत थका हुआ बहुत ऐसा डिप्रेस सा फील करेंग और ऐसा लगेगा कि नहीं अब तो हम कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। ये इस टाइप के इमोशन इनको हम नेगेटिव इमोशन कह सकते हैं। है ना? वो जनरेट होने लगेंगे क्योंकि आपकी तरफ नेगेटिव एनर्जी फ्लो होगी। तो इस समय बहुत जरूरी रहता है कि साइकिक प्रोटेक्शन को हम यूज करें। बिना उसके ना करें। फ्राइडे को जल्दी अगर हमारा ये हो गया ना थायराइड का तो वो 101 मिनट का होता है तो मैं आपको करा दूंगी तो आप सभी लोगों को एक से आईडिया चलिए आई थिंक आज सभी के क्वेश्चन हो गए होंगे आज बहुत जल्दी फ्री हो जाऊंगी आई थिंक सभी के हो गए होंगे क्वेश्चन बहुत जल्दी हम आपको फ्री होने नहीं देते ना हम बिल्कुल तो आप लोग अब इस पे काम करिए जो हमने थायराइड वाला किया है ना और फिर हम मंडे से फिर हम प्रैक्टिकल शुरू करेंगे एक क्लास और आपकी अभी इसी पे रहेगी ठीक है मैम अब नेक्स्ट मंडे क्लास होगी नहीं नहीं अभी फ्राइडे क्लास रहेगी फ्राइडे
Yoga therapy is a mind-body practice that focuses on your physical, emotional and mental health. The practice uses movement, mindfulness, meditation, relaxation and breathing exercises to help you relax, relieve stress and manage underlying conditions or symptoms in addition to treatment by a healthcare provider.
Yoga therapy is a process to empower you to improve your health and well-being through the practice of yoga.
In other words, yoga therapy is a whole-body approach to better health by using the tools of yoga to meet your specific physical, mental and emotional needs and goals. You’re an active participant on your path to wellness.
The tools of yoga include:
• Physical postures and movements (asanas).
• Breathing exercises (pranayama).
• Meditation/relaxation (dhyana).
Some of the health benefits of yoga therapy include:
• Reducing physical discomfort and improving management of pain.
• Helping neurological conditions such as multiple sclerosis (MS), fibromyalgia, epilepsy and stroke.
• Easing joint pain from arthritis.
• Reducing tension and stress and relieving headaches.
• Helping you lose weight.
• Boosting your mood and reducing depression.
• Lessening anxiety and stress.
• Easing symptoms of menopause.
• Helping calm those with trauma.
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