Depression — Definition, Causes, Symptoms, Diagnosis & Treatment | BSc Nursing Hindi | Mental Health
हेलो गाइस, वेलकम टू माय YouTube चैनल। मेरा नाम नीति है और आज हम डिस्कस करने वाले हैं डिप्रेशन के बारे में। इसके अंदर हम पढ़ेंगे कि डिप्रेशन की डेफिनेशन क्या होती है? कॉजेस क्या होते हैं? साइन एंड सिम्टम्स क्या होते हैं? डायग्नोसिस क्या है इसका? प्रॉपर मैनेजमेंट और ट्रीटमेंट क्या है डिप्रेशन का? तो आइए वीडियो को शुरू करते हैं। सबसे पहले हम पढ़ेंगे डेफिनेशन ऑफ डिप्रेशन। तो इसमें हम पढ़ेंगे कि डिप्रेशन इज अ कॉमन मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर कैरेक्टराइज्ड बाय पर्सिस्टेंट सैडनेस लॉस ऑफ इंटरेस्ट और प्लेज़र इन एक्टिविटी एंड अ रेंज ऑफ़ इमोशनल एंड फिजिकल सिम्टम्स। इफ इट इफेक्ट हाउ अ पर्सन फील्स थिंक एंड बिहेव ऑफन इंटरफेयरिंग विद द डेली लाइफ वर्क रिलेशनशिप्स एंड ओवरऑल फंक्शनिंग यानी डिप्रेशन एक कॉमन लेकिन सीरियस मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर है जो इंसान के मूड सोचने के तरीके और डेली लाइफ को डीपली इफेक्ट करता है। यह सिर्फ थोड़ी देर का उदास या लो फील करना नहीं होता बल्कि एक ऐसी कंडीशन है जिसमें सैडनेस, होपलेसनेस और एनर्जी की कमी लंबे समय तक चलती है। इसमें पर्सन अपने फेवरेट एक्टिविटीज में इंटरेस्ट लूज़ कर देता है। मोटिवेशन कम हो जाता है और कभी-कभी खुद को हर्ट करके थॉट्स खुद को हर्ट करने के भी थॉट्स आ सकते हैं। ये प्रॉब्लम किसी को भी हो सकती है। चाहे वो किसी भी ऐज या जेंडर का हो। डिप्रेशन बायोलॉजिकल, साइकोलॉजिकल और सोशल फैक्टर्स के कॉम्बिनेशन से होता है। अगर टाइम पर ट्रीटमेंट ना लिया जाए तो यह कंडीशन सीवियर हो सकती है। लेकिन लेकिन प्रॉपर थेरेपी और मेडिसिन और सपोर्ट से रिकवरी पॉसिबल होती है इसकी। तो आइए आगे पढ़ते हैं। नेक्स्ट हम पढ़ेंगे कॉजेस ऑफ डिप डिप्रेशन। तो फर्स्ट कॉज हम पढ़ेंगे बायोलॉजिकल फैक्टर। बायोलॉजिकल फैक्टर्स में हम सब हमारा पहला है कि जेनेटिकली। जेनेटिकली यानी फैमिली हिस्ट्री में अगर किसी को डिप्रेशन रहा हो तो हमारे डिप्रेशन होने के चांसेस हमारे नेक्स्ट जनरेशन में ज्यादा होते हैं। यानी यानी और दूसरा है हमारा न्यूरो न्यूरोकेमिकल इमंबैलेंस। जैसे कि चेंजेस इन ब्रेन केमिकल जैसे कि न्यूरोट ट्रांसमीटर लाइक अ सेरेटोनिन, डोपामिन एंड नर एपिनेफिन। ठीक है? तीसरा है हॉर्मोनल चेंजेस लाइक ए सच एज अ ड्यूरिंग प्रेगनेंसी के टाइम पे या फिर पोस्टपार्टम पीरियड पे या फिर थायरॉइड डिसऑर्डर्स हो या फिर मीनोपॉज जैसी कंडीशन अराइज़ हो रही हो। नेक्स्ट है हमारा जैसे कि साइकोलॉजिकल फैक्टर। साइकोलॉजिकल फैक्टर में जैसे कि लो सेल्फ एक्सट्रीम या फिर नेगेटिव थिंकिंग पैटर्न हो या फिर अनसॉल्वड ट्रॉमा और अब्यूज या फिर स्ट्रेसफुल लाइफ इवेंट जैसी कंडीशंस अराइज़ हो रही हो। थर्ड है हमारा सोशल एंड एनवायरमेंटल फैक्टर्स। इसमें लॉनलीनेस यानी अकेलापन या फिर लैक ऑफ सपोर्ट। पेशेंट को किसी का सपोर्ट ना हो। फाइनेंशियल प्रॉब्लम हो या फिर इकोनॉमिकल प्रॉब्लम हो या फिर बेरोजगारी हो, अनइंप्लॉयमेंट जैसी कंडीशन हो या फिर रिलेशनशिप में किसी प्रकार की प्रॉब्लम अराइज़ हो रही हो। यह कुछ हमारे मेन कॉजेस थे जिसकी वजह से हमें हमें डिप्रेशन कॉज करता है। इसमें से हमें कुछ मेडिकल कंडीशंस भी होती हैं। जैसे कि क्रोनिक इलनेस हो गया। क्रॉनिक इलनेस में जैसे कि डायबिटीज है किसी को या फिर हार्ट डिसीज है। ऐसी बहुत सारी बीमारियां हैं जिनकी वजह से व्यक्ति को डिप्रेशन कॉज कर जाता है। आइए अब पढ़ते हैं नेक्स्ट हम पढ़ेंगे टाइप्स ऑफ डिप्रेशन। डिप्रेशन के कितने टाइप्स होते हैं? तो हम टोटल फाइव टाइप का डिप्रेशन पढ़ते हैं। फर्स्ट फर्स्ट टाइप है हमारा मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर। इसके अंदर हम पढ़ेंगे जैसे कि कुछ सीवियर सिम्टम्स सीवियर सिम्टम्स हैं। जैसे कि अह एट लास्टिंग एट एट लीस्ट टू वीक्स। जैसे कि सीवियर सिम्टम जो दो वीक से ज़्यादा चलें। सेकंड टाइप है हमारा पर्सिस्टेंस डिप्रेसिव डिसऑर्डर जिसे हम डिस्थीमिया भी बोलते हैं। यह माइल्डर माइल्डर सिम्टम होते हैं एलास्टिंग टू ईयर और मोर जो कि 2 साल या दो साल से ज्यादा तक रहे। तीसरा है हमारा सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर डिप्रेशन रिलेटेड टू चेंजेस इन सीजन ऑफेन इन विंटर यानी कि स्पेसिफिक सीजन। जैसे कि मोस्टली विंटर में होने वाला डिप्रेशन या फिर पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी डिप्रेशन आफ्टर चाइल्ड बर्थ यानी डिलीवरी के बाद जब हमारा जो 42 वीक्स जो 42 डेज का पीरियड होता है उसे हम पोस्टपार्टम पीरियड बोलते हो उस टाइप में अगर किसी बेबी मदर को अगर यह डिप्रेशन कॉज करता है तो आप उसको पोस्ट पार्टम डिप्रेशन बोल सकते हो। फिफ्थ टाइप है हमारा बाइपोलर डिप्रेशन। यह डिप्रेसिव फेज ऑफ बाइपोलर या बाइपोलर डिसऑर्डर। ये बाइपोलर डिसऑर्डर का डिप्रेसिव फेज होता है। ठीक है? नेक्स्ट अब हम पढ़ेंगे ये थे हमारे कुछ फाइव टाइप्स के। अ जो हमने पढ़ लिए। अब हम नेक्स्ट पढ़ेंगे सिम्टम्स क्या-क्या होते हैं? सिम्टम्स हमारे पहला हम पढ़ेंगे इमोशनल सिम्टम्स क्या होते हैं? इमोशनल सिम्टम्स में हम पढ़ेंगे जैसे कि हमारा पर्सिस्टेंट सैडनेस या एटीनेस या फिर होपलेसनेस यानी हम सैड रहेंगे। खुद को अकेला फील करेंगे। यानी अपने अंदर खालीपन सा फील करेंगे कि हम अकेले हैं। हमारे अंदर होप की कमी हो जाएगी। होपलेसनेस कमी हो जाएगा। हमें किसी प्रकार की मतलब वह नहीं रहेगा कि हम कुछ कर सकते हैं या नहीं कर सकते या फिर लॉस ऑफ इंटरेस्ट इन हॉबीज़ एंड प्लेज़रेबल एक्टिविटीज यानी जो हमारी हॉबीज़ थी उन उनमें हमारा इंटरेस्ट कम हो जाएगा या फिर हम जो हमें जो एक्टिविटीज करने में अच्छा लगता था यानी जो हमारे एंजॉय एंजॉयबल एक्टिविटीज़ थी उनको करने में हमें प्लेज़र फील नहीं होगा। हमें इरिटेशन या इरिटेबिलिटी कॉज करेगा। हम फ्रस्ट्रेट होंगे या रेस्टलेसनेस फील करेंगे या फिर हम अपने आप को वर्थलेस फील करेंगे। अपराधी यानी खुद को अपराधी या गिल्टी फील करेंगे या खुद को शेम्ड फील करेंगे। नेक्स्ट है हमारे फिजिकल सिम्टम्स जिसमें हम फटी फील करेंगे या फिर लो एनर्जी फील करेंगे। हमारा स्लीपिंग डिस्टरबेंस होगा। वजह से हम इंसोमिया यानी हमें नींद नहीं आएगी या तो फिर हम ओवर स्लीपिंग करेंगे एपिटाइट या फिर वेट चेंजेस होंगे या तो फिर हमारा वेट बिल्कुल से लो हो जाएगा या तो फिर हम बहुत ही ज्यादा वेट गेन कर लेंगे। हमें हडेक की प्रॉब्लम रहेगी। बॉडी एजेस यानी बॉडी पेन रहेगा। हमारे मसल्स पेन रहेगा या फिर डाइजेस्टिव प्रॉब्लम्स भी हमें क्रिएट सीक्रेट होने लगेंगी किसी भी मेडिकल कॉजेस के कारण। थर्ड है हमारा कॉग्निटिव सिम्टम्स। कॉग्निटिव सिम्टम्स में हमारा हमें कंसंट्रेशन करने में और डिसीजन मेकिंग में हमें प्रॉब्लम्स क्रिएट होंगी। यानी हम ईजीली किसी भी चीज पे हम कोई भी फैसला नहीं ले पाएंगे। हमारा हमेशा कंसंट्रेशन कम रहेगा। हमारी थिंकिंग प्रोसेस स्लो हो जाएगी और हमारे फोकस करने की जो एबिलिटी है वो भी रिड्यूस हो जाएगी। हमें थॉट्स आएंगे डेथ और सुसाइड के। ये हमारे बहुत ही ज्यादा सीवियर केसेस होते हैं। हम अब ये थे हमारे कुछ सिम्टम्स। अब हम नेक्स्ट पढ़ेंगे डायग्नोसिस। हम डायग्नोसिस क्या करेंगे? सबसे पहले तो हम साइकेट्रिक एग्जामिनेशन करेंगे। पेशेंट का हिस्ट्री कलेक्शन करेंगे। हम उसकी प्रॉपर हिस्ट्री लेंगे। उसका फिजिकल एग्जामिनेशन करेंगे। यही चीजें देखो इसमें लिखा हुआ है। सबसे पहले हम क्लीनिकल इंटरव्यू अबाउट आस्किंग अबाउट मूड थॉट्स और बिहेवियर एंड सिम्टम्स। डीएसएम फाइव क्राइटेरिया के अराउंड अगर फाइव सिम्टम्स प्रेजेंट हैं। अह मतलब एक या एक से अधिक दो या दो से अधिक वीक्स में इंक्लूडिंग डिप्रेशन मूड या लॉस ऑफ इंटरेस्ट जैसे सिम्टम्स अगर मौजूद है टोटली फाइव सिम्टम्स टीएसएम5 के तो उसको हम डायग्नोस कर देंगे कि ये डिप्रेशन से ग्रसित है। उसका हम प्रॉपर्ली फिजिकल एग्जामिनेशन करेंगे। नेक्स्ट इसका मैनेजमेंट क्या-क्या है? हम इसको सबसे पहले साइकोलॉजिकल थेरेपीस प्रोवाइड करेंगे जिसमें हम कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी जो कि हेल्प करती है पेशेंट के नेगेटिव थॉट्स पैटर्न को। कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी जो होती है मतलब एक तरीके की साइकोथरेपी का टाइप है जो थॉट्स और बिहेवियर पर फोकस करता है। इसका मेन इसका मेन आईडिया है कि हमारी सोच का हमारे फीलिंग्स और एक्शन पर डिफेक्ट डायरेक्ट इफेक्ट होता है। ठीक है? अगर हम अपनी नेगेटिव सोच को आइडेंटिफाई करके चेंज कर ले कर लें तो हम अपने इमोशन और बिहेवियर को इंप्रूव कर सकते हैं। नेक्स्ट हम इंटरपर्सनल थेरेपी जो कि हमारे रिलेशनशिप और सोशल रोल्स को बेटर करने में हेल्प करते हैं। उनमें फोकस करने में हेल्प करते हैं। इससे जो हमारे जो हमारा अकेलापन है यह दूर हो जाता है। हमारे जो रिलेशनशिप के अंदर जो प्रेजेंट आईपीआर है ये भी हमारा ठीक हो जाता है। इंटरपर्सनल रिलेशनशिप भी प्रॉपर्ली ठीक होता है। साइकोडायनेमिक थेरेपी एक्सप्लोरल पार्ट्स एक्सपीरियंस आर इमोशंस। साइकोडायनेमिक थेरेपी एक टाक थेरेपी का फॉर्म है जो इंसान के अनकॉन्शियस माइंड या चाइल्डहुड एक्सपीरियंस और पास्ट मेमोरीज को एक्सप्लोर करके उनके करंट थॉट्स फीलिंग और बिहेवियर को समझाने की कोशिश करता है। इस थेरेपी का मेन मेन कारण है कि हमारे पास्ट एक्सपीरियंस और अनकॉन्शियस कॉन्फ्लिक्ट हमारे प्रेजेंट इमोशनल प्रॉब्लम्स के मेन सोर्स होते हैं। स्पेशली बचपन के। नेक्स्ट है मेडिकेशन। हम क्या मेडिकेशन प्रोवाइड करेंगे पेशेंट को? यानी इसमें हम एंटी डिप्रेसेंट ड्रग्स प्रोवाइड करेंगे। एंटी डिप्रेसेंट ड्रग में हम जैसे कि कुछ एसएसआर आई एस मतलब सिलेलेक्टिव सोलेटोनिन रिपटेक इनबिटर्स प्रोवाइड करेंगे। यह एक तरीके की यह एक क्लास के एंटी डिप्रेसेंट मेडिसिंस होती हैं जो ब्रेन में सेरेटोनिन नाम केमिकल का लेवल बढ़कर मूड बढ़ाकर यानी मूड को इंप्रूव करने में हेल्प करती हैं। दूसरा है सेरेटोनिन नॉन सिलेक्टिव रिअपटेक इनहबिटर और हम एंटी डिप्रेसेंट ड्रग्स प्रोवाइड करेंगे। नेक्स्ट हम यूजुअली प्रिस्राइब फ्रॉम मॉडरेट टू सीवियर डिप्रेशन। थर्ड नेक्स्ट हम उसकी लाइफस्ट को मॉडिफाई करेंगे। जैसे कि रेगुलर एक्सरसाइज करने के लिए बोलेंगे। हेल्दी डाइट लेने के लिए बोलेंगे। प्रॉपर्ली गुड स्लीप हजीन मेंटेन करने के लिए बोलेंगे। प्रॉपर सोने के लिए बोल और नेक्स्ट हम स्ट्रेस मैनेजमेंट और रिलैक्सेशन टेक्निक का यूज करके उसको हमेशा मतलब स्ट्रेस से दूर रहने के लिए बोलेंगे। उसको हमेशा खुश रहने के लिए बोलेंगे। यह सारी चीजें हम प्रोवाइड कराएंगे जिससे कि वो डिप्रेशन से बाहर आ सके। नेक्स्ट इसके कुछ अदर ट्रीटमेंट्स हैं। जैसे कि आप इलेक्ट्रो कन्वल्सिव थेरेपी प्रोवाइड करा सकते हैं। अगर अगर उसका डिप्रेशन सीवियर फॉर्म में है। ठीक है? तो आप इसको इलेक्ट्रो कन्व्सिव थेरेपी प्रोवाइड करा सकते हो। ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन थेरेपी प्रोवाइड करा सकते हो या फिर लाइट थेरेपी प्रोवाइड करा सकते हो। अब इसमें से ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन थेरेपी क्या होती है? यह जानते हैं। ट्रांसनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन एक नॉन इन्वेसिव ब्रेन स्टिमुलेशन टेक्निक है जिसमें एक मैग्नेटिक फील्ड का यूज करके ब्रेन के स्पेसिफिक एरिया को स्टिमुलेट किया जाता है। यह मेनली डिप्रेशन और कुछ अदर मेंटल हेल्थ या न्यूरोलॉजिकल कंडीशन के ट्रीटमेंट के लिए यूज़ किया जाता है या यूज़ होता है। जब मेडिसिंस या साइकोथरेपी से प्रॉपर इंप्रूवमेंट नहीं होता है। ठीक है? नेक्स्ट हम पढ़ेंगे लाइट थेरेपी। लाइट थेरेपी जिसे हम फोटोथरेपी भी कहते हैं। एक ट्रीटमेंट मेथड है जिसमें स्पेशली डिज़ ब्राइट लाइट का यूज करके डिप्रेशन को ट्रीट किया जाता है। इसमें पेशेंट को एक लाइट बॉक्स के सामने बैठाया जाता है जो नेचुरल सनलाइट जैसी ब्राइट लाइट इमिट करता है। यह काम कैसे करता है? जैसे कि विंटर मंथ में यह कम सनलाइट में टाइम पर हमारे बॉडी का बायोलॉजिकल क्लॉक डिस्टर्ब हो जाता है या फिर सनलाइट की कमी सेटोनिन लेवल कम हो जाता है और मेलेनिन मेलेटोनिन हॉर्मोन का प्रोडक्शन बदल जाता है जो मूड और स्लीप को अफेक्ट करता है या फिर लाइट थेरेपी से ब्राइट लाइट डायरेक्ट आइस के आइस के थ्रू ब्रेन तक सिग्नल भेजती है जिससे मूड रेगुलेटिंग केमिकल बैलेंस होते हैं। तो ये हमने जाने कि यह किसे-क काम करता है। ठीक है? आज की वीडियो में बस इतना ही। अगर आपको यह वीडियो पसंद आई हो तो वीडियो को लाइक करें, चैनल को सब्सक्राइब करें और बेल आइकन को प्रेस करें। थैंक यू।
Is video mein hum Depression (डिप्रेशन) ko simple aur clinical tarike se cover karte hain — BSc Nursing / GNM / ANM students ke liye perfect quick-revision + exam-oriented guide.
👇 Aap kya सीखोगे:
Covered Topics
Definition: Depression as a common but serious mental health disorder affecting mood, thoughts & daily functioning
Causes:
• Biological — genetics, neurotransmitter imbalance (serotonin, dopamine, norepinephrine), hormonal changes (pregnancy, postpartum, thyroid, menopause)
• Psychological — low self-esteem, negative thinking patterns, unresolved trauma/stress
• Social/Environmental — loneliness, lack of support, unemployment/financial & relationship problems
• Medical comorbids — diabetes, heart disease, chronic illness
Types: Major Depressive Disorder (MDD), Persistent Depressive Disorder (Dysthymia), Seasonal Affective Disorder (SAD), Postpartum Depression, Bipolar Depression (depressive phase)
Symptoms: Emotional, Physical & Cognitive features (sadness, anhedonia, low energy, sleep/appetite change, poor concentration, guilt, severe cases—suicidal thoughts)
Diagnosis: Clinical interview & history, DSM-5 criteria (≥5 symptoms for ≥2 weeks incl. depressed mood or loss of interest), physical exam
Management/Treatment:
• Psychotherapies — Cognitive Behavioral Therapy (CBT), Interpersonal Therapy (IPT), Psychodynamic therapy
• Medications — Antidepressants (SSRIs, SNRIs) as clinically indicated
• Lifestyle — regular exercise, healthy diet, sleep hygiene, stress management, social support
• Advanced — ECT, rTMS, Light Therapy (phototherapy) for selected/severe cases
Clinical Tips: Early help lena, relapse prevention, family education & safety planning
Who should watch: BSc Nursing, GNM, ANM, Psychiatric/Mental Health Nursing students & anyone seeking a clear overview in Hindi/Hinglish.
Disclaimer: Ye video educational purpose ke liye hai. Agar aap ya koi jaan-pehchaan wala self-harm/suicidal thoughts feel kar raha/rahi ho, please turant qualified professional se contact karein ya apne local helpline par sampark karein.
Timestamps (Suggested Chapters)
• 00:00 Intro
• 00:27 Definition
• 02:15 Causes
• 04:24 Types
• 06:12 Symptoms
• 08:48 Diagnosis
• 10:45 Management (Therapies/Drugs/Lifestyle)
• 13:55 Advanced Treatments
• 15:39 Outro
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